भारत इंग्लैंड के खिलाफ पांचवे टेस्ट में भी जूझता नजर आ रहा है। पहले ही शृंखला गवां चुकी टीम इंडिया के लिए अंतिम मैच नाक बचाने का एकमत्र जरिया है। इसमें मिली जीत शायद उसके जख्मों पर मरहम का काम करे। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा रहा। बल्लेबाज अब भी इंग्लैंड के स्विंग के सामने घुटने टेक रहे हैं। शीर्षक्रम की विफलता तो नासूर बन चुकी है। मध्यक्रम के पास भी मेजबान गेंदबाजों का कोई तोड़ नहीं है। एक विराट कोहली ही हैं जो किसी भी समय टीम के लिए जूझते दिख रहे हैं। उन्होंने इस सीरीज के दौरान बेहतरीन बल्लेबाजी की है। हालांकि ऐसा नहीं है कि भारत का विदेशों में प्रदर्शन खराब रहा है। घरेलू मैदान पर किसी भी टीम को ध्वस्त करने वाली कोहली सेना ने विदेशी पिचों पर भी अपने प्रदर्शन की धाक जमाई है। साथ ही भारतीय बल्लेबाजों ने और ऐसी विकटें जहां गेंद हवा में स्विंग करती हैं, के मुकाबले इंग्लैंड में बेहतर किया है। टेस्ट क्रिकेट में पांच हजार रन का आंकड़ा पार करने वाले उन 11 बल्लेबाजों में से छह ने 40 से ऊपर के औसत से रन बनाए हैं। इन 11 बल्लेबाजों में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रिवड़, सुनिल गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, सौरव गांगुली, जी विश्वनाथ, कपिल देव, मोहम्मद अजहरूद्दीन, वीवीएस लक्ष्मण, विराट कोहली और विरेंद्र सहवाग शामिल हैं। हर दशक में मिला एक नया स्टार भारत के क्रिकेट इतिहास में 1970 के बाद के दौर को देखें तो हर दशक का एक नया सितारा होता था। 70 के दशक में सुनिल गावस्कर भारतीय क्रिकेट सबसे बड़े स्टार हुआ करते थे। वहीं 1980 आते-आते दिलीप वेंगसरकर के रूप में नया सितार भारतीय टीम को मिल गया। 1990 के दौर में मोहम्मद अजहरूद्दीन का जलवा था। हालांकि इनके साथ ही कुछ और बल्लेबाज थे जिन्होंने उस समय अपनी बल्लेबाजी से विरोधियों को खूब छकाया। एक दौर ऐसा भी आया जब भारतीय टीम को तीन स्टार बल्लेबाज एक साथ मिल गए। इनमें मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रिवड़ और सौरव गांगुली शामिल थे। बाद में वीवीएस लक्ष्मण ने भी टेस्ट में अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। आज के समय में विराट कोहली दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शामिल हैं। सचिन ने इंग्लैंड में बनाए 15 सौ से ज्यादा रन सचिन को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। और उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से इसे साबित भी किया है। आज जहां भारतीय टीम का शीर्षक्रम रनों के लिए जूझ रहा हैं वहीं सचिन ने 54 के औसत से इंग्लैंड के खिलाफ 1575 रन बनाए हैं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ प्रति पारी 97 गेंदें खेली हैं। इससे साफ पता चलता है कि वे इंग्लैंड के सामने किसी मजबूती से खड़े रहते थे। उन्होंने अपने करिअर औसत के बराबरी से इंग्लैंड में रन बनाए हैं। हालांकि इस दौरान सचिन को लगभग 50 प्रतिशत मौकों पर पगबाधा या बोल्ड होकर पवेलियन लौटना पड़ा था। द्रविड़ यूं ही नहीं थे दीवार राहुल द्रविड़ को भारतीय क्रिकेट में दीवार के नाम से जाना जाता है। उन्हें यह तमगा विकेट के सामने टिके रहने के कारण मिला था। इंग्लैंड की धरती पर रन बनाने के मामले में सचिन से 200 रन पीछे राहुल ने उनसे सात कम पारियां खेली हैं। हालांकि रन बनाने के औसत में वे सचिन से काफी आगे हैं। उनका करिअर औसत 52 है लेकिन उन्होंने इंग्लैंड की सरजमीं पर 69 की औसत से रन बटोरे हैं। द्रविड़ के नाम यहां कुल 1376 रन हैं। साथ ही उनकी बल्लेबाजी तकनीक इतनी मजबूत थी कि विरोधी महज 22 फीसद बार ही उन्हें बोल्ड या पगबाधा कर पाए हैं। दादा भी किसी से कम नहीं इंग्लैंड की धरती पर करिअर औसत से ज्यादा औसत से रन बनाने के मामले में सौरव गांगुली दूसरे नंबर पर हैं। उनका करिअर औसत 42 है लेकिन इंग्लैंड में उन्होंन 65 के औसत से रन बनाए हैं। इंग्लैंड की धरती पर खेले 15 पारियों में दादा के नाम 915 रन हैं। इस दौरान उन्होंने प्रति पारी लगभग 113 गेंदों का सामना किया है। हालांकि उन्हें 53 प्रतिशत मौकों पर पगाबाधा या बोल्ड होकर ही पवेलियन लौटना पड़ा है। कोहली इंग्लैंड में नहीं बने हैं विराट वैसे तो विराट कोहली की बल्लेबाजी के बारे में कुछ कहना मतलब सूर्य को रोशनी दिखाने के बराबर हैं। लेकिन इंग्लैंड की धरती पर उनका प्रदर्शन थोड़ा धीमा है। उन्होंने अपनी करिअर में अब तक 54.39 के औसत से कुल 6147 टेस्ट रन बना लिए हैं लेकिन इंग्लैंड की सरजमीं पर उनका औसत 38.26 है। यह जताता है कि कोहली का बल्ला यहां उस तेजी से रन नहीं बटोरता जितनी तेजी से अन्य जगह। हालांकि वर्तमाण सीरीज में उन्होंंने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और यही कारण है कि उनके रन बटोरने का औसत बढ़ा है। वर्ना इससे पहले तो उनका औसत लगभग 28 था जो उनके करिअर औसत का आधा है। वेंगसरकर ने भी इंग्लैंड में जमाई धाक दिलीप वेंगसरकर अपने जमाने के दिग्गज क्रिकेटरों में शामिल थे। उन्होंने भी इंग्लैंड की सरजमी पर अपनी बल्लेबाजी से विरोधियों को खूब छकाया है। अपने करिअर औसत 42 रन प्रति मैच से आगे निकलकर उन्होंने अंग्रेजों की सरजमीं पर 48 के औसत से रन बटोरे हैं। वेंगसरकर के 23 पारियों में कुल 960 रन हैं। हालांकि इस मामले में अपने जमाने के तकनीकी रूप से बेहद मजबूत सुनिल गावस्कर पीछे रह गए। गावस्कर ने अपने करिअर में 51 के औसत से रन बनाए लेकिन यहां उनका औसत 41 ही रहा। गावस्कर यहां मजह 21 फीसद मौके पर पगबाधा या बोल्ड होकर पवेलियन लौटे तो वहीं वेंगसरकर इस मामले में भी उनसे बाजी मार गए। 13 फीसद मौकों पर ही विरोधी टीम उन्हें पगबाधा या बोल्ड कर पाई है। कपिल देव का औसत भी इंग्लैंड की सरजमी पर करिअर औसत से बेहतर हैं। उन्होंने इंग्लैंड में जहां 35 के औसत से रन बटोरे तो वहीं उनका करिअर औसत 31 है। ऐसे बल्लेबाज जिनका औसत इंग्लैंड में लुढ़का अपने करिअर में धरल्ले से रन बटोरने वाले कुछ ऐसे दिग्गज भी हैं जिनका बल्ला इंग्लैंड में जाकर थम गया। इसमें सबसे पहला नाम वीवीएस लक्ष्मण का ही लिया जाना चाहिए। कलाई के बेहतरीन बल्लेबाजी लक्ष्मण ने इंग्लैंड की सरजमीं पर 34 के औसत से रन बनाए वहीं उन्होंने अपने करिअर में 46 के औसत से रन बटोरे हैं। इस फेहरिस्त में एक और धाकड़ बल्लेबाज का नाम शामिल है। उन्हें रन मशीन के नाम से भी जाना जाता है। विरेंद्र सहवाग। मुलतान के इस सुलतान का बल्ला इंग्लैंड में नहीं गरजा है। अपने करिअर में 49 के औसत से रन बनाने वाले इस खिलाड़ी ने इंग्लैंड की सरजमीं पर 28 के औसत से रन बटोरे हैं। अजहरूद्दीन भी इंग्लैंड में अपने करिअर औसत से कम में ही रन बनाए हैं। उनका करिअर औसत जहां 45 है वहीं अंग्रेजों की सरजमी पर उन्होंने 42 के औसत से रन बनाए हैं।