क्रिकेट के सभी प्रारूपों के मुकाबले टी-20 क्रिकेट सबसे ज्यादा देखा जाने वाला प्रारूप है। बहुत से क्रिकेट पंडितों का मानना है कि इसकी अतिलोकप्रियता से क्रिकेट अन्य फॉर्मेट को नुकसान पहुंचेगा। दुनिया भर में आज के समय में बहुत सारी टी-20 लीग हो रही हैं। जिसमें सबसे लोकप्रिय आईपीएल है। साल 2008 में शुरू हुए इस लीग ने पूरी दुनिया के क्रिकेट फैन्स का मनोरंजन किया है। फैन्स अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेटरों के साथ खेलते हुए देखते हैं। कल्पना कीजिये कि यदि इस लीग में 1990 के दशक के खिलाड़ी खेलते तो इसमें कितना रोमांच होता है। हाँ ये बात सही है कि ये खिलाड़ी आईपीएल में अन्य भूमिका में किसी न किसी टीम से जुड़े हैं। वह चाहे कोच हैं या मेंटर। लेकिन उन्हें मैदान पर खेलते देखना कितना अच्छा होता। #1 वसीम अकरम वसीम अकरम को गेंद का जादूगर कहा जाता था। बतौर खिलाड़ी वह सोने की तरह बहुमूल्य हैं। बिना किसी शक के वह क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बाएं हाथ के तेज गेंदबाज़ हैं। उन्हें स्विंग का सुल्तान का कहा जाता है। वह यॉर्कर, बाउंसर, स्विंग और असमान तेजी के मास्टर गेंदबाज़ थे। पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने 356 वनडे मैचों में 502 विकेट लिए थे। जहाँ उनकी इकॉनमी मात्र 3.89 थी। वह न सिर्फ विकेट लेते थे, वह रन देने में भी काफी कंजूस थे। वह किसी भी कप्तान के लिए सम्पूर्ण गेंदबाज़ थे। 1992 के विश्वकप में अकरम ने इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन गेंदबाज़ी की थी। अकरम के पास गेंदबाज़ी के कई तरीके थे और निचले क्रम में वह रन बनाने में भी माहिर थे। आईपीएल में अभी वह बतौर कोच जुड़े हैं। #2 कर्टली एम्ब्रोस 1990 में वेस्टइंडीज के प्रदर्शन में लगातार गिरावट हुई थी। 80 के दशक में जिस टीम ने दुनिया भर में अपना लोहा मनवाया हुआ था। उनके यहाँ दिग्गज तेज गेंदबाज़ हुए थे। लेकिन फिर भी उनके पास 90 के दशक कर्टली एम्ब्रोस जैसे डरावने गेंदबाज़ थे। एम्ब्रोस न सिर्फ लम्बे कद के तेज गेंदबाज़ थे, वह चालाक और कंजूस गेंदबाज़ भी थे। उन्होंने 3.48 के इकॉनमी रेट से 176 वनडे में 225 विकेट लिए थे। इससे पता चलता है कि उनकी गेंदे कितनी खतरनाक होती हैं। एंटीगुआ के इस खिलाड़ी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1993 में पर्थ टेस्ट में 1 रन देकर 7 विकेट लिए थे। यद्यपि भारत की गैर बाउंसी विकेट पर भी एम्ब्रोस अपने कद 6 फीट 7 इंच का उपयोग करके कमाल कर सकते थे। वह ऐसे गेंदबाज़ थे जो किसी भी बल्लेबाज़ के नाक में दम कर सकते थे। खासकर घरेलू क्रिकेटरों को उन्हें खेलने में काफी दिक्कत होती। #3 हीथ स्ट्रीक ज़िंबाबवे की तरफ से खेलने वाले हीथ स्ट्रीक विश्वस्तरीय खिलाड़ी थे। 90 के दशक में वह काफी अच्छे आलराउंडर हुआ करते थे। अगर एंडी फ्लावर दोनों फॉर्मेट के बेहतरीन बल्लेबाज़ थे तो हीथ स्ट्रीक ज़िंबाबवे की पूरी गेंदबाज़ी का भार अपने कंधे पर 2005 तक ढोते रहे थे। बुलावायो में पैदा हुए स्ट्रीक के ऊपर ज़िम्बाब्वे की पूरी गेंदबाज़ी निर्भर करती थी। हीथ अपनी टीम की गेंदबाज़ी आक्रमण के मुख्य अगुआ थे। उन्होंने वनडे में 3000 के करीब रन 28 के औसत से बनाये थे। जिससे ये पता चलता था कि वह काफी सक्षम खिलाड़ी थे। वह विकेट भी लेते थे और मैदान पर अपनी टीम का नेतृत्व भी आगे बढ़कर करते थे। उन्होंने ज़िम्बाब्वे की टीम के लिए पानी पर चलने के बजाय सबकुछ किया। स्ट्रीक ने 189 वनडे