क्रिस गेल की हाल में आई ऑटोबायोग्राफी "सिक्स मशीन" में उन्होने यह खुलासा किया हैं कि ब्रायन लारा को डर था कि वो उनका 400 रनों का कीर्तिमान ना तोड़ दें। जमैका के इस बल्लेबाज़ ने अपने टेस्ट करियर में दो ट्रिपल सेंचुरी लगाई। उन्होने कहा, "जब मैंने 2005 में एंटिगा में साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहली बार 317 रन बनाए, तब लारा की नज़र लगातार स्कोरबोर्ड की तरफ थी और वो काफी चिंतित भी नज़र आ रहे थे कि कहीं मैं उनका वो रिकॉर्ड न तोड़ दू"। "कुछ बल्लेबाज़ होते हैं जिनको रिकॉर्ड की चिंता होती हैं। ब्रायन लारा ने उस मैच में 4 रन बनाए और जब वो आउट हुए तो ड्रेसिंग रूम में जाकर बुक पढ़ने लगे। अक्सर वो उस इनिंग्स के दौरान बालकनी में आ रहे थे और स्कोर देखके वापस अंदर जा रहे थे। उस वक़्त रामनरेश सरवन उन्हें देख रहे थे और उन्हें देखकर काफी हैरन भी थे, क्योंकि वो जितनी बार भी स्कोर देखने आते थे, उतनी ही बार ज्यादा चिंतित दिखते थे"। क्रिस गेल ने बताया कि उस पारी के दौरान ब्रायन लारा ने उनके प्रति कोई प्रोत्साहन नहीं दिखाया और ना ही उस वक़्त मुझसे कुछ कहा। गेल ने कहा, "जब मैं लंच और चाय के लिए आया, तब भी उन्होने मुझसे बात नहीं की और ना ही कोई सलाह दी, ना ही मेरे प्रदर्शन के बारे में कुछ कहा। जब मैं वापस बल्लेबाज़ी करने गया, तो भी वो बाहर आते और मेरे स्कोर की तरफ नज़र डालते और फिर से चिंतित नज़र आते"। गेल ने यह भी बताया कि मैं हमेशा से इस खेल को एंजॉय करता हूँ और दर्शकों को खुश करने के लिए खेलता हूँ। "मैं एक सिक्स मशीन हूं, मेरे सबसे ज्यादा रन हैं, सबसे अच्छी औसत। ब्रायन लारा से ज्यादा वनडे सेंचुरी, इयान बॉथम से ज्यादा टेस्ट मैचिस, क्लाइव लॉयड से ज्यादा टेस्ट मैच। मैं हर एक दिन को एंजॉय करता हूँ और सबको खुश रखने कि कोशिश करता हूँ। इस धाकड़ बल्लेबाज़ ने यह बात भी साफ कि लोगों का मानना है कि वो एक अड़ियल क्रिकेटर हैं। "लोगों को मेरे खेलने के तरीके से ऐसे लगता हो कि मैं ऐसा हूँ"। मैं बहुत सारे शॉट्स खेलता हूँ और कई बार मैं आउट भी हो जाता हूँ, लोगों को लगता हो कि मुझे आउट होने से फर्क नहीं पढ़ता। क्या पता टीवी पर ऐसा दिखता हो, या फिर जिस तरह से हमे सिखाया गया हो। मैं अपने शॉट्स खेलता हूँ और आउट हो जाता हूँ। मैं अगर 40 पर भी आउट हो जाऊ, तब भी लोग यहीं कहेंगे की मुझे फर्क नहीं पढ़ता"। इस गेम से प्यार के बारे में उन्होने कहा, "एक क्रिकेटर के तौर पर मैदान के बीच में रहने से मुझे ताकत मिलती हैं। अगर मैं बल्लेबाज़ी नहीं कर सकता, तो मुझे गेंद के दों, मैं उससे प्रदर्शन करूंगा"। लेखक- अभिनव , अनुवादक- मयंक महता