क्या राहुल द्रविड़ के नक़्शे क़दम पर चल रहे हैं चेतेश्वर पुजारा ?

"दीवार, श्रीमान भरोसेमंद, ग्रेट वाल ऑफ़ इंडिया, जेंटलमैन ऑफ़ द गेम" जैसे न जाने कितने तमगों से नवाजे गए भारत के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ ने जब क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की तो जैसे भूकंप ही आ गया। उनको चाहने वाले उनके प्रशंसकों के अलावा भारतीय टीम के शुभचिंतकों को भी यही चिंता सताने लगी, कि टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी की धुरी अब कौन होगा? हालांकि उस समय भी सचिन तेंदुलकर, वी वी एस लक्ष्मण, वीरेंदर सहवाग, एम एस धोनी जैसे कई बड़े नाम टीम के साथ जुड़े हुए थे। लेकिन फिर भी सभी का यही मानना था कि टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की बल्लेबाजी की रीढ़ की हड्डी टूट गयी है। टीम में कई बड़े नामों के होते हुए भी ये चिंता इसलिए सही थी, क्योंकि अन्य बड़े बल्लेबाजों सचिन तेंदुलकर, वी वी एस. लक्ष्मण, वीरेंदर सहवाग, एम एस धोनी आदि का करियर भी अब समाप्ति की ओर अग्रसर था। उस समय सभी का यही मानना था कि टीम को द्रविड़ जैसा तो दूर उनके आसपास की भी प्रतिभा वाला कोई खिलाडी मिल जाए तो ये भी बड़ी बात होगी। वैसे तो वन डे में भी टीम को उनकी कमी महसूस होने वाली थी, लेकिन टीम की असल चिंता टेस्ट मैचों में नंबर 3 की पोजीशन को लेकर थी। ये चिंता बेवजह हो ऐसा भी नहीं था, वो वजह थी राहुल द्रविड़ की शानदार पारियां। जो उनके बेमिसाल आंकड़े भी दर्शाते हैं, अपने करियर में उन्होंने 164 टेस्ट मैचों में 52.32 की बेहतरीन औसत के साथ कुल 13,288 रन बनाए। जिसमें 270 रन के सर्वाधिक स्कोर के साथ 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल हैं। उनके 36 शतकों में से 5 तो दोहरे शतक थे। फील्डिंग के दौरान भी उन्होंने 210 लेकर कैच लेते हुए कैच लेने का भी दोहरा शतक बनाया। जब विशेषज्ञ उन्हें वनडे क्रिकेट के अनुकूल खिलाडी नहीं मानते हुए नकार चुके थे। तब उन्होंने न सिर्फ 344 वनडे मैच खेले, बल्कि लगभग 40 की अच्छी औसत और 71 से भी ज्यादा के स्ट्राइक रेट के साथ 10,889 रन बनाये। वनडे में उन्होंने 153 रन के सर्वोच्च स्कोर के साथ 12 शतक और 83 अर्धशतक बनाकर अपना महत्व बताया। वैसे तो द्रविज़ स्लिप विशेषज्ञ के रूप में विख्यात थे, लेकिन टीम कॉम्बिनेशन के लिए वनडे मैचों में उन्होंने विकेटकीपिंग तक की जिम्मेवारी भी निभाई। यहां भी शानदार छाप छोड़ते हुए उन्होंने 196 कैच और 14 स्टम्पिंग किए। मैदान के बाहर भी उनकी उपलब्धियां कम नहीं थीं। अब तक उन्हें कई सरकारी, गैर सरकारी, राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। आज भी वो भविष्य के खिलाडियों को तैयार करने में जुटे हुए हैं। हमेशा ही 'टीम मैन' रहे द्रविड़ की जगह भर पाना कतई आसान नहीं था। लेकिन जब युवा चेतेश्वर पुजारा को टेस्ट मैचों में द्रविड़ वाली जगह नंबर 3 पर बल्लेबाजी का अवसर मिला तो उन्होंने टीम को निराश नहीं किया। उनके शुरुआती मैचों में किये गए प्रदर्शन के बाद से ही सभी को पूत के पांव पालने में नज़र आने लगे थे। चेतेश्वर पुजारा के अबतक के करियर पर निगाह डालें, तो वो द्रविड़ के पद चिन्हों पर ही चलते दिखाई दे रहे हैं। विकेट पर टिककर एक छोर संभाले रखने की परम्परा उन्हें अपने पूर्ववर्ती खिलाडियों सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ, दिलीप वेंगसरकर और राहुल द्रविड़ से विरासत में मिली है, उसे वो और आगे बड़ा रहे हैं। इसी का नमूना है कि श्रीलंका के खिलाफ वर्तमान सीरीज में भी कोलकाता टेस्ट में पांचों दिन और फिर नागपुर टेस्ट में भी लगातार तीन दिन तक उन्होंने बल्लेबाजी की है। 3 पारियों में लगातार 8 दिन तक बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने ये बात फिर से साबित की है कि वही द्रविड़ के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं। इसकी गवाही उनके आंकड़े भी देते हैं। अब तक खेले 52 टेस्ट मैचों में उन्होंने 53.38 की औसत के साथ 4,324 रन बनाये हैं। उन्होंने अभी तक 206* के अपने सर्वाधिक स्कोर के साथ कुल 14 शतक और 16 अर्धशतक लगाए हैं, जिनमें 3 दोहरे शतक भी शामिल हैं। टेस्ट करियर में कुल मिलाकर 30 बार वो 50 रन से ऊपर पहुंचे हैं, उनमें से 14 बार अर्थात लगभग आधे अवसरों को उन्होंने शतक में तब्दील करके अपनी प्रतिभा दिखा दी है। पुजारा को भी द्रविड़ की तरह ही केवल टेस्ट खिलाड़ी मानते हुए वनडे खेलने के ज्यादा मौके नहीं दिए गए हैं। वैसे जो मौकों उन्हें मिले भी हैं, उन्हें वो भुनाने में नाकाम ही रहे हैं। इस समय टीम में एक-एक जगह को लेकर चल रही जबरदस्त मारा-मारी को देखते हुए, निकट भविष्य में उन्हें वनडे में मौका मिलने की संभावना दिखाई भी नहीं दे रही है। हाँ अगर वनडे टीम में नंबर 4 की जगह को भरने में कोई भी खिलाड़ी सफल नहीं हो पाया और खुद कप्तान कोहली नंबर 4 की जगह पर खेलें, तो ऐसे में खाली हुए नंबर 3 पर उन्हें खेलने का एक मौका मिल सकता है। लेकिन ये तभी सम्भव है कि जब वो अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाएं। वैसे अगर उन्हें वनडे खेलने के अवसर मिलते भी हैं, तो भी उनका वनडे में द्रविड़ के आसपास तक पहुंच पाना मुश्किल दिखाई देता है। लेकिन बात टेस्ट की हो तो माना जाना चाहिए कि कोई अनहोनी नहीं घटी तो ये तय है, कि जब पुजारा अपना टेस्ट करियर समाप्त करेंगे, तो वो द्रविड़ से आगे नहीं जा पाए तो उनके आसपास अवश्य पहुंचेंगे। टेस्ट क्रिकेट में इस समय तो चेतेश्वर पुजारा ने स्वयं को राहुल द्रविड़ का उत्तराधिकारी साबित कर के उनकी जगह को भर दिया है, इस बात में किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए।