भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के नाम क्रिकेट के बहुत सारे रिकॉर्ड्स दर्ज हैं, दुनिया की जिस भी टीम के खिलाफ सचिन खेले उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। जिसमें से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1997-98 में शारजाह के खिलाफ खेली गयी उनकी पारी आज भी यादगार बनी हुई है। कोकाकोला कप के इस मुकाबले में रेत का तूफ़ान शांत पड़ने के बाद लिटिल मास्टर का तूफ़ान मैदान पर दर्शकों को देखने को मिला। सचिन ने इस मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम की बखिया उधेड़ते हुए, 143 रन की पारी खेली थी। लेकिन जिस तरह से उन्होंने ये रन बनाए थे वह दर्शकों व क्रिकेटप्रेमियों के लिए हैरानी भरा था। क्रिकेट को यूं तो टीम गेम माना जाता है। लेकिन सचिन ने इस मैच में अकेले अपने दम पर भारत को जीत की ओर अग्रसर किया। इस लेख में हम आपको सचिन के अलावा उस मैच में खेलने वाले 10 अन्य भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं, साथ ही वह अब कहां हैं: सचिन तेंदुलकर सचिन ने इस टूर्नामेंट में 87 के औसत से 435 रन बनाए थे। भारत को कप जिताने में उनका योगदान सबसे अहम था। उन्होंने इस टूर्नामेंट में शानदार फॉर्म रहे थे, 40, 80, 38 और ऐतिहासिक 143 रन की पारियां खेली थी। इसके बाद से सचिन को ब्रेडमैन के बाद दुनिया का ऐसा बल्लेबाज़ माना जाने लगा था कि वह सारे रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं। सचिन ने 2003 व 2011 के विश्वकप में भी सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बने थे। 2013 में संन्यास के बाद सचिन राज्यसभा के सांसद बने इसके अलावा वह आईपीएल में मुंबई इंडियंस टीम के मेंटर भी हैं। साथ ही वह क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं। सौरव गांगुली प्रिंस ऑफ़ कोलकाता का इस मुकाबले में कुछ ख़ास योगदान नहीं रहा था। उन्होंने 32 गेंदों में 17 रन बनाये थे। उन्हें डेमियन फ्लेमिंग ने आउट कर दिया था। साथ ही अन्य श्रृंखलाओं की तुलना में गांगुली के लिए ये सीरीज उतनी अच्छी नहीं रही थी। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ शतक बनाने के बावजूद भी गांगुली ने मात्र 184 रन बनाये थे। गांगुली व सचिन की जोड़ी भारतीय क्रिकेट की सबसे सफल सलामी जोड़ी रही है। संन्यास के बाद गांगुली क्रिकेट प्रशासन में आ गये। वह कैब के अध्यक्ष होने के साथ-साथ बीसीसीआई में क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं। नयन मोंगिया मोंगिया ने इस सीरिज में 5 मैचों में 20 के औसत से 104 रन बनाये थे। हालाँकि फाइनल में वह सचिन के साथ 89 रन की साझेदारी में शामिल थे। गांगुली के जल्दी आउट होने के बाद मोंगिया ने मोर्चा संभाला था। साल 2000 में मैच फिक्सिंग विवाद में मोंगिया का नाम भी आया था। साल 2004 में मोंगिया ने 44 टेस्ट व 140 वनडे मैच खेलने के बाद क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। वह थाईलैंड की राष्ट्रीय व अंडर-19 टीम के कोच भी रहे हैं। उसके बाद वह टीवी चैनलों पर क्रिकेट एक्सपर्ट की भूमिका में भी नजर आये हैं। मोहम्मद अजहरुद्दीन सन 1997/98 में हुए कोकाकोला कप में अजहर भारतीय टीम के कप्तान थे। सचिन के साहस में अजहर का भी योगदान रहा था। अज़हर तीन विश्वकप में भारत की कप्तानी कर चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद वह सबसे ज्यादा मैच फिक्सिंग के लिए याद किये जाते हैं। हालाँकि मैच फिक्सिंग कांड में हैन्सी क्रोनिये, हर्शल गिब्स, अजय जडेजा के अलावा कई अन्य खिलाड़ी शामिल थे। लेकिन वह अब दोषमुक्त करार दे दिए गये हैं। संन्यास के बाद अजहर ने राजनीति में कदम रखा जहाँ वह सांसद चुने गए। लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा उनके जीवन पर आधारित 2016 में अजहर फिल्म भी आ चुकी है। अजय जडेजा अजय जडेजा ने अपने शुरूआती करियर में जिस तरह से अपने खेल से सबको प्रभावित किया था। उसे वह बरकरार नहीं रख पाए। हालाँकि कोकाकोला कप में 5 मैचों में मात्र 54 रन बनाए थे। उसके कुछ ही साल बाद उनका मैच फिक्सिंग विवाद में भी आ गये थे। उनका नाम हैन्सी क्रोनिये व मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ था। जिससे उनका गर्त में चला गया था। क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद जडेजा साल 2015 में दिल्ली रणजी टीम के कोच नियुक्त किए, लेकिन उन्होंने कोचिंग छोड़कर सोनी के लिए कमेंट्री करते हैं। वीवीएस लक्ष्मण वैसे अगर देखा जाये तो वीवीएस लक्ष्मण की पसंदीदा टीम ऑस्ट्रेलिया ही रही है, लेकिन कोकाकोला कप में