भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने बताया कि उन्हें एक मशहूर क्रिकेटर बनने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा कि एक क्रिकेटर होने के बावजूद उन्हें अनारक्षित ट्रेन में सफर करना पड़ा। एक कार्यक्रम में मिताली राज ने कहा कि क्रिकेट में मेरा सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। अब हम बीसीसीआई के अंतर्गत आते हैं लेकिन उस समय भारतीय महिला क्रिकेटर बीसीसीआई के अतंर्गत नहीं आती थी। इसी वजह से हम सबको बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती थीं। यहां तक कि भारतीय टीम का क्रिकेटर होने के बावजूद मुझे हैदराबाद से दिल्ली अनारक्षित डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी। हालांकि भारतीय पुरुष क्रिकेटरों के साथ ऐसा नहीं हुआ। मिताली ने कहा कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने कहा था कि एक भारतीय खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने कभी ट्रेन में सफर नहीं किया लेकिन मुझे करना पड़ा। हालांकि उन मुश्किलों से लड़कर मैं काफी मजबूत बनी। एक महिला होने के नाते शुरुआत में हमें काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन उन परेशानियों से लड़कर हम मानसिक रुप से काफी मजबूत हो जाते हैं। इसी वजह से हम काफी कुछ कर सकते हैं। मिताली ने ये भी कहा कि पहले उनके परिवार वाले उनके स्पोर्ट्स में जाने से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि मैं दक्षिण भारत से हूं, इसलिए वो मेरे क्रिकेट खेलने से सहमत नहीं थे। हालांकि मेरे माता-पिता ने एक क्रिकेटर बनने के लिए मेरा काफी साथ दिया। गौरतलब है मिताली राज एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली वर्ल्ड की इकलौती महिला क्रिकेटर हैं। वहीं उनकी कप्तानी में इस साल भारतीय महिला टीम महिला क्रिकेट विश्व कप के फाइनल तक पहुंची थी। उसके बाद महिला क्रिकेटरों के जोश और जज्बे की काफी तारीफ हुई थी।