सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से संबंधित मामले, जिसमें उसके संविधान में संशोधन शामिल है, की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच करेगी। यह बेंच 9 अगस्त 2018 को पहले जजमेंट का हिस्सा रही है।
यह सुनवाई बीसीसीआई की याचिका के संबंध में है, जो बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह सहित बोर्ड के अधिकारियों के कार्यकाल से संबंधित अपने संविधान में संशोधन चाहता है। यह याचिका राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई ऑफिस में लगातार कार्यकाल के बीच जरूरी कूलिंग-ऑफ पीरियड को दूर करने के लिए दायर की गई थी।
याचिका पर बुधवार को कार्यवाही के दौरान भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमन ने मामले को जस्टिस चंद्रचूड़ को सौंपा, जो 2018 के आदेश को पारित करने वाली बेंच का हिस्सा थे। इससे पहले एक आदेश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ पारित किया था। इसमें से पूर्व दो जज रिटायर हो चुके हैं।
जस्टिस हिमा कोहली और सीटी रविकुमार सहित तीन सदस्यीय बेंच की अध्यक्षता करने वाले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने बुधवार को ध्यान दिलाया, 'मैं डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जज की बेंच का गठन कर रहा हूं, जो इसकी सुनवाई करेगा।'
जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर शीर्ष न्यायालय ने बीसीसीआई के संविधान को मंजूरी दी थी कि कोई अधिकारी, जिसने राज्य क्रिकेट संघ या फिर बीसीसीआई में तीन साल के दो लगातार कार्यकाल पूरे किए, उसे जरूरी तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना पड़ेगा। इसके बाद ही वो दोबारा ऑफिस में कोई पोजीशन हासिल कर पाएगा।
ध्यान दिला दें कि बीसीसीआई ने कूलिंग ऑफ पीरियड को खत्म करने और अपने नए प्रस्ताव में संविधान से राज्य सरकार की शर्तों को अलग करने की बात की। इससे सौरव गांगुली और जय शाह को अपनी ऑफिस भूमिका जारी रखने का मौका मिलेगा बावजूद इसके कि उन्होंने राज्य सरकार और बीसीसीआई को मिलाकर छह साल लगातार काम किया है।
जहां गांगुली ने कैब अध्यक्ष का पद हासिल कर रखा था, वहीं जय शाह ने बीसीसीआई से पहले गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन में अपनी सेवाएं दी थीं।