सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बीसीसीआई नज़रंअंदाज़ नहीं कर सकती: जस्टिस लोढ़ा

सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को अभी तक लागू ना करने की वजह से भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस आर एम लोढ़ा ने बीसीसीआई और COA पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और इसके लिए बीसीसीआई और COA दोनों को जिम्मेदार ठहराया। पूर्व मुख्य न्यायधीश ने यह भी बता दिया कि बीसीसीआई और सुप्रीम कोर्ट में अब कोई वार्ता सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा "अभी तक सब कुछ पहले जैसा ही है, सुझावों को अभी तक अमल में नहीं लाया गया है जो बिल्कुल सही नहीं है। अभी लगभग 1 साल हो चुका है लेकिन अभी तक सर्वोच्च न्यायालय की बातों को नहीं माना गया है। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। लोढ़ा के अनुसार बिना वजह के जिस प्रकार देर हो रही है इसके लिए COA भी काफी हद तक जिम्मेदार है। उन्होंने आगे कहा कि COA को उसी समय सर्वोच्च न्यायालय की बातें को लागू कर देना चाहिए था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। यह दुर्भाग्य की बात है कि COA ने सुप्रीम कोर्ट के बजाय अपने सुधारों को लागू किया। आईपीएल 2013 के बाद बीसीसीआई पर मैच फिक्सिंग, सट्टेबाजी और भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगे। इस सब को देखते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने COA का गठन किया, जिसका काम बीसीसीआई में में नये बदलाव करने थे। COA कई सुझाव भी दिए जिसे मानने से बीसीसीआई ने मना कर दिया। COA की सिफारिशों के ना मानने की वजह से सुप्रीम कोर्ट पहले ही बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को उनके पद से बर्खास्त कर चुका है। लोड़ा ने COA के सदस्य रामचंद्र गुहा के इस्तीफे पर भी कहा कि यह इशारा है कि यहाँ काम करने में बाधा आती है। उनका मानना है कि समिति अपने कार्यों से भटक गयी है और दुसरे कार्य में ध्यान लगा रही है जो उसका है ही नहीं। समिति कुछ समय से अपने कार्यों का अनदेखा कर रही है। उन्हें उम्मीद है कि बोर्ड अब जल्द ही लोढ़ा समिति के सुझावों को लागू करेगा।