भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की पूर्व टीम डेक्कन चार्जर्स के पक्ष में मध्यस्थता पुरस्कार के खिलाफ अपील जीत ली है। BCCI ने जुलाई 2020 के पुरस्कार को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में 4800 करोड़ रूपये का भुगतान करने के लिए कहा था। यह मामला सितंबर 2012 में डेक्कन चार्जर्स होल्डिंग लिमिटेड के साथ फ्रेंचाइजी समझौते को समाप्त करने के बीसीसीआई के फैसले से संबंधित है, जिसे हैदराबाद की टीम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने तब सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सीके ठक्कर को मामले में एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किया था। पिछली जुलाई में मध्यस्थ ने निष्क्रिय आईपीएल टीम के पक्ष में 4800 करोड़ रुपये के पुरस्कार का निर्णय दिया।
इसके बाद उम्मीद थी कि बीसीसीआई इस मध्यस्थता अवॉर्ड के खिलाफ अपील करेगी और ऐसा ही हुआ। बीसीसीआई के एक पधाधिकारी ने कहा कि बीसीसीआई के लिए यह बड़ी राहत है। मध्यस्थता पुरस्कार 5000 करोड़ रुपये के करीब था और यह बहुत बड़ा था। हम माननीय न्यायालय के आभारी हैं।
बोर्ड के एक वकील ने कहा है कि मध्यस्थता पुरस्कार अस्थिर था। फ्रेंचाइजी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया था और मुआवजे की मांग की थी। पुरस्कार को बरकरार नहीं रखा जा सकता था।
बुधवार (16 जून) को न्यायमूर्ति गौतम पटेल की अध्यक्षता वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सीके ठक्कर के अवॉर्ड के फैसले को रद्द कर दिया और कहा कि निष्क्रिय हैदराबाद टीम के लिए 4814.67 करोड़ का मुआवजा अवैध था।
विवाद तब पैदा हुआ जब एन श्रीनिवासन की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स के अनुबंध को उनके 10 साल के फ्रैंचाइज़ी समझौते के बाद पांच साल में समाप्त कर दिया और सन टीवी को हैदराबाद की फ्रैंचाइज़ी दी। आईपीएल की आठ संस्थापक टीमों में से एक डेक्कन चार्जर्स ने टर्मिनेशन को चुनौती दी थी। सन टीवी के आने से टीम का नाम सनराइजर्स हैदराबाद रख दिया गया।