क्रिकेट का सबसे नया और सबसे छोटा फॉर्मेट यानी टी-20 क्रिकेट ने अन्य सभी क्रिकेटिंग फॉर्मेट्स को पीछे छोड़ दिया है। पूरे दुनिया में यह छा गया है और आईपीएल से लेकर बीबीएल और कैरेबियन प्रीमियर लीग तक इसने करोड़ों दर्शकों को स्टेडियम में आने के लिए आकर्षित किया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चलने वाली इन लीगों ने क्रिकेट की मरती हुई दुनिया को एक नया जीवन देने का काम किया है। हालांकि कई बार यह भी कहा जाता है कि यह टेस्ट और वनडे क्रिकेट को खाता जा रहा है। हालांकि यह बहस का विषय है और इस पर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। मेरे ख्याल से क्रिकेट के सभी फॉर्मेट एक दूसरे के पूरक हैं और इन सब के बिना क्रिकेट की दुनिया अधूरी है। इसलिए अब हर द्विपक्षीय सीरीज में टेस्ट और वनडे के साथ-साथ टी-20को भी शामिल किया जाता है, ताकि सीरीज को संपूर्णता प्रदान की जा सके। बहरहाल, भारतीय टीम ने अब तक कुल 88 टी-20 मैच खेला है, जिसमें उसने 61.04% मैचों यानी 52 मैचों में जीत हासिल की है। इस दौरान भारत ने पहले टी-20 विश्व कप पर भी कब्जा जमाया। इस दौरान भारतीय टीम ने टी-20 मैचों में कुछ रोमांचक मुकाबले भी खेलें हैं। तो आज चर्चा टी-20 के ऐसे ही कुछ रोमांचक मुकाबलों की, जिसमें एक टीम भारत थी। भारत बनाम इंग्लैंड (दूसरा टी-20 मैच, नागपुर 2017) 2016-17 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान मेजबान टीम पहला टी-20 मैच हार गई थी और दूसरा भी मैच लगभग हारने के कगार पर थी। लेकिन डेथ ओवर स्पेशलिस्ट जसप्रीत बुमराह के अंतिम ओवरों की गेंदबाजी से भारतीय टीम यह रोमांचक मैच जीत सकी। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम 20 ओवर में सिर्फ 144 रन ही बना पाई थी। इसमें आधे रन लोकेश राहुल के थे, जिन्होंने शानदार 71 रनों का योगदान दिया था। 145 रन के मामूली लक्ष्य का पीछा कर रही इंग्लिश टीम को आशीष नेहरा ने तीन शुरूआती झटके दिए। इसके बाद अब सारी जिम्मेदारी बुमराह के कंधों पर थी। बुमराह को अंतिम ओवर में केवल 7 रन डिफेंड करना था। बुमराह ने भी जबरदस्त गेंदबाजी करते हुए सिर्फ 2 रन दिए और क्रीज पर टिके 2 खतरनाक बल्लेबाजों जो रूट और बटलर को आउट किया। इस तरह भारत ने सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली। इस जीत से मेजबानों के आत्मविश्वास में जबरदस्त बदलाव आया और तीसरे मैच में मेहमानों को आसानी से हराकर सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमा लिया।
2. भारत बनाम वेस्ट इंडीज (पहला टी-20 मैच, लॉडरहिल, 2017) टेस्ट सीरीज में वेस्टइंडीज को 2-0 से आसानी से हराने के बाद भारतीय टीम टी -20 के लिए अमेरिका में थी। पहले ही मैच में एविन लुईस के विस्फोटक शतक की मदद से वेस्ट इंडीज ने 20 ओवरों में 245 रन का एक विशाल स्कोर खड़ा किया। लोकेश राहुल के शतक की बदौलत भारत एक समय मैच जीतने की ओर था और अंतिम गेंद पर भारत को 2 रन की जरूरत थी। लेकिन महेंद्र सिंह धोनी आखिरी गेंद पर शॉर्ट थर्ड मैन पर कैच आउट हो गए। भारत न सिर्फ मैच हारा, बल्कि उसे सीरीज में भी हार का सामना करना पड़ा।
