चेतन सकारिया (Chetan Sakariya) ने सौराष्ट्र को रणजी ट्रॉफी का खिताब जिताने में अपनी अहम भूमिका अदा की। इस सीजन उन्होंने जिस जिम्मेदारी के साथ खेला वो काफी काबिलेतारीफ था। नॉकआउट मुकाबलों के लिए कप्तान जयदेव उनादकट उपलब्ध नहीं थे और उस दौरान सकारिया ने काफी जिम्मेदारी दिखाई।
उनादकट के ना होने से सकारिया टीम के मेन गेंदबाज बन गए और उन्होंने इस मौके का फायदा भी उठाया। सकारिया ने 9 मैचों में कुल 27 विकेट चटकाए और सेमीफाइनल और फाइनल मैच में जबरदस्त प्रदर्शन किया।
मैंने पुरानी गेंद से काफी प्रैक्टिस की - चेतन सकारिया
स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ खास बातचीत में सकारिया ने बताया कि उन्होंने अपनी गेंदबाजी में क्या-क्या बदलाव किए और किस तरह पुरानी गेंद से भी वो उतने ही प्रभावशाली थे। उन्होंने कहा,
मुझे इस साल अपनी कमजोरी के बारे में पता था। मैं नई गेंद के साथ विकेट लेने में माहिर था लेकिन जब बल्लेबाज एक बार सेट हो जाता था और शुरूआती ओवर्स निकाल लेता था तब मैं काफी प्रेडिक्टेबल हो जाता था। इसी वजह से मैंने नेट्स में पुरानी गेंद के साथ काफी ज्यादा प्रैक्टिस किया और ज्यादा कोशिश करके गेंदबाजी की। इस बदलाव की वजह से मुझे पिछले सीजन विकेट चटकाने में काफी मदद मिली।
चेतन सकारिया ने 2021 के श्रीलंका दौरे पर अपना इंडिया डेब्यू किया था लेकिन उसके बाद से दोबारा उनकी वापसी नहीं हुई है। सकारिया के मुताबिक वो शायद इंटरनेशनल लेवल के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थे लेकिन पिछले दो सालों के दौरान जिस तरह का अनुभव उन्हें हासिल हुआ है उससे उनके डेवलपमेंट में काफी मदद मिली है। उन्होंने कहा,
इतनी ज्यादा क्रिकेट खेलने के बाद मुझे ये एहसास हो गया है कि निरंतरता के साथ परफॉर्म करना होगा और डोमेस्टिक क्रिकेट के टॉप गेंदबाजों के पूल में रहना होगा। मुझे ये एहसास है कि जब मैंने अपना इंडिया डेब्यू किया था तब उतना पका हुआ नहीं था लेकिन अब मुझे अपने मजबूत पक्ष और कमजोर पक्ष के बारे में अच्छी तरह से पता है।