ये कहना ग़लत नहीं होगा कि पैसा सभी की ज़रूरत होती है चाहे वो आम आदमी हो या कोई बड़ा क्रिकेटर। क्रिकेट की दुनिया में नाम, शोहरत और पैसा ये सारी चीज़ें एक साथ खिलाड़ियों को हासिल होती हैं। खास कर देशों में प्रीमीयर लीग शुरू होने के बाद तो खिलाड़ियों के हाथ मानो अलादीन का चिराग लग गया हो। इसका एक जीता जागता उदाहरण भारत में चल रहा आईपीएल है, जहां सीनियर खिलाड़ी हों या युवा सबको पैसों के लिए कभी सोचना नहीं पड़ता। पर एक ऐसा देश है जहां खिलाड़ी प्रीमीयर लीग खेल तो रहे हैं पर उससे मिलने वाली रकम के लिए तरस रहे हैं। जी हाँ आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं। बात सामने तब आई जब इस प्रीमीयर लीग की एक टीम का कप्तान अपने युवा खिलाड़ियों को पैसे के बारे में जवाब देते देते इतना थक गया कि उसने अपना मोबाईल फोन ही बंद कर दिया। बात हो रही है बांग्लादेश में चल रही ढाका प्रीमियर लीग की। बांग्लादेश में पहली बार हुए बीपीएल में पहले ही खिलाड़ियों को उनका भुगतान करने में बोर्ड असमर्थ रहा था और डीपीएल की वजह से बोर्ड एक बार फिर परेशानी में फंसता नज़र आ रहा है। कई लोकल खिलाड़ी हैं जिन्हें डीपीएल में खेलने पर अभी तक तय की गई रकम का 30% ही भुगतान हो पाया है जो उन्हें टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही मिला था और बाकी के भुगतान का अब तक कोई अता पता नहीं है। एक हफ्ते पहले बीसीबी के अध्यक्ष नजमुल हसन ने टूर्नामेंट में भाग लेने वाले सभी क्लबों को 72 घंटों की एक तय सीमा प्रदान की थी, जिसपर किसी क्लब ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। क्लब ने बीसीबी की बात को अनसुना कर दिया जिससे सारी ज़िम्मेदारी बोर्ड के ऊपर आ गई। अब बोर्ड को अब अपने फ़ंड से खिलाड़ियों को ये पैसे चुकाने पड़ेंगे। इसमें कई ऐसे भी खिलाड़ी हैं जो छोटे क्रिकेट कोचिंग स्कूल क्लब से आते हैं जिन्हें अपनी रकम का मात्र 8% ही भुगतान हो पाया है। इस पर टीम के कप्तान राजिन सालेह ने कहा “मेरे सभी खिलाड़ियों को लाख-लाख रुपये ही मिले और बस फिर कुछ भी नहीं। हमें कोई अंदाज़ा नहीं है कि हमारे बाकी के पैसों का क्या होगा मिलेगा भी या नहीं। बीसीबी के अधिकारियों ने मुझे कॉल करके हालत का जायज़ा लिया था पर उसके बाद अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई है”। राजिन ने कहा “मैं डीपीएल में 31 सालों से खेल रहा हूँ और इससे खराब सीज़न मैंने आज तक कभी नहीं देखा था। मैंने हमेशा सिर्फ इसी लीग का इंतज़ार किया जिसकी वजह से मैं कहीं और नहीं खेला। मेरे टीम के सभी खिलाड़ी काफी युवा हैं लगभग 18-19 साल के, सभी मुझे रोज़ कॉल किया करते हैं और अपने पैसों के बारे में पूछा करते हैं मैं भी इन सब से काफी परेशान हो गया हूँ और इसकी वजह से अपना फोन भी बंद कर दिया है। आखिर मैं उन्हें क्या जवाब दूँ, जबकि मुझे खुद नहीं पता कि हमें हमारा पैसा कब मिलेगा”। खिलाड़ियों के इस हालत को देखते हुए बोर्ड अब भी खामोश बैठा है और उधर वो खिलाड़ी पैसों की तंगी की वजह से बदहाल होते जा रहे हैं।