इंग्लैंड दौरे पर मात खाई भारतीय टीम अब एशिया कप के खिताब को बरकरार रखने के लिए हर मुक्कमल कोशिश में लगी है। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में पहला मैच 18 सितंबर को हांगकांग के खिलाफ खेलेगी। हालांकि देश के तमाम क्रिकेट प्रशंसकों की निगाहें 19 सितंबर को होने वाले मुकाबले पर टिकी होगी। इस दिन भारत को अपने धुर-विरोधी पाकिस्तान के खिलाफ मैदान पर उतरना है। दुबई में चल रहे इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम विराट कोहली के बिना खेलेगी। रोहित शर्मा को टीम की कमान सौंपी गई है। एक दिवसीय मैचों के शानदार खिलाड़ी रोहित के लिए विश्व कप से पहले यह टूर्नामेंट लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है। अभी तक रोहित ने किसी बड़े टूर्नामेंट में टीम की कप्तानी नहीं की है। इस लिहाज से यहां उनकी बल्लेबाजी के साथ कप्तानी की भी परीक्षा होगी। कोहली की गैरमौजूदगी में कितना विराट बनेंगे रोहित विराट कोहली को आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरे के मद्देनजर आराम दिया गया है। अब टीम इंडिया की कप्तानी संभाल रहे रोहित पर उसे एशियाई चैंपियन बनाने का दारोमदार है। वे सफेद गेंद के शानदार खिलाड़ी रहे हैं। रोहित ने अब तक 183 एकदिवसीय मैच की 177 पारियों में 6748 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका औसत लगभग 45 का रहा है। वहीं पाकिस्तान के खिलाफ रोहित ने 13 मैचों में 34.75 के औसत से 417 रन बनाए हैं। इसमें पांच अर्धशतक शामिल है। हालांकि वे अब तक पाक के खिलाफ कोई शतक नहीं लगा पाए हैं। मध्यक्रम संयोजन यहां भी समस्या इंग्लैंड में विराट कोहली जिस समस्या से जूझ रहे थे, रोहित को दुबई में भी इस से जूझना पड़ेगा। मध्यक्रम संयोजन को ठीक करना रोहित के लिए एक चुनौती है। भारत के पास मध्यक्रम बल्लेबाजों की कमी नहीं है लेकिन जो हैं उनमें से किस को चुना जाए ये ही मुश्किल काम है। लोकेश राहुल, अंबाती रायडु, मनीष पांडे, केदार जाधव और दिनेश कार्तिक मध्यक्रम के बल्लेबाज हैं। इनमें से जाधव को हटा दिया जाए तो भारत के पास पार्ट-टाइम गेंदबाजी के लिए भी कोई नहीं बचेगा। इसलिए रोहित को मध्यक्रम संयोजन के लिए थोड़ी माथापच्ची जरूर करनी पड़ेगी। विस्फोटक बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी के लिए बल्लेबाजी क्रम तलाशना भी रोहित के लिए चुनौती ही है। कप्तान रोहित लेकिन धोनी की भूमिका अहम रोहित अभी तक किसी अच्छी टीम के खिलाफ नेतृत्व कौशल का परिचन नहीं दे पाए हैं। पिछले साल दिसंबर में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने कप्तानी संभाली थी लेकिन वो टीम इतनी मजबूत नहीं थी जिससे उनकी कप्तानी की परीक्षा हो सके। विराट की अनुपस्थिति में भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। उन्हें हर कदम पर रोहित के साथ खड़ा रहना होगा। उनकी आक्रामक कप्तानी और किसी भी परिस्थिति में जूझने का मद्दा पहले ही लोग देख चुके हैं। धोनी को यहां भी अपने अनुभव से रोहित की मदद करनी होगी। साथ ही एक बल्लेबाज के तौर पर धोनी के विस्फोट का इंतजार सभी प्रशंसक कर रहे हैं। यहां उनकी बल्लेबाजी चयनकर्ताओं के लिए विश्व कप टीम चयन के रास्ते खोलेगी। अभी विकेट के पीछे जो स्थिति है उस लिहाज से तो 2019 तक धोनी का बने रहना ही भारत के लिए शुभ संकेत है।