क्या एमएस धोनी और आशीष नेहरा 2020 में होने वाले टी20 विश्वकप तक टीम का हिस्सा रह सकते हैं ?

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भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एकदिवसीय सीरीज में 4-1 से हराकर दिखाया कि टीम का पूरा ध्यान इस समय 2019 में होने वाला विश्व कप पर है। हालांकि 50 ओवर के विश्व कप की तैयारी के बीच टीम मैनेजमेंट एक बात को भूल गई कि 2020 में ऑस्ट्रेलिया में टी20 कप भी होना है और कहीं न कहीं उसके ऊपर ध्यान देना उतना ही जरूरी है, जितना कि 2019 विश्व कप के ऊपर देना।

भारत ने 2007 में पहली बार आयोजित कप को अपने नाम किया था, लेकिन उसके बाद से टीम का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं रहा है। भले ही साल 2014 में हम फाइनल और साल 2016 में हमने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन यह बात हर कोई जानता है कि टी20 विश्व कप के लिए हमारी तैयारी कभी भी पूरी नहीं रही है।

हाल में भारत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टी20 के लिए टीम का एलान किया औऱ उसमें कुछ फैसले ऐसे थे, जिनके ऊपर सवाल उठने लाजमी है।

कुछ सवाल जो इस टीम को देखकर उठते हैं वो है :

# क्या यह टीम 2020 में होने वाले विश्व कप में खेलती हुई नजर आएगी?

# क्या आशीष नेहरा और दिनेश कार्तिक की जगह युवा खिलाड़ियों को मौका नही चाहिए था ?

# क्या एमएस धोनी की जगह टीम में किसी युवा विकेटकीपर को मौका नहीं दिया जाना चाहिए था ?

# ऋषभ पंत, बेसिल थम्पी, मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ियों को मौका कब ?

आशीष नेहरा ने 38 साल की उम्र में वापसी की, यह एक उदाहरण है कि अगर खिलाड़ी फिट है, तो वो खेल सकता है। इसके साथ एक सवाल यह भी उठता है कि क्या नेहरा साल 2020 तक ऐसे ही फिट रह पाएंगे, खासकर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि 2020 तक उनकी उम्र 42 साल हो जाएगी। नेहरा की जगह सेलेक्टर्स के पास मौका था कि वो किसी युवा खिलाड़ी को मौका दे, जिन्होंने इस साल प्रथम श्रेणी और आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया।

ऐसा ही कुछ दिनेश कार्तिक के लिए भी कहा जा सकता है कि अब उनका चयन पीछे की तरफ जाने जैसा है। कार्तिक की फॉर्म जिस तरह की है, उसके हिसाब से वो एकदिवसीय टीम के नियमित 4 नंबर के बल्लेबाज बन सकते हैं, लेकिन टी20 फॉर्मेट में अब ज्यादातर युवा खिलाड़ियों को ही मौका दिया जाना चाहिए था, ताकि वो अपनी काबिलियत को ऊंचे स्तर पर भी अच्छे से साबित कर पाए।

हमें उस समय को याद करना चाहिए जब साल 2007 में टीम के अनुभवी खिलाड़ियों ने टूर्नामेंट से नाम वापस लिया था औऱ धोनी की कप्तानी में युवा भारतीय टीम दक्षिण अफ्रिका गई थी। अगर उस समय धोनी को कप्तानी न दी जाती, तो शायद जिस मुकाम पर भारतीय क्रिकेट है, वो नहीं हो पाती।

महेंद्र सिंह धोनी जब तक भारतीय टीम का हिस्सा है, भारत को शायद ज्यादा बदलाव की जरूरत न पड़ें, लेकिन इस समय को भविष्य के लिए टीम बनाने का है। इसकी शुरूआत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज से हो सकती थी, जहां धोनी की जगह शायद ऋषभ पंत को मौका दिया जा सकता था।

पंत ने जबसे घरेलू क्रिकेट में कदम रखा है, उन्होंने अपने प्रदर्शन से इस बात को साबित किया है अगर उन्हें भारत के लिए खेलने का मौका दिया जाए, तो वो भी एक मैचविनर साबित हो सकते हैं।

हालांकि धोनी के रहते उनके लिए टीम में जगह बना पाना काफी मुश्किल ही नजर आता है, लेकिन अगर भविष्य के लिए खिलाड़ियों को तैयार करना है, तो उन्हें मौका दिया जाना काफी जरूरी है। इसका एक अच्छा उदाहरण हाल में ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ खत्म हुई एकदिवसीय सीरीज थी , जहां भारतीय कप्तान विराट कोहली ने धोनी की जगह फिनिशिंग की जिम्मेदारी हार्दिक पांड्या, मनीष पांडे और केदार जाधव जैसे खिलाड़ियों को दी।

इससे न सिर्फ 2019 तक धोनी के ऊपर से अतिरिक्त दबाव हटेगा, बल्कि माही के जाने के बाद टीम के पास उनका विकल्प भी तैयार होगा। यह एक ऐसा कदम था, जोकि काफी समय पहले ही लिया जाना चाहिए था।

धोनी एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं, इसमें किसी को कोई शक नहीं है, लेकिन अगर अभी भी अगर युवा खिलाड़ियों को सही समय पर मौका न दिया जाए, तो कही देर न हो जाए औऱ इसका खामियाजा आने वाले में समय में भुगतना पड़ सकता है।