भारतीय क्रिकेट टीम ने एक नए कोच के साथ श्रीलंकाई दौरे का आग़ाज़ जीत के साथ किया और वह भी 304 रनों की विशाल और रिकॉर्ड जीत। विदेशी सरज़मीं पर रनों के मामले में टीम इंडिया की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत है। विराट कोहली ने भी टेस्ट क्रिकेट में अपना 17वां शतक और भारत को अपनी कप्तानी में 17वीं टेस्ट जीत दिलाई। कोहली के अलावा शिखर धवन भी शानदार वापसी करते हुए टेस्ट करियर की सबसे बड़ी पारी (190 रन) खेल गए, तो चेतेश्वर पुजारा ने भी एक और शतक लगाते हुए मिस्टर कंसिस्टेंट के तमग़े को बरक़रार रखा। अभिनव मुकुंद और हार्दिक पांड्या ने भी मिले इस मौक़े को शानदार तौर पर भुनाया, कुल मिलाकर टीम इंडिया के लिए ये जीत यादगार रही। वह भी तब जब दौरे से ठीक पहले मुरली विजय चोट की वजह से साथ नहीं जा पाए और मैच शुरू होने के एक दिन पहले के एल राहुल बीमार पड़ गए। पर कोहली एंड कंपनी ने रवि शास्त्री की कोचिंग में किसी तरह की कोई कमी नहीं खलने दी। इतनी शानदार और यादगार जीत के बाद तो स्वाभाविक है कि भारतीय क्रिकेट फ़ैंस को बेहद ख़ुश होना चाहिए और इस जीत को अपने दिल के बेहद क़रीब मानना चाहिए। मेरे साथ आपका भी जवाब हां में ही होगा, लेकिन सच कहें तो ऐसा कुछ दिखा नहीं या फिर इस ख़ुशी को फ़ैंस ने ज़ाहिर नहीं किया। क्या आपने भी ऐसा महसूस किया या फिर ये मेरी व्यक्तिगत सोच है ? न सोशल मीडिया पर ख़ुशी की वह लहर देखने को मिली, जो आमूमन भारत की जीत को लेकर दिखती है, और न ही मीडिया ने इसे बहुत ज़्यादा तवज्जो दिया। क्या बिहार में नीतीश कुमार का लालू यादव का साथ छोड़ दोबारा बीजेपी में शामिल हो जाना इस जीत से ज़्यादा बड़ा और हैरान करने वाला था ? मेरा जवाब न में होगा, क्योंकि धर्म की तरह क्रिकेट को पूजने वाले प्रशंसकों के लिए क्रिकेट और टीम इंडिया की जीत से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता। कम से कम क्रिकेट प्रशंसकों के लिए तो हरगिज़ नहीं। तो फिर ऐसी क्या वजह है कि इस विशाल और रिकॉर्डतोड़ जीत ने उन्हें वह ख़ुशी नहीं दी ? इसको जानने से पहले इस उदाहरण को समझिए, मान लीजिए आप जिससे सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं फिर चाहे वह आपकी बीवी, बेटी, बेटा, माता, पिता, बहन, दोस्त या कोई भी हो अगर उससे आप किसी बात को लेकर नाराज़ हैं तो उसकी ख़ुशी में आपको भी बेहद ख़ुशी तो होती है लेकिन आप उसको ज़ाहिर करने के बजाए चुप रहते हैं ताकि उसे इस बात का अहसास हो कि आप उससे नाराज़ हैं। बस यहां भी यही हाल है, विराट कोहली और अनिल कुंबले प्रकरण ने भारतीय क्रिकेट फ़ैंस को नाराज़ कर दिया था। फिर आग में घी डालने का काम दूसरे कोच (रवि शास्त्री) की नियुक्ति से लेकर ज़हीर ख़ान और राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया के साथ फ़िलहाल न जोड़ने के शास्त्री के फ़ैसले ने कर दिया। कुंबले-कोहली प्रकरण के बाद जब द्रविड़-ज़हीर के टीम से जुड़ने की ख़बर आई तो एक बार फिर भारतीय फ़ैंस ख़ुशी से झूम उठे थे। लेकिन अचानक ही उन्हें शास्त्री द्वारा दरकिनार करते हुए भरत अरुण को गेंदबाज़ी कोच बनाने के फ़ैसले ने झकझोर दिया। भारतीय क्रिकेट को क़रीब से देखने वाले और समझने वाले ये जानते हैं कि राहुल द्रविड़ और ज़हीर ख़ान जैसी शख़्सियत टीम इंडिया को किस सुनहरे भविष्य की ओर ले जा सकती थी। ऐसा नहीं है कि उन्हें या हमें रवि शास्त्री और विराट कोहली या टीम इंडिया के खिलाड़ियों पर भरोसा नहीं या उनकी प्रतिभाओं की क़द्र नहीं लेकिन पिछले कुछ महीनों में भारतीय क्रिकेट के साथ जो चीज़ें चल रही हैं उससे वह निराश और उदास हैं। इस बीच मिताली राज की कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जिस तरह कमाल करते हुए विमेंस वर्ल्डकप के फ़ाइनल तक जा पहुंची थी, उसने भी भारतीय फ़ैंस की नाराज़गी को थोड़ा कम करते हुए उन्हें एक और विकल्प दे दिया है, जो महिला क्रिकेट के साथ साथ भारतीय क्रिकेट के लिए भी सुखद है। हालांकि क्रिकेट फ़ैंस की नाराज़गी ज़्यादा दिनों तक रहने वाली नहीं, लेकिन कुछ तस्वीरें जो कैमरे के ज़रिए हम तक और क्रिकेट फ़ैंस तक पहुंच रही हैं वह इस उदासी और अंदर अंदर पल रहे ग़ुस्से को भड़का ज़रूर सकती हैं। गाले टेस्ट के दौरान रवि शास्त्री का हाव भाव और उनका रियेक्शन क़ाबिल-ए-तारीफ़ नहीं था उसमें घमंड की झलक साफ देखी जा सकती थी। इन चीज़ों से आने वाले वक़्त में रवि शास्त्री और विराट कोहली को बचना होगा, क्योंकि ये तो बस परिवर्तन काल से गुज़र रही श्रीलंका पर जीत है। टीम इंडिया की राहों में असली चुनौतियां तो दक्षिण अफ़्रीका और इंग्लैंड दौरे से होते हुए 2019 क्रिकेट वर्ल्डकप में आएंगी जो रवि शास्त्री और कोहली का इम्तिहान तो लेंगी और इससे उन्होंने सबक़ नहीं लिया तो ये क्रिकेट फ़ैंस की दिलों की दूरियों को पाटने की बजाए बढ़ाने का काम भी कर सकती हैं।