मैचों में 239 विकेट लिए थे। जबकि उनके देश का क्रिकेट प्रबन्धन काफी खराब था। एक बेहतरीन आलराउंडर होने की वजह से स्ट्रीक की डिमांड आईपीएल में काफी होती। #4 सक्लेन मुश्ताक 1990 के दशक में सक़लैन मुश्ताक पाकिस्तानी टीम के अहम अंग हुआ करते थे। वह पहले स्पिनर थे, जिन्होंने दूसरा गेंद का इजाद किया था। जिसके बाद मुथैया मुरलीधरन और हरभजन सिंह ने इसे अपना अचूक हथियार बनाया। सक्लेन ने बिना एक्शन बदले दूसरा गेंद से काफी विकेट लिए थे। उन्होंने मात्र 169 वनडे मैचों में 288 विकेट लिए थे। उनका औसत पर मैच 1.70 विकेट का था। सक्लेन डेथ ओवर में भी काफी प्रभावी रहे हैं। उनके पास बल्लेबाजों को आउट करने के कई तरीके थे। वह दिग्गज मुरलीधरन की वजह से विश्वक्रिकेट में उतने नहीं सराहे गये। लेकिन फिर भी वह अपने युग के महान स्पिनरों में से एक थे। आईपीएल में आर आश्विन, अमित मिश्रा और सुनील नरेन की सफलता को देखते हुए सक्लेन भी आईपीएल में काफी सफल साबित होते। #5 जवागल श्रीनाथ यद्यपि भारत ने दुनिया को शीर्ष स्तर के कई बल्लेबाज़ और स्पिनर दिए हैं। लेकिन तेज गेंदबाज़ी में भारत थोड़ा पीछे रहा है। फिर भी जवागल श्रीनाथ भारत के बेहतरीन तेज गेंदबाज़ थे। जहाँ बहुत से तेज गेंदबाज़ आये और गये तो वहीं श्रीनाथ भारतीय क्रिकेट की सेवा तकरीबन एक दशक तक करते रहे। कपिल देव के संन्यास के बाद श्रीनाथ ने भारतीय तेज गेंदबाज़ी का नेतृत्व किया। उन्होंने साल 2003 के विश्वकप में भारतीय टीम की सफलता में अहम योगदान दिया। श्रीनाथ ने 229 मैचों में 315 विकेट लिए थे। वह कपिल देव के भारत के महान तेज गेंदबाज़ साबित हुए। अपना दिन होने पर कर्नाटक ये गेंदबाज़ किसी भी बल्लेबाज़ी कर्म को ध्वस्त कर सकता था। अपनी इनस्विंग और कटर से डेथ ओवर में कमाल के गेंदबाज़ साबित होते थे। #6 एलन डोनाल्ड अगर लांस क्लूजनर 1999 में दक्षिण अफ्रीका के सेमीफाइनल में पहुँचने के हीरो थे, तो एलन डोनाल्ड का ऐन मौके पर रनआउट हो जाना प्रोटेस के लिए किसी सदमे से कम नहीं था। लेकिन इस वजह से डोनाल्ड का दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट में जो योगदान था वह भुलाया नहीं जा सकता है। वह अपने युग के खतरनाक गेंदबाजों में शामिल थे। जैक्स कालिस और शान पोलाक के अपने चरम पर आने से पहले डोनाल्ड अफ़्रीकी टीम के मुख्य गेंदबाज़ सभी प्रारूपों में थे। उनके अंदर गेंद को दोनों तरफ मूव कराने की क्षमता थी। उनसे बल्लेबाज़ खौफ खाते थे। हालाँकि वह कई बार चोटिल भी हुए थे। लेकिन वह उससे उबरकर अच्छा प्रदर्शन करते रहे थे। डोनाल्ड को “द वाइट लाइटिंग” ने 164 वनडे मैचों में 272 विकेट लिए थे। उन्होंने हर मैच में 1।65 विकेट लिए थे। ऐसे में वह आईपीएल में किसी भी टीम के लिए फायदे का सौदा साबित होते। #7 डैरेन गाफ़ क्रिकेट के इतिहास में कई तेज गेंदबाज़ हुए हैं। जिनमें कई लम्बे कद काठी के रहे और उनकी गेंद में असामान्य उछाल रहा है। लेकिन डैरेन गाफ़ का कद उतना नहीं था और न ही उनकी गेंदों में ग्लेन मैकग्रा की तरह उछाल ही था। लेकिन फिर भी इंग्लैंड का ये गेंदबाज़ काफी प्रभावशाली था। साथ ही वह दोनों प्रारूपों में तकरीबन एक दशक तक टीम के लिए खेलते रहे। हालाँकि चोट की वजह से उनका करियर काफी प्रभावित हुआ था। उनकी गेंदों में विविधता थी, स्विंग भी उनकी प्रभावशाली थी। गाफ़ ने टीम में अपनी जगह बल्लेबाजों की तरह गेंदबाज़ी के अगुवा की तरह बनाई थी। उनका अच्छा साथ एंड्रू कैडिक ने दिया था। इन दोनों ने लम्बे समय तक गेंदबाज़ी