90 के मध्य में डेमियन फ्लेमिंग ग्लेन मैग्रा के उम्दा जोड़ीदार थे। फ्लेमिंग प्राकृतिक स्विंग गेंदबाज़ थे। उनकी लेट स्विंग गेंदें बल्लेबाजों को परेशानी में डाल देती थीं।
फ्लेमिंग वनडे में ऑस्ट्रेलिया के स्ट्राइक गेंदबाज़ थे। उनके अंदर विकेट लेने की क्षमता थी। दुर्भाग्यवश उन्हें चोट ने काफी परेशान किया जिससे उनका करियर चौपट हो गया था।
11) ग्लेन मैक्ग्रा-पिजन
ग्लेन मैक्ग्रा ऑस्ट्रेलिया के फ्रंटलाइन तेज गेंदबाज़ थे। लम्बे कद के सीम गेंदबाज़ मैक्ग्रा को उनकी लाइन और लेंथ के लिए आज भी याद किया जाता है। उनकी सटीक लाइन बल्लेबाजों के काफी खतरनाक होती थीं।
वह बहुत तेज गेंद नहीं फेंकते थे, लेकिन उनकी सटीक दिशा से लगातार बल्लेबाज़ परेशानी में रहते थे। पिजन नाम उन्हें विकेट लेने के लिए कहा गया था।
मैक्ग्रा की गेंदबाज़ी में काफी ज्यादा आक्रामकता थी। वह एक भी रन देना नहीं पसंद करते थे। बल्लेबाज़ी में कुछ खास नही थे, वह हमेशा 11वें नम्बर पर बल्लेबाज़ी किया करते थे।
12th मैन
एडम गिलक्रिस्ट-गिली
एडम गिलक्रिस्ट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी आक्रमक बल्लेबाज़ी के लिए मशहूर रहे हैं। वह ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज़ थे। गिली पूरी तरह से एक मैच जिताऊ खिलाड़ी थे।
हैण्ड-ऑई कोआर्डीनेशन से स्ट्रोक खेलने वाले गिली मैदान में दर्शकों की संख्या बढ़ा देते थे। वह विपक्षी टीम से मैच को काफी दूर लेकर चले जाते थे।
नोट- मैंने गिली को बतौर कीपर टीम में नहीं चुना है। इसकी वजह वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 21वीं सदी में ज्यादा चमके हैं।
बेंच स्ट्रेंथ
ऑस्ट्रेलिया के पास कई और स्ट्रोक प्लेयर रहे हैं, उनमें डेमियन मार्टिन, स्टुअर्ट लॉ ने भी टीम की सफलता में योगदान किया है। माइकल स्लेटर में कमाल की स्ट्रोक खेलने की क्षमता थी। उनमें विशेष प्रतिभा थी।
टॉम मूडी, शेन ली और ब्रेंडन जुलियन भी कमाल के आलराउंडर हुआ करते थे। ऑस्ट्रेलिया के पास बेंच में अच्छे गेंदबाज़ भी रहे हैं। माइकल कास्प्रोविच, एडम बिकल और एडम डेल जैसे गेंदबाज़ टीम में खेले थे।
90 के आखिरी दौर में ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ब्रेट ली, मैथ्यू हेडन, डेमियन मार्टिन ने करियर शुरू किया था। हालाँकि ये लोग बाद में टीम का नियमित सदस्य रहे। डेविड बून, डीन जोंस, एलन बॉर्डर, मर्व ह्यूज और क्रेग मैकडरमोट ने 90 के बीच अपने करियर को खत्म किया था। इसलिए हमने उन्हें अपनी टीम में जगह नहीं दी है।