बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तत्काल सुनवाई की मांग

बीसीसीआई ने नियमों में संसोधन की अनुमति मांगी है
बीसीसीआई ने नियमों में संसोधन की अनुमति मांगी है

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर बोर्ड के संविधान के छह नियमों में संशोधन की मंजूरी के लिए एक याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। इस मामले की सुनवाई अब अगले हफ्ते की शुरुआत में होने की संभावना है। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और सचिव जय शाह का कार्यकाल इस साल सितम्बर में समाप्त होने वाला है।

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मौजूदा नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट निकाय या किसी भी संयोजन में पदाधिकारी रहा है, उसे कार्यालय में अधिकतम छह साल के कार्यकाल के बाद अनिवार्य रूप से 3 साल की कूलिंग अवधि से गुजरना पड़ता है। इस अवधि के दौरान, वे न तो किसी राज्य निकाय या बीसीसीआई में पद धारण कर सकते हैं। यह प्रभावी रूप से बीसीसीआई के वर्तमान पदाधिकारियों को अगले तीन वर्षों के लिए बीसीसीआई या किसी भी राज्य बोर्ड में किसी भी पद पर रहने से रोक देगा।

बोर्ड अध्यक्ष बनने से पहले सौरव गांगुली साल 2014 से बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यश थे। वहीँ जय शाह गुजरात क्रिकेट संघ में 2013 से पदाधिकारी थे। सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में संशोधन और उनको पद से हटाने सम्बन्धी कोई निर्णय नहीं दिया था, इसलिए दोनों का कार्यकाल विस्तार में है। इससे पहले 2019 में बोर्ड की एजीएम में नियमों में संसोधन के लिए प्रस्ताव लाया गया था।

बीसीसीआई का संविधान 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत बनाया गया था, जो कि न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद राजनीतिक प्रभाव को हटाने और पेशेवर खिलाड़ियों को खेल निकाय के नियंत्रण की अनुमति देने के लिए बनाया गया था। इसी के कारण बोर्ड अध्यक्ष के रूप में सौरव गांगुली की नियुक्ति हुई थी जो पूरी तरह से क्रिकेट जगत से आने वाला नाम था।

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Edited by निरंजन
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