भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली विश्व क्रिकेट के श्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं। उनके खेल की किताब में सभी प्रकार के शॉट और नेतृत्व करने की क्षमता मौजूद है। कोहली ने शुरू से ही अपने खेल में आक्रामकता दिखाई है और टीम को नियंत्रित करने में परिपक्व नेतृत्व भी दर्शाया है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन के साथ ‘द टेलीग्राफ को दिए एक साक्षात्कार में दिल्ली के इस बल्लेबाज के व्यक्तिगत जीवन और करियर से संबंधित कुछ दिलचस्प जवाब देखने को मिले हैं। फैंस द्वारा उनकी तुलना किसी खिलाड़ी से करने के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देता। उन्होंने खुद की तुलना महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से करने के सवाल पर जवाब देते हुए कहा “जब मैंने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया तो मेरी तुलना तेंदुलकर से की गई लेकिन यह चूना और पनीर जैसी तुलना है। लोग कहते हैं कि आप उनके कीर्तिमान तोड़ सकते हो। मुझे लगता है, मैं ही क्यों? जब टीम में 10 और खिलाड़ी हैं तो मुझे ही ऐसा क्यों कहा जाता है।“ कोहली ने आगे कहा “मैं जब बाउंड्री पर खड़ा होता हूं तो लोग मुझे शतक बनाने के लिए कहते हैं। तब मैं सोचता हूं कि एक समय के कालखंड के दौरान मैंने वो मानक बनाए हैं।“ वॉन ने यह जानना चाहा कि भारतीय दर्शकों के ध्यानाकर्षण को वे कैसे संभालते हैं तब कोहली ने जवाब दिया कि यह भारतीय क्रिकेटरों के लिए सामान्य बात है। कोहली के अनुसार “भारतीय दर्शक यह फील करने की कोशिश करते हैं कि आप असली हो या नहीं। मुझे वर्ल्ड टी20 में ऑस्ट्रेलिया से मैच के दौरान दर्शकों की प्रतिक्रिया याद है। वो मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे मैं रोशनी के बहाव में चल रहा हूं।“ ‘सचिन ने मुझे ड्रिंक के लिए पूछा’ कोहली ने अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर से 2008 में हुई पहली मुलाक़ात के बारे में कहा “सचिन को अंडर 19 टीम के बारे में बोलने के लिए कहा गया था, मुझे उनका बोला गया कोई शब्द याद नहीं है क्योंकि मैं सिर्फ उन्हें देखता रहा। आप किसी व्यक्ति को देखकर क्रिकेट खेलना शुरू करें और उनके जैसा बनना चाहें तब कुछ भी वर्णन नहीं कर पाते।“ कोहली ने बताया कि कुछ वर्षों बाद वे इस मास्टर ब्लास्टर के साथ ड्रिंक के लिए गए। भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान ने कहा “यह एक भारतीय परंपरा है कि आप सीनियर के सामने ड्रिंक और पार्टी नहीं करते। सचिन ने मुझे पूछा तो मैंने मना किया, लेकिन वो अपनी बात पर कायम रहे, उसके बाद मैंने कहा कि मैं चार आइस क्यूब लूंगा। उसके बाद सब कुछ सामान्य हो गया।“ ‘खुद के साथ एकांत में कुछ समय बिताना विश्व की सबसे अच्छी चीज है’ कोहली ने कहा कि वे अकेले समय बिताना पसंद करते हैं। अपने इंग्लैंड दौरे के बारे में उन्होंने कहा कि वे अकेले घूमने निकल जाते थे। तब लोग उन्हे देखकर चले जाते थे। भारतीय कप्तान के अनुसार “मैं जब बाहर खेलने जाता हूं तो कुछ घंटों के लिए घूमने निकाल जाता हूं। इंग्लैंड में भी मैं घूमने जाता था। क्रिकेट खेलने वाले देशों में लोग आपको पहचान लेते हैं, लेकिन आपकी तरफ इशारा करके चले जाते हैं। यह अच्छा होता है कि कोई आपके जीवन में दखल नहीं देता।“ ‘एक समय बिस्तर की चादर खाने का मन करता था’ माइकल वॉन ने जब कोहली को फिटनेस के मामले में विश्व के फिट क्रिकेटरों में से एक करार दिया, तो उन्होंने कहा कि आपको क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में खेलने के लिए एक रूटीन बनाना जरूरी होता है। कोहली के अनुसार “2012 के आईपीएल में संघर्ष का कारण मेरा मोटापा था। तब मेरा वजन 12 या 13 किलो अधिक था। मैंने जब फिटनेस के लिए मेहनत की तब डाइट में कमी की, इसके बाद मुझे इतनी भूख लगती थी कि रात को सोते समय बिस्तर की चादर खाने का मन करता था।“ ‘मैं चाहता हूं कि भारतीय टीम सबसे अधिक फिट हो’ कोहली से जब आने वाले समय में टीम से उपलब्धि के बारे में सवाल किया तो उनका कहना था कि मैं भारतीय टीम को सबसे फिट टीम के रूप में देखना चाहता हूं। कोहली के अनुसार “मैं चाहता हूं कि भारतीय टीम विदेशों में सीरीज जीते। मैं यह नहीं चाहता कि हम एक टेस्ट मैच जीतकर बोलें कि हमने इतिहास रच दिया। मैं भारतीय टीम को सबसे अधिक फिट टीम देखना चाहता हूं, जो खेल भी अच्छा खेले। ‘मुझे लगता है कि क्रिकेट ने मुझे चुना’ कोहली ने वॉन को क्रिकेट के अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताया “मुझे लगता है कि क्रिकेट ने मुझे चुना, जब से मैंने होश संभाला, मेरे हाथों ने क्रिकेट के बल्ले को ही थामा। मैंने कभी किसी दूसरे खेल के बारे में सोचा ही नहीं। मैंने RNS लारसन्स का बल्ला खरीदा, जो 1000 रुपए का था और यह मेरे जीवन का पहला बल्ला था। मेरे पास उस बल्ले के साथ अभी भी तस्वीरें मौजूद है।“ ‘कभी-कभी आपको खुद फैसले लेने होते हैं’ इस भारतीय रन मशीन ने 2014 में इंग्लैंड दौरे के खराब समय के बाद सचिन द्वारा की गई मदद के बारे में कहा “इंग्लैंड से आने के बाद मैं 10 दिन के लिए मुंबई गया, वहां तकनीक को लेकर सचिन ने मेरी मदद की। मैं क्रीज़ में आई गेंद को खेलने के लिए असमंजस में रहता था, ऐसे मैं बहुत लंबे समय तक क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी से बात करना जरूरी होता है और मैंने वही किया।“ ‘मैंने जश्न मनाना बंद कर दिया’ मैदान पर खुद को शांत रखने के सवाल पर भारतीय कप्तान ने कहा “शुरुआत में कोई उपलब्धि मिलने पर जश्न मनाता था लेकिन बाद में मुझे लगा, कि यह सब तो मुझे करना ही है तो इतनी उत्तेजना क्यों? इसके बाद मैंने ऐसा करना बंद कर दिया।“