‘पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग कराने में मोहम्मद शमी को हासिल है महारत’

टीम इंडिया मौजूदा दौर की सबसे बेहतरीन टीम मानी जा रही है। चाहे टेस्ट मैच हो, वनडे या फिर टी20 ये टीम तीनो ही फ़ॉर्मेट में अपना दबदबा बनाये हुई है। पिछले कुछ दशकों से इस टीम की सबसे बड़ी ताकत इसकी बल्लेबाज़ी रही है और गेंदबाजी इसकी सबसे बड़ी कमजोरी पर अब यानी मौजूदा दौर में ये टीम दुनिया भर भर अपने गेंदबाज़ों की वजह से जानी जा रही है। हाल ही में इस टीम इंडिया ने अपना 500वां ऐतिहासिक टेस्ट मैच खेला और उसमें जीत हासिल की है। टीम इंडिया की इस जीत का हीरो कोई बल्लेबाज़ नहीं बल्कि दाएं हाथ का ऑफ़ स्पिनर गेंदबाज़ आर अश्विन रहा। अश्विन ने भारत के ऐतिहासिक 500वें टेस्ट में पहली पारी में बल्ले से 40 रन बनाए थे और गेंद से 4 विकेट झटके, जबकि दूसरी पारी में इस ऑफ़ स्पिनर ने 6 विकेट लेते हुए भारत को बड़ी जीत दिलाई। अश्विन ने मैच में 10 विकेट झटके, जो उनके करियर का पांचवां 10 विकेट हॉल है। अश्विन के साथ-साथ दो और गेंदबाज़ भी थे जिन्होंने इस ऐतिहासिक टेस्ट मैच में अपनी गेंदबाजी से अहम मौकों पर विकट हासिल कर टीम के सर जीत का सेहरा बाँधा जिसमें एक थे रविंदर जडेजा और दूसरे गेंदबाज़ थे मोहम्मद शमी। हालांकि ये पिच स्पिनरों के लिए मददगार थी पर शमी ने अहम मौके पर विकट निकालकर ये साबित कर दिया कि पिच चाहे जो भी हो उनकी कला को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। शमी की सफल गेंदबाजी का मुख्य कारण उनकी शानदार कला रिवर्स स्विंग थी जिसकी बदौलत उन्होंने अहम मौके पर बीजे वाटलिंग को चलता किया और भारत को मैच में वापस ला दिया। शमी के इस शानदार हुनर पर टिप्पणी देते हुए उनके कोच बराउद्दीन ने कहा “शमी ने इस शानदार कला को हासिल करने के लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत की है। उन्हें बचपन से ही तेज़ गेंदबाज़ बनने का शौक था। पहले वो नयी गेंद से गेंदबाजी किया करते थे पर इस कला को हासिल करने के लिए उन्होंने पुरानी गेंद से गेंदबाजी करनी शुरू कर दी जिसमें अब उन्हें महारत हासिल है”। “उसने अकसर कई टूर्नामेंट में पुरानी गेंद से गेंदबाजी की है और मैच खत्म होने के बाद वो उस पुरानी गेंद को अपने पास रखा लिया करता था और युवा बच्चों के साथ अभ्यास में उस गेंद का इस्तेमाल किया करता था। रिवर्स स्विंग कराने की उसकी काबिलियत प्राकृतिक है जिसपर उसने काफी मेहनत की है”।

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