पूर्व भारतीय ऑलराउंडर कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़, पंजाब में हुआ। वह भारत के अब तक के सबसे सफल ऑलराउंडर हुए हैं। कपिल दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज थे, जो अपने बेहतरीन एक्शन और आउटस्विंगर के लिए जाने जाते थे। अपने अधिकांश करियर के दौरान वह भारत के प्रमुख स्ट्राइक गेंदबाज रहे हैं। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में हरियाणा क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया इसलिए इन्हें 'द हरियाणा हरिकेन' के उपनाम से भी पहचाना जाने लगा।
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कपिल देव ने अपना टेस्ट पर्दापण 1978 में किया। अपने 16 साल के टेस्ट करियर में उन्होंने 131 मैच खेले, जिसकी 227 पारियों में 29.65 की औसत से 434 विकेट अपने नाम दर्ज किए। उनका गेंदबाजी में बेस्ट प्रदर्शन एक पारी में 83 रन देकर 9 विकेट लेना रहा। यह कारनामा उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 1983 में अहमदाबाद में किया था। बतौर बल्लेबाज कपिल ने 184 पारियों में 5248 रन 31.05 की औसत से बनाए । इस बीच उन्होंने 8 शतक व 27 अर्धशतक भी अपने नाम किये। कपिल देव ने 225 वनडे मैच खेले । उन्होंने बल्लेबाजी में 3783 रन व गेंदबाजी में 253 विकेट लिए।
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कपिल देव के नाम दर्ज हैं शानदार रिकॉर्ड :
● कपिल देव इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने 4,000 टेस्ट रन और 400 टेस्ट विकेटों के आंकड़े को हासिल किया है।
● उन्होंने अपने करियर में सबसे ज्यादा 184 परिया बिना रन आउट हुए खेली हैं, जो कि एक शानदार रिकॉर्ड है।
● वह एक टेस्ट पारी में 9 विकेट लेने वाले एकमात्र कप्तान हैं।
● उन्होंने एक हारे हुए मैच की किसी पारी में सर्वाधिक विकेट अपने नाम किये हैं। उनका पारी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 83 रन देकर 9 विकेट रहा।
● विश्व कप इतिहास में नंबर 6 या निचले क्रम में सबसे ज्यादा रन (175*) बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज है।
● वनडे मैच में छठे नम्बर पर बल्लेबाजी करते हुए सबसे ज्यादा 138 गेंदे खेलने का सयुंक्त रिकॉर्ड (नील मैक्कलम के साथ) इनके नाम है।
भारत को बनाया विश्व विजेता
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1983 का विश्वकप 60 ओवरों का खेला गया। भारतीय टीम को एक कमजोर प्रतिद्वंद्वी के तौर पर आँका जा रहा था। कपिल देव की कप्तानी मे टीम ने कई बड़े उलटफेर किये और टीम को फाइनल में पहुँचाया। विश्वकप का फाइनल मैच भारत और वेस्टइंडीज के बीच लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर 25 जून 1983 को खेला गया।यह वेस्टइंडीज के लिए लगातार तीसरा विश्व कप फाइनल था। इसमें भारत ने कपिल देव की कप्तानी में विंडीज को 43 रनों से हराकर पहली बार विश्व कप का खिताब जीता था।