यह विश्व कप के इतिहास के सबसे रोमांचक मैचों में से एक था। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने रॉबिन उथप्पा के अर्धशतक की बदौलत 141/9 का संघर्षपूर्ण स्कोर खड़ा किया। भारत द्वारा दिए गए 142 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तानी टीम पारी के 19वें ओवर तक मैच में बनी हुई थी। लेकिन पारी के अंतिम ओवर में पाकिस्तानी टीम दबाव में बिखरगई और अंतिम गेंद पर मिस्बाह-उल-हक अंतिम रन नहीं बना सके, इस तरह यह मैच टाई हो गया। तत्कालीन नियमों के हिसाब से अब मैच का फैसला बॉल आउट से होना था। भारत के पहले तीनों गेंदबाज वीरेंदर सहवाग, उथप्पा और हरभजन सिंह तीनों ने विकेट पर सटीक निशाना लगा कर मैच को भारत के पक्ष में कर दिया। वहीं पाकिस्तान के गेंदबाज एक भी मौके पर भी स्टंप नहीं उखाड़ सके। इस तरह इस नाटकीय मैच में टीम इंडिया ने रन और विकेट से नहीं बल्कि फुटबॉल के तर्ज पर 3-0 से जीत दर्ज की।
भारत 2016 में पहली बार आईसीसी वर्ल्ड टी-20 की मेजबानी कर रहा था। मेजबान टीम के सुपर फॉर्म को देखते हुए भारतीय टीम को टूर्नामेंट का पसंदीदा दावेदार माना जा रहा था। हालांकि उसे पहले ही मैच में न्यूजीलैंड के हाथों बड़े हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए वह बंग्लादेश के खिलाफ मैच से पहले दबाव में थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 20 ओवरों में संघर्षपूर्ण 146/7 का स्कोर बनाया। बांग्लादेश इस लक्ष्य की ओर आसानी से बढ़ रही थी। अंतिम ओवर में बंग्लादेश को जीत के लिए 11 रन की आवश्यकता थी। मुशफिकर रहीम ने पहले तीन गेंदों पर नौ रन बनाए। इस तरह बंग्लादेश को अंतिम तीन गेंदों पर सिर्फ 2 रन ही बनाने थे। लेकिन युवा हार्दिक पांड्या के करिश्माई गेंदबाजी और एम एस धोनी के सूझ-बूझ से भारतीय टीम ने बंग्लादेश को यह 3 रन नहीं बनाने दिए। भारत को आखिर तीन गेंदों पर तीन विकेट मिले और भारत ने महज एक रन से शानदार जीत हासिल की। महेंद्र सिंह धोनी द्वारा आखिरी गेंद पर मुस्तफिजुर रहमान को रन आउट करना भारतीय क्रिकेट के लिए एक यादगार पल था और इसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
यह मैच पिछले एक दशक में भारत द्वारा खेले गए सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक था। इस जीत ने भारतीय क्रिकेट में एक नई जान फूंकी थी, जो 2007 के विश्व कप में हार के बाद निराशा के दौर से गुजर रही थी। इस जीत ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए भी एक नींव तैयार किया, जो आज नंबर 1 ग्लोबल क्रिकेट लीग बन गई है। इस मैच में भारत के 157 रन के स्कोर के जवाब में पाकिस्तानी टीम की पारी उतार चढ़ाव से भरी हुई थी। अंतिम ओवर तक मैच दोनों तरफ झुका हुआ था और किसी भी तरफ जा सकता था। जब धोनी ने अंतिम ओवर के लिए जोगिन्दर शर्मा को गेंद सौंपी तो एक दफा लगा कि मैच भारत के हाथ से फिसल गया। लेकिन मुकद्दर के सिकंदर माने जाने वाले धोनी ने शायद उस दिन के मुकद्दर को पढ़ ही लिया था। मिस्बाह उल हक द्वारा फाइन लेग पर खेला गया शॉट जिस वक्त श्रीसंत के हाथों में गया, उसी वक्त भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया था। भारत पहले टी-20 विश्व कप की विजेता थी और आने वाले समय में दुनिया पर राज करने जा रही थी।
मूल लेखक - कार्तिक रामलिंगम अनुवादक एवं संपादक - सागर