सालों तक मना करने के बाद आखिरकार भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी राष्ट्रीय डोपिंग निरोधी एजेंसी (नाडा) के दायरे में आने का फैसला कर लिया है। खेल सचिव राधेश्याम जुलानिया ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी से शुक्रवार को मुलाकात के बाद राधेश्याम जुलानिया ने कहा कि बोर्ड ने लिखित में दिया है कि वह नाडा की डोपिंग निरोध नीति का पालन करेगा।
जुलानिया ने पीटीआई को बताया कि अब सभी क्रिकेटरों का डोप टेस्ट नाडा करेगी। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई ने हमारे सामने तीन मसले रखे जिसमें डोप टेस्ट किट्स की गुणवत्ता, पैथोलॉजिस्ट की काबिलियत और नमूने इकट्ठे करने की प्रक्रिया शामिल थी। हमने उन्हें आश्वासन दिया कि वे जो भी सुविधाएं चाहते हैं, हम प्रदान करेंगे, लेकिन इसके लिए कुछ शुल्क देना होगा।
इससे पहले भी खेल मंत्रालय लगातार कहता आया था कि बीसीसीआई को नाडा के अंतर्गत आना होगा। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका ए और महिला टीमों के दौरों की मंजूरी रोक दी गयी थी जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि बीसीसीआई पर नाडा के दायरे में आने के लिए दबाव बनाने के मकसद से ऐसा किया गया है।
बीसीसीआई के नए रुख से यह स्पष्ट होता है कि जौहरी को उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) से इस मसले पर मंजूरी मिल चुकी थी। इससे पहले मार्च में, बीसीसीआई ने नाडा और आईसीसी के साथ एक सशर्त समझौते में शामिल होने के लिए सहमति व्यक्त की थी। हालांकि, जुलानिया ने यह स्पष्ट कर दिया था कि बोर्ड मंत्रालय की सहमति के बिना किसी सरकारी संस्था के साथ किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता है।
बीसीसीआई के नाडा के दायरे में आने के साथ ही अब आरटीआई से सहमत होने की संभावना भी अधिक हो गयी है। हालाँकि इस विषय पर पूछे जाने पर जौहरी ने कहा “आरटीआई मुद्दा एक अलग विषय है। जौहरी ने कहा कि यह आज की बैठक के एजेंडे में नहीं था।"
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