उन्हें ज्यादा बल्लेबाज़ी करने का मौका नहीं मिला था। टूर्नामेंट के छठे मैच यानी फाइनल में लक्ष्मण को मौका मिला और उन्होंने 34 गेंदों में 23 रन की पारी खेली थी। उसके बाद साल 2001 में उन्होंने ऐतिहासिक 281 रन की पारी खेली। उनके और राहुल द्रविड़ के बीच हुई साझेदारी ने भारत को कोलकाता टेस्ट में विजयी बनाया। साल 2012 में लक्ष्मण ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। मौजूदा समय में लक्ष्मण क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं, साथ ही आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद के वह कोच भी हैं। इसके अलावा लक्ष्मण स्टार स्पोर्ट्स चैनल के साथ बतौर कमेंटेटर भी जुड़े हैं।
ऋषिकेश कानितकर
भारतीय क्रिकेट में कानितकर का नाम उतना लोकप्रिय नहीं है, कोकाकोला कप से कुछ महीने पहले ही उन्होंने 1997 में वनडे में डेब्यू किया था। उनका चयन बतौर बल्लेबाज़ हुआ था, लेकिन उन्होंने खुद को गेंद से भी साबित किया था। हालांकि वह टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए, साल 2000 में उन्होंने अपना आखिरी वनडे मैच खेला था। मौजूदा समय में वह तमिलनाडु टीम के कोच हैं। अनिल कुंबले अनिल कुंबले इस सीरिज में भारत की तरफ से दूसरे ऐसे गेंदबाज़ थे, जिन्होंने सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। कुंबले ने 5 मैचों में 8 विकेट लिए थे। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ कुंबले ने 39 रन देकर 3 विकेट लिए थे। कुंबले ने फाइनल में खतरनाक होते डैरेन लेहमन को आउट किया था। टेस्ट क्रिकेट में कुंबले ने भारत की ओर से सबसे ज्यादा 619 विकेट लिए हैं। इसके अलावा 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए टेस्ट मैच में उन्होंने एक पारी में 10 विकेट लिए थे। साल 2008 में कुंबले ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और उसके बाद वह तीन साल तक कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। उसके बाद वह भारतीय टीम के कोच भी बने लेकिन उनके व कप्तान कोहली के बीच अनबन होने की वजह से उन्होंने कोच पद से इस्तीफ़ा दे दिया। हरभजन सिंह टर्बनेटर के नाम से मशहूर हुए ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने टेस्ट में 417 व वनडे क्रिकेट में 269 विकेट अपने नाम किये हैं। कोकाकोला कप में हरभजन ने 5 विकेट लिए थे। हालांकि फाइनल में वह थोड़े महंगे साबित हुए थे, लेकिन पोंटिंग को आउट करने में वह सफल रहे थे। हरभजन सिंह का करियर बेहद सफल रहा है, साल 2007 में टी-20 वर्ल्डकप व 2011 वनडे वर्ल्डकप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे हैं। भज्जी का नाम विवादों से भी जुड़ा, वह चाहे ऑस्ट्रेलिया में मंकी गेट कांड रहा हो या आईपीएल में श्रीसंत को थप्पड़ मारने की सुर्खियां रही हों। मौजूदा समय में वह टीम से बाहर चल रहे हैं, हालांकि घरेलू क्रिकेट में वह पंजाब की तरफ से खेल रहे हैं। हरविंदर सिंह अंडर 19 व भारत ए की तरफ से बेहतरीन पदर्शन करने वाले हरविंदर को भारतीय टीम में जगह मिली थी। लेकिन अपनी क्षमता के मुताबिक उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और उन्हें मात्र 3 विकेट कोकाकोला कप में मिले थे। हालांकि हरविंदर को भारत की तरफ से सिर्फ 16 वनडे व 3 टेस्ट मैच में ही खेलने का मौका मिला था। घरेलू क्रिकेट में वह 2008 तक एक्टिव रहे हैं। मौजूदा समय में वह कहां है, इसकी जानकारी पुख्ता नहीं मिल पाई है। वेंकटेश प्रसाद कोकाकोला कप में प्रसाद भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। 5 मैचों में उन्हें 9 विकेट मिले थे। उनसे एक एक विकेट आगे फ्लेमिंग थे। डिजर्ट स्टॉर्म मुकाबले में प्रसाद ने 41 रन देकर 2 विकेट लिए थे। जबकि फाइनल मैच में उन्होंने पोंटिंग को सस्ते में आउट करके पवेलियन भेज दिया था। इस मैच में उन्होंने 32 रन देकर 2 विकेट लिए थे। प्रसाद अपने समय के खतरनाक गेंदबाजों में से एक थे, उनकी गेंदों को बल्लेबाजों के लिए उतना आसान नहीं होता था। पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में प्रसाद एक टेस्ट मैच में 33 रन देकर 6 विकेट लिए थे। इसके अलावा प्रसाद ने एक स्पेल ऐसे भी फेंका था, जब उन्होंने बिना रन दिए ही 5 विकेट लिए थे। साल 2003 में प्रसाद ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। उसके बाद वह भारतीय अंडर 19 टीम के कोच बने। साल 2007 में प्रसाद बांग्लादेश दौरे पर गयी भारतीय टीम के गेंदबाज़ी कोच बने और आईपीएल में वह चेन्नई के साथ जुड़े रहे। लेखक-अरविन्द श्रीराम, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी