आईपीएल के 11वें सीज़न की तैयारी शुरु हो चुकी है। भारत, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, दक्षिण अफ़्रीका, वेस्टइंडीज़, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के कुल 206 खिलाड़ी आईपीएल की 8 अलग-अलग टीम की शोभा बढ़ाएंगे। आईपीएल 2018 का सीज़न 4 अप्रैल से शुरू होने वाला है। भारतीय खिलाड़ियों के आलावा ऑस्ट्रेलिया के भी कई खिलाड़ी भी आईपीएल 2018 की नीलामी के दौरान चर्चा में रहे। इन कंगारू खिलाड़ियों के भारत में भी कई फ़ैंस हैं। इस साल स्टीवन स्मिथ राजस्थान रॉयल्स और डेविड वॉर्नर को सनराइज़र्स हैदराबाद ने सीधे रिटेन किया है। साल 2018 के आईपीएल सीज़न में 19 कंगारू खिलाड़ी शामिल हैं। बिग बैश लीग में शानदार प्रदर्शन की बदौलत कई गुमनाम खिलाड़ियों ने भी आईपीएल टीम में अपनी जगह बनाई है। इनमें बिली स्टानलाके, डि आर्की शॉर्ट, एंड्रयू टाई शामिल हैं। इस बात में कोई शक नहीं कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने आईपीएल में अपना दबदबा कायम किया है। इसके बावजूद कुछ कंगारू खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो आईपीएल में ज़्यादा नहीं चल पाए। हम यहां ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं।
#5 जेम्स होप्स
जेम्स होप्स के पास हरफ़नमौला हुनर मौजूद है यही वजह है कि उन्हें ऑस्ट्रेलियाई टीम में जगह मिली थी। वो सीमित ओवर के लिए शानदार बल्लेबाज़ी करने के लिए माहिर हैं। उन्होंने 2008 में आईपीएल में डेब्यू किया था। वो पहली 3 साल तक किंग्स इलेवन पंजाब टीम के सदस्य रहे थे, लेकिन कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पाए। साल 2011 में वो दिल्ली डेयरडेविल्स टीम में चुने गए थे। साल 2008 में जेम्स ने पंजाब टीम की तरफ़ से खेलते हुए 11 मैच में 20.09 की औसत और 149 के स्ट्राइक रेट से 221 रन बनाए थे। साल 2011 में दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ़ से खेलते हुए उन्होंने 10 मैच में 39.20 की औसत और 124 के स्ट्राइक रेट से 196 रन बनाए थे। वो गेंदबाज़ी में भी कमाल नहीं दिखा पाए। पहले आईपीएल सीज़न में उन्होंने 9.85 की इकॉनमी रेट से 7 विकेट लिए थे। साल 2011 में उन्होंने दिल्ली की तरफ़ से खेलते हुए 8.50 की इकॉनमी रेट से 7 विकेट हासिल किए थे। ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से उन्होंने 84 वनडे और 12 टी-20 मैच खेले हैं। साल 2012 के आईपीएल सीज़न में वो पुणे वॉरियर्स इंडिया टीम में शामिल किए गए थे लेकिन एक बार भी प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं हो पाए थे। साल 2016 में होप्स ने क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट से संन्यास ले लिया था। उसके बाद वो क्वींसलैंड और ब्रिस्बेन हीट टीम के लिए कोचिंग करते हुए नज़र आए थे। साल 2018 के आईपीएल सीज़न में वो दिल्ली डेयरडेविल्स के बॉलिंग कोच बनाए गए हैं।
#4 शॉन टेट
अगर जेफ़ थॉमसन के बाद अगर ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेज़ तर्रार गेंदबाज़ कोई उभरकर आया है तो वो है शॉन टेट। पूरे क्रिकेट करियर में वो विपक्षियों से ज़्यादा अपनी चोट से जूझते नज़र आए हैं। चोट के शिकार होने के बाद उन्हें टेस्ट और वनडे को अलविदा कहना पड़ा, लेकिन वो टी-20 में बने रहे। भले ही उनकी गेंदबाज़ी में धार थी, फिर भी वो ज़्यादा कमाल करने में नाकाम रहे। अगर वो ज़्यादा वक़्त तक क्रिकेट खेल पाते तो आज़ ज़्यादा कामयाब गेंदबाज़ होते। वो आईपीएल में भी खेले थे, लेकिन यहां भी वो दबदबा बनाने में नाकाम साबित हुए। राजस्थान रॉयल्स की टीम से खेलते हुए उन्होंने 4 सीज़न के 21 आईपीएल मैच में 8.11 की इकॉनमी रेट से 23 विकेट हासिल किए थे। उनमें हुनर और क़ाबिलियत की कोई कमी नहीं थी, फिर भी वो मौक़े का फ़ायदा उठाने में नाकाम साबित हुए। मार्च 2017 में टेट ने क्रिकेट के सभी प्रारूप से संन्यास ले लिया।
#3 जॉर्ज बेली
कुछ ही खिलाड़ी इतने ख़ुशकिस्मत होते हैं जिनका करियर जॉर्ज बेली की तरह होता है। उन्होंने घरेलू सर्किट में शानदार प्रदर्शन किया था, जिसकी बदौलत कंगारू टीम में उन्हें जगह मिली। उन्हें ऑस्ट्रेलियाई वनडे टीम की कप्तानी का भी मौक़ा मिला। उन्होंने ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार खेल दिखाया है। भले ही उनमें हर तर की क़ाबिलियत मौजूद हो, फिर भी वो इंडियन प्रीमियर लीग में उतने लकी साबित नहीं हो पाए। आईपीएल में खेले गए 40 मैच में उन्होंने 24.55 की औसत और 121.87 के स्ट्राइक रेट से 663 रन बनाए थे। हांलाकि साल 2014 में बेली की मौजूदगी में किंग्स इलेवन पंजाब टीम ने आईपीएल फ़ाइनल का सफ़र तय किया था। बेली ने भी इस सीज़न में अपनी टीम के लिए योगदान दिया था। हांलाकि फ़ाइनल में पंजाब टीम केकेआर से हार गई थी। जॉर्ज बेली आईपीएल की चेन्नई सुपरकिंग्स, किंग्स इलेवन पंजाब और राइज़िंग पुणे सुपरजायंट टीम का हिस्सा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में वो अपना जलवा दिखाने में नाकाम रहे, इसलिए उन्हें साल 2018 की आईपीएल नीलामी के दौरान एक भी ख़रीदार नहीं मिला।
#2 माइकल क्लार्क
माइकल क्लार्क किसी पहचान के मोहताज नहीं है, वो ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेज़ तर्रार क्रिकेटर्स में से एक हैं। उनके पास बल्लेबाज़ी और कप्तानी का ज़बरदस्त हुनर मौजूद है, लेकिन नीली आंखों वाले इस कंगारू क्रिकेटर ने आईपीएल में कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं किया था। साल 2012 के आईपीएल सीज़न में उन्हें पुणे वॉरियरर्स इंडिया टीम में शामिल किया था, लेकिन वो 6 मैच में 16.66 की औसत से महज़ 100 रन ही बना पाए थे। साल 2013 में वो दोबारा पुणे टीम में शामिल होने जा रहे थे, लेकिन भारत के ख़िलाफ़ चौथे टेस्ट मैच में चोटिल होने की वजह से उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। क्लार्क ने आईपीएल को इतना तवज्जो इस लिए नहीं दे पाए क्योंकि बतौर कप्तान उनके पास ऑस्ट्रेलियाई टीम की ज़िम्मेदारी थी और वो अंतरराष्ट्रीय करियर पर ज़्यादा ध्यान देना चाह रहे थे। 8 अगस्त 2015 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
#1 रिकी पॉन्टिंग
रिकी पॉन्टिंग की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। 17 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने 27 हज़ार से ज़्यादा रन बनाए हैं। टेस्ट में उनका औसत 51.85 और वनडे में 42.03 है। वो क्रिकेट के किसी भी फ़ॉर्मेट में खेलने के लिए तैयार रहते थे। 10 आईपीएल मैच में उन्होंने 10.11 की औसत से महज़ 90 रन बनाए थे। ‘पंटर’ के नाम से मशहूर इस ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने कंगारू टीम को 2 बार वर्ल्ड कप दिलाया है। वो टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में 2 अर्धशतक लगाया है, जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 98* था। साल 2008 में उन्होंने केकेआर की तरफ़ से आईपीएल में डेब्यू किया था, साल 2013 में वो मुंबई इंडियस के लिए खेले थे। इसके बाद साल 2015 और 2016 में वो मुंबई टीम के कोच बन गए थे। साल 2018 के आईपीएल में वो दिल्ली डेयरडेविल्स टीम की कोचिंग करते हुए नज़र आएंगे। लेखक- तान्या रुद्र अनुवादक – शारिक़ुल होदा