साझीदारी निभाई थी। आज के समय में उन्हें क्रिकेट इतिहास के महान तेज गेंदबाजों में शामिल किया जाता है। गाफ़ ने 58 टेस्ट में 229 विकेट लिए थे और 159 वनडे में 235 विकेट लिए थे। ऐसे में वह आईपीएल में किसी टीम के लिए फायदे का सौदा हो सकते थे। #8 वकार युनिस पाकिस्तान के एक और स्विंग के सुल्तान वकार युनिस अपने समय में दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज़ थे। वकार का नाम आते ही इनस्विंग यॉर्कर जो पैरों में घुसती हैं। उनकी याद ताज़ा हो जाती है। उनकी गेंदों में अजब की तेजी होती थी। जब वह गेंदबाज़ी के लिए आते थे, तो बल्लेबाज़ के स्टंप उड़ने के मौके बढ़ जाते थे। उनका गेंदबाज़ी रनअप देखते ही बनता था और सामने बल्लेबाज़ असहाय नजर आता था। वसीम अकरम के साथ वह दुनिया के किसी भी बल्लेबाज़ी क्रम ध्वस्त कर देते थे। वकार जब फॉर्म में होते थे तो उन्हें दुनिया का अच्छे से अच्छा बल्लेबाज़ नहीं खेल पाता था। यद्यपि उनकी गेंदों पर रन भी बन जाया करते थे। फिर भी उन्होंने 262 वनडे में 416 विकेट लिए थे। उनकी एक्सप्रेस यॉर्कर गेंदें फ्रैंचाइज़ी मालिकों को रिझाने में कामयाब रहती। वह अपने कप्तान के लिए मैच जिताऊ गेंदबाज़ साबित होते। #9 डेमियन फ्लेमिंग डेमियन फ्लेमिंग ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में बड़े ही शानदार अंदाज में किया था। उन्होंने दोनों प्रारूपों में 300 के करीब विकेट लिए थे। लेकिन उनका करियर चोटों से भरा रहा। जिसकी वजह से वह बहुत ही कम अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल पाए थे। फ्लेमिग ने 88 वनडे में 134 विकेट लिए थे। हालाँकि जब वह पूरी तरह से फिट होते थे, उनकी यॉर्कर बड़ी खतरनाक होती थी। लेकिन वह मैक्ग्रा की वजह से कम आंके गये थे। लेकिन फ्लेमिंग का प्रदर्शन लाजवाब होता था। फ्लेमिंग को 1999 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेमीफाइनल में आखिरी रोमांचक ओवर डाले जाने के लिए याद रखा जाता है। लांस क्लूजनर ने उनकी पहली दो गेंदों को सीमा के पार भेजा था। उसके बाद फ्लेमिंग ने दो डॉट गेंदें डाली और एलन डोनाल्ड को रनआउट कर दिया। फ्लेमिंग की क्षमता को देखते हुए वह आईपीएल के मुफीद खिलाड़ी साबित होते। खासकर वह वनडे में डेथ ओवर में बेहतरीन गेंदबाज़ी करते थे। जिसका कमाल आईपीएल में दभी देखने को मिलता। #10 कर्टनी वाल्श कर्टनी वाल्श ऐसे पहले तेज गेंदबाज़ थे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 500 से अधिक विकेट लिए थे। जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद किया जाता रहेगा। वेस्टइंडीज का ये गेंदबाज़ 90 के दशक का सितारा गेंदबाज़ था। उनका ऊंचा लम्बा कद इसमें काफी मददगार साबित हो रहा था। 1984 में डेब्यू करने वाले वाल्श ने लम्बे समय तक वेस्टइंडीज की गेंदबाज़ी का जिम्मा संभाला था। साल 2001 में विंडीज के पूर्व कप्तान वाल्श ने अपने 17 साल टेस्ट क्रिकेट के सफर में 5000 से ज्यादा ओवर फेंकने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। इससे उनकी शारीरिक उर्जा का पता लगाया जा सकता है। एम्ब्रोस के साथ वाल्श की गेंदबाज़ी साझेदारी लम्बे समय तक चली थी। वाल्श ने 132 टेस्ट में 519 और 205 वनडे में 227 विकेट लिए थे। आंकड़ों से साफ़ पता चलता है कि वाल्श ने वनडे के मुकाबले टेस्ट में अच्छी सफलता हासिल की थी। हालाँकि वाल्श का वनडे में इकॉनमी रेट 4 था। जिसकी वजह से वह आईपीएल का हिस्सा बन सकते थे। लेखक: प्रवीण, अनुवादाज: मनोज तिवारी