रणजी ट्रॉफी 2022 (Ranji Trophy) का फाइनल मुकाबला मुंबई और मध्य प्रदेश के बीच बेंगलुरु में खेला जा रहा है। इस अहम मुकाबले के लिए डीआरएस की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसी वजह से कई जानकारों सवाल भी उठाये थे। हालाँकि अब इस घटनाक्रम को लेकर बीसीसीआई के एक अधिकारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि फाइनल मुकाबले में डीआरएस का इस्तेमाल महंगा पड़ता। साथ ही आगे यह भी कि डीआरएस के होने से बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि देश के सर्वश्रेष्ठ अंपायर्स मैच में अंपायरिंग कर रहे हैं।
बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है और ऐसे में अगर बोर्ड किसी सुविधा का उपयोग न करने के पीछे, पैसों को वजह बताता है तो यह बात हजम नहीं होती है और कई लोगों ने सवाल भी खड़े किये हैं।
बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि फाइनल में डीआरएस का इस्तेमाल किया जाता, तो इसे लीग स्टेज में भी किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा,
हम अपने अंपायरों पर विश्वास करते हैं। डीआरएस का उपयोग करना एक महंगा अभ्यास है। खर्चे बढ़ जाते हैं। फाइनल में डीआरएस नहीं है तो क्या फर्क पड़ता है? अब समय आ गया है कि हम अंपायरों पर भरोसा करें। भारत के दो बेहतरीन अंपायर (केएन अनंतपद्मनाभन और वीरेंद्र शर्मा) इस खेल में अंपायरिंग कर रहे हैं। और अंतिम परिणाम क्या है? अगर आप फाइनल में इसका इस्तेमाल करते हैं, तो आप इसे रणजी ट्रॉफी के लीग चरण में भी पेश करना चाहेंगे।
मुंबई के बल्लेबाज सरफ़राज़ खान एलबीडबल्यू की करीबी कॉल में बच गए
दरअसल फाइनल मुकाबले के पहले दिन मुंबई के लिए शानदार फॉर्म में चल रहे बल्लेबाज सरफ़राज़ खान के खिलाफ एक जोरदार एलबीडबल्यू की अपील हुई लेकिन वह आउट नहीं दिए। कई लोगों का मानना था कि डीआरएस की मौजूदगी में यह फैसला गेंदबाज के पक्ष में जाता। ऐसे सरफ़राज़ को आउट न दिया जाना फाइनल मुकाबले में निर्णायक साबित हो सकता है। खबर लिखे जाने तक यह बल्लेबाज अपने शतक के करीब था और मुंबई ने पहली पारी में 300 रनों के आंकड़े को पार कर लिया था।