सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा समिति की सिफारिशों ने बीसीसीआई को उलझन की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। कोर्ट ने पहले सदस्यों के तीन वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद की स्थिति पर ध्यान रखा था लेकिन सिफारिशों के अनुसार छह वर्ष की अवधि के बाद कोई अधिकारी चुनाव नहीं लड़ सकता, इसका सीधा मतलब है कि बोर्ड में नए चेहरे आएंगे। आदेश लागू होने पर बीसीसीआई के ट्रेजरार अनिरुद्ध चौधरी, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो जाएंगे। आदेश अगले चार सप्ताह में लागू होना है। कई लोगों ने इस पर चिंता जताई है लेकिन सीके खन्ना ने इसे सकारात्मक बताते हुए स्वागतयोग्य कहा है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की व्याख्या करनी होगी। कुछ चीजें असंतोषजनक हैं जिनके लिए वापस कोर्ट का दरवाजा खटकटाया का सकता है। नए संविधान के अनुसार प्रबंधन के कुछ ही सदस्य चुनाव लड़ने के योग्य रहेंगे और बोर्ड को कुछ नए चेहरे लाने होंगे। अपेक्स कोर्ट ने यह पाया था कि बोर्ड के किसी सदस्य को हटाने की जरुरत नहीं होगी। इससे यह उम्मीद जगी थी कि प्रबन्धन के सदस्य बोर्ड को चलाने का एक और मौका प्राप्त करेंगे। कूलिंग ऑफ़ (तय समय के बाद हटाने) की प्रक्रिया में 9 साल अधिकतम होने के एक और क्लोज के कारण बीसीसीआई के अधिकारी उलझन की स्थिति में हैं। जो नियम बोर्ड में लागू होना है वही राज्य इकाइयों में भी लागू होगा। अगले कुछ समय में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने की प्रक्रिया पूरी होगी इसलिए बोर्ड के अधिकारी सभी उलझनों सुलझाने पर काम कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट में फिर से जाकर क्या दलीलें पेश करती है और कोर्ट का क्या निर्णय आता है।