आज यानी 13 अगस्त को क्रिकेट जगत के एक ऐसे खिलाड़ी का जन्मदिन है जिसे रफ्तार का बादशाह कहा जाता है। वह अब क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और अपनी दूसरी पारी कमेंटेटर के तौर पर शुरू कर चुके हैं। उनके नाम दुनिया में सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड दर्ज है। अब तो आप समझ ही गए होगे कि यहां किसकी बात हो रही है। जी हां, मैं पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर की चर्चा कर रहा हूं। वे 14 साल तक क्रिकेट के हर प्रारूप में खेले और अपनी गेंदबाजी की रफ्तार से बल्लेबाजों को डराया भी। 161.3 किलो मीटर की तेजी से गेंद फेंकने वाले वे दुनिया के अब तक अकेले गेंदबाज हैं। यह कारनाम उन्होंने 2003 विश्व कप के पूल मैचों में किया था। आज उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियों पर नजर डालते हैं। शोएब ने अपनी गेंदबाजी में इमरान, वकार और वसीम के स्टाइल को कॉपी किया 1997 में पाकिस्तान किक्रेट को शोएब के रूप में एक 22 साल का लड़का मिला था। तब किसी को नहीं पता था कि एक दिन दुनिया उसे रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से जानेगी। हालांकि पाकिस्तान के भावी प्रधानमंत्री और तब क्रिकेट जगत के दिग्गज हरफनमौला इमरान खान की बालों ने उन्हें इतना प्रेरित किया कि इस खिलाड़ी ने क्रिकेट को ही अपना करिअर बना लिया। वसीम अकरम और वकार युनूस की गेंदबाजी स्टाइल ने उन्हें तेंज गेदबाज बनने का माद्दा दिया। शोएब ने अपनी गेंदबाजी में इन तीनों ही दिग्गजों के स्टाइल को समाहित किया था। जब शोएब को पता चला कि वकार के बाएं हाथ की एक अगुंली नहीं है शोएब अकसर अपनी गेंदबाजी में वकार के स्टाइल को कॉपी करते थे। उनके गेंद छोड़ने के तरीके से वे काफी प्रभावित थे। उन्होंने एक कार्यक्रम में बताया था कि कैसे वे बिना ये जाने कि वकार के बाएं हाथ में एक अगुंली नहीं है, अख्तर उनकी गेंदबाजी की कॉपी किए जा रहे थे। एक दिन जब शोएब ने वकार से पूछा कि आप गेंद फेंकते समय अपनी हाथों को पूरी तरह क्यों नहीं खोलते, तो वकार ने जवाब दिया कि उनकी बाएं हाथ की छोटी अगुंली नहीं है। वाकर ने बताया कि वो इस कमी का भारपूर फायदा उठाते हैं। उस दिन शोएब को लगा कि जीवन में किसी भी काम के लिए एक हीरो का होना बेहद जरूरी है। अपनी कमजोरी को ताकत बनाने वाले वकार ने उन्हें काफी कुछ सिखाया। ट्रायल देने जाने के लिए पैसे नहीं थे तो बस की छत पर बैठ कर पहुंचे लाहौर शोएब ने अपने जीवन की एक संघर्ष भरी दास्तां सुनाते हुए बताया था कि एक दोस्त ने उन्हें बताया कि लाहौर के मॉडल टाउन के नवाब मैदान में पाकिस्तान इंटरनेशनल एअरलाइंस (पीआईए) के लिए ट्रॉयल का आयोजन किया गया है। उस समय वहां जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। वे लाहौर वाली बस पर बैठ तो गए लेकिन जब कंडक्टर ने टिकट के पैसे मांगे तो उनकी जेब मे एक रुपया भी नहीं था। उन्होंने बस की छत पर बैठकर लाहौर जाने का फैसला किया। हालांकि कंडक्टर अब भी बिना पैसे के उन्हें ले जाने को राजी नहीं था। अंत में जब बस चली तो शोएब चुपके से उसकी छत पर चढ़ गए। उन्होंने कहा कि कोई भी बस उनकी रफ्तार से तेज नहीं है। पांच हजार खिलाड़ियों के बीच दौड़ कर बना गेंदबाज किसी तरह लाहौर के नवाब मैदान पर पहुंचने के बाद शोएब ट्रायल के लिए आए खिलाड़ियों की संख्या देख कर ही हैरान हो गए। लगभग 5000 हजार खिलाड़ी ट्रायल के लिए लाइन में खड़े थे। कुछ घंटो के बाद जब शोएब की बारी आई तो सामने जहीर अब्बास को देख कर उन्हें समझ ही नहीं आया कि वे क्या करें। उन्होंने बगैर कुछ सोचे मैदान पर दौड़ना शुरू कर दिया। उन्हें लगा कि जहीर को प्रभावित करने का यही सही तरीका है। मैदान के पांच चक्कर लगाने के बाद जहीर ने उन्हें रोका और पूछा तुम हो कौन ? शोएब ने जवाब दिया, मैं एक तेज गेंदबाज हूं और यहां एक मौके कि तलाश में आया हूं। जहीर ने कहा, चलो देखते हैं कि तुम क्या कर सकते हो। शोएब ने 50 यार्ड का रनअप लेते हुए बल्लेबाज को पहली गेंद बाउंसर की और वो गेंद उसके हैलमेट में लगी। अगली गेंद बल्लेबाज की पसली में लगी। जहीर ने पूछा, ये कौन पागल गेंदबाज है, तो किसी ने जवाब दिया रावलपिंडी का एक और पागल लड़का। जहीर ने उन्हें सलेक्ट कर लिया और पांच सौ रुपए भी दिए। विकेट ज्यादा नहीं चटकाए लेकिन रफ्तार से खौफजदा थे बल्लेबाज शोएब पहले ऐसे गेंदबाज हैं जिन्होंने 100 मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की। यह कारनामा उन्होंने अपने करिअर में दो बार किया। 1997 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले शोएब ने तीन महीने बाद ही एक दिवसीय में भी जगह बना ली थी। उनके नाम 46 टेस्ट में 178 विकेट और 163 एक दिवसीय मैचों में 247 विकेट दर्ज है। 15 टी-20 मैचों में खेलने वाले इस तेज गेंदबाज के नाम 19 विकेट हैं। विकेट चटकाने के मामले में वे दिग्गजों से काफी पीछे हैं लेकिन बल्लेबाज उनसे खौफ खाते थे। यहां तक की सचिन तेंदुलकर को भी उन्होंने खूब परेशान किया है।