श्रीलंका के खिलाफ खेली जा रही वर्तमान टेस्ट सीरीज के नागपुर टेस्ट मैच की दोनों पारियों में अश्विन ने 4-4 विकेट लिए। इस मैच में कुल 8 विकेट लेकर उन्होंने न सिर्फ दूसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, बल्कि स्वयं के लिए भी बड़ी व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल की। नागपुर टेस्ट मैच में उन्होंने अपने 300 विकेट पूरे किये। इस मुकाम को उन्होंने अपने मात्र 54वें टेस्ट मैच में ही हासिल करके एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला। इससे पहले ये रिकॉर्ड पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज डेनिस लिली के नाम था, जिन्होंने अपने 56वें टेस्ट मैच में 300 विकेट पूरे करके ये विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था। इससे पहले भारत की ओर से 300 विकेट लेने की उपलब्धि मात्र 4 गेंदबाज ही हासिल कर सके हैं। ये गेंदबाज हैं अनिल कुंबले, कपिल देव, हरभजन सिंह और जहीर खान। वैसे ये पहली बार नहीं है कि रविचंद्रन अश्विन ने इस तरह का कारनामा करके दिखाया हो, पहले भी कई बार वो ऐसी कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुके हैं। अपने शानदार प्रदर्शन के बूते अश्विन कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड हासिल कर चुके हैं। इस बात में किसी को भी शक नहीं है कि आर अश्विन इस समय न सिर्फ भारत के बल्कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ ऑफ़ स्पिनर हैं। फिंगर स्पिनर के तौर पर विश्व विख्यात अश्विन की कैरम बॉल का तोड़ तो अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों के पास भी नहीं है। ऐसी संभावना है कि अपने टेस्ट कैरियर की समाप्ति तक उनके खाते में कम से कम 600 विकेट और 5000 रन होंगे। पिछले 7-8 वर्षों में भारत को मिली अधिकांश जीतों में उनका बड़ा योगदान रहा है, विशेषकर टेस्ट मैचों में। पिछले कुछ सालों में तो उन्होंने गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन करते हुए, टीम को मिली अधिकांश टेस्ट विजयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टेस्ट क्रिकेट में इस समय उनकी गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में की जाती है। बात टेस्ट मैचों में अश्विन की बल्लेबाजी की जाए तो उसमें काफी निखार आया है। यूँ तो पिछले कुछ समय में उन्होंने सभी टीम के खिलाफ बढ़िया बल्लेबाजी की है, लेकिन उन्हें वेस्टइंडीज की टीम से कुछ ज्यादा ही लगाव है, क्योंकि उनके चारों शतक इसी टीम के खिलाफ हैं और वो भी मात्र 10 पारियों में। इस टीम के खिलाफ जिस काम को बड़े-बड़े बल्लेबाज अंजाम नहीं दे सके, उसे उन्होंने पूरा करके दिखाया। वेस्टइंडीज के खिलाफ उनसे अधिक शतक मारने का भारतीय कारनामा केवल महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड़ ही कर पाए हैं। लेकिन बात अश्विन की कमजोरियों की करें, तो छोटे प्रारूप में बीच के ओवरों में विकेट न निकाल पाने की उनकी और उनके साथी स्पिनर जडेजा की कमजोरी सामने आई है। यही वजह है कि कुछ समय पहले तक अश्विन और उनके वर्तमान टेस्ट जोड़ीदार रविंद्र जडेजा वनडे टीम का भी नियमित हिस्सा हुआ करते थे, पर अब जडेजा के साथ-साथ अश्विन को भी वन डेमैचों में टीम से बाहर का रास्ता देखना पड़ा है। इन दोनों स्पिनरों के बीच के ओवरों में विकेट नहीं निकाल पाने का खामियाजा टीम को भी उठाना पड़ा। इनकी जगह इस समय वनडे में युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल ने ले ली है। अश्विन और जडेजा के निकट भविष्य में भी सीमित ओवर क्रिकेट खेल पाने की संभावनाओं पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। अश्विन के अब तक के करियर की बात की जाए तो इतने शानदार प्रदर्शन के बाबजूद एक और कमी जो उनके प्रदर्शन में नज़र आती है, वो है विदेशी सरजमीं पर उनका प्रदर्शन। विशेषकर एशिया से बाहर की तेज पिचों पर, एशिया से बाहर अभी तक खेले मैचों में अश्विन का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा है। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड जैसे देशों में वहां की तेज पिचों पर खेलते हुए अश्विन अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं। अगर अश्विन भविष्य के महान खिलाडियों की सूची में अपना नाम अंकित कराना चाहते हैं, तो उन्हें इस दिशा में काम करना होगा। फिर भी ये कहना कि हाल के वर्षों में भारत की अधिकांश टेस्ट जीतों के सूत्रधार वही रहे हैं गलत नहीं होगा।