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ब्रिटिश अखबार ने रविचंद्रन अश्विन पर लगाया अभद्र टिप्पणी करने का आरोप

सत्य, साफ, जवाबदेह आदि सिर्फ शब्द ही नहीं बल्कि पत्रकारिता को परिभाषित करने वाले नियम है। इस पेशे के लिए यह सब सामान्य अध्याय है। इसके अलावा अधिकतम सुर्खियां बटोरने के लिए फिर किसी भी हद तक जाया जा सकता है या किसी भी सीमा को बेपरवाह होकर लांघा जा सकता है, जो अक्सर देखने को मिल रहा है। सवाल यह भी है कि अचानक यह सब बातें कैसे और कहां से आने लगी, तो उसके भी कुछ कारण हैं क्योंकि पत्रकार भी किसी गेटकीपर की तरह मुद्दे की बात न करके मसाला ढूँढने की कोशिश करते हैं और ऐसा नजरिया दर्शाते हैं, जिसे पढ़कर या देखकर लोग चर्चाओं का बाजार गरम कर दें। पत्रकारों का कार्य पारदर्शी तरीके से सच्चाई को पेश करना है, जो कहीं न कहीं दूर होता जा रहा है। भारतीय टेस्ट क्रिकेट कप्तान विराट कोहली के बारे में अनावश्यक बातें फैलाने वाले ब्रिटिश अखबार ठीक उसी प्रकार कुछ नए आरोपों के साथ आया है, इस बार अखबार ने भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को निशाना बनाया है। अखबार ने अश्विन पर इंग्लैंड के गेंदबाज जेम्स एंडरसन के लिए खराब और भद्दे शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाया। मुंबई टेस्ट के तीसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद जेम्स एंडरसन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा "मुझे नहीं लगता कि विराट कोहली के खेल में कोई बदलाव आया है। तकनीकी गलतियां उन्होंने यहां नहीं की। विकेट में उतनी गति नहीं है, जो हमने इंग्लैंड में स्विंग और गति से उनके साथ किया था।" हम फैसला नहीं बता रहे बल्कि शब्द बता रहे हैं और बाकी चीजें पाठकों पर छोड़ रहे हैं कि वो इस मामले पर क्या सोचते हैं। अगर एक खिलाड़ी मैदान के बाहर कुछ बोलता है, तो उसे जवाब के लिए भी तैयार होना होता है, अश्विन एक शानदार गेंदबाज के साथ ही प्रभावशाली वक्ता भी है, उन्होंने जेम्स एंडरसन को आमने-सामने जवाब देने का फैसला किया। एंडरसन कई मौकों पर इस तरह की बयानबाजी करते रहे हैं, जब उन्हें खुद की तरह जवाब मिलने लगे, तो ब्रिटिश मीडिया हाय तौबा करने लगता है। इंग्लैंड के एक मुख्य अखबार के अनुसार "एंडरसन ने यह कहा था कि उन्होंने कोहली में पिछले कुछ समय के बाद कोई परिवर्तन नहीं देखा जबकि सबसे अधिक विकेट लेने वाले इंग्लैंड के गेंदबाज को अश्विन ने मैदान पर गाली दी। मामले को अनुशासन समिति के पास ले जाना चाहिए, लेकिन यह भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) पर निर्भर करता है कि वह इस पर कोई संज्ञान लेती है या वापस अपने कदम पीछे खींच लेती है।" ब्रिटिश मीडिया सुर्खियों में रहने के लिए विपक्षी टीम के खिलाड़ियों पर समय-समय पर आरोप लगाता रहा है। इससे पहले भी राजकोट टेस्ट के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली पर भी यही अखबार बॉल टेंपरिंग का आरोप लगा चुका है।

Edited by Staff Editor
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