5 मौक़े जब टीमों ने हारी हुई बाज़ी में की वापसी और बनाया इतिहास

खेल चाहे कोई भी हो हर खेल उत्साह और रोमांच से भरपूर होता है। क्रिकेट के खेल में भी दर्शकों को अद्भूत रोमांच का आनंद लेते हुए कई अहम मौकों पर देखा गया है। क्रिकेट का खेल अक्सर जीत और हार को लेकर काफी रोमांचक हो जाता है। क्रिकेट के खेल में ऐसे कई मौके आए हैं जब किसी टीम ने हारती हुई बाजी में जीत हासिल कर इतिहास बनाया हो। आइए यहां जानते हैं ऐसे ही पांच मुकाबलों के बारे में।

#5 आईसीसी विश्व कप 1999 में ऑस्ट्रेलिया की जीत

ऑस्ट्रेलिया की साल 1999 विश्व कप जीत मुख्य रूप से प्रोटियाज़ के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए याद की जाती है। विश्व कप के शुरुआत में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हारने के बाद और स्कॉटलैंड के खिलाफ जीत के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मुश्किल से सुपर सिक्स चरण में बिना किसी अंक के जगह बनाई। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबला काफी रोमांचक रहा। इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 214 रनों का लक्ष्य मिला। हालांकि मैच काफी मुश्किल से भरा रहा और आखिर में टाई हो गया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का टिकट मिला। फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया का सामना पाकिस्तान से हुआ। फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया टीम में काफी ऊर्जा देखने को मिली, जिसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान पर आठ विकटों से जीत दर्ज कर खिताब को अपने नाम किया। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया का विश्व कप जीतने का कारवां साल 2007 के विश्व कप तक चलता रहा।

#4 अफ़ग़ानिस्तान का 2019 के विश्व कप के लिए क्वालिफ़ाई करना

2018 विश्व कप क्वालिफायर में अफगानिस्तान ने टूर्नामेंट में कमाल का खेल दिखाकर अगले साल होने वाले विश्व कप के लिए क्वालिफाई कर लिया। हालांकि, स्कॉटलैंड, हांगकांग और मेजबान जिम्बाब्वे के हाथों लगातार हार से लग रहा था कि अफगानिस्तान अब इस टूर्नामेंट से बाहर है। लेकिन दूसरे दौर में जीत की एक स्ट्रिंग के अलावा उनको विश्व कप में एंट्री के लिए सफल सीरीज खेलने की जरूरत थी। अफगानिस्तान ने इसके बाद वेस्टइंडीज, संयुक्त अरब अमीरात पर शानदार खेल दिखाया। इसके बाद टूर्नामेंट में थोड़ा उथल पुथल भी देखने को मिला, जिसका सीधा फायदा अफगानिस्तान को हुआ। संयुक्त अरब अमीरात ने अपने सुपर-सिक्स मैच में जिम्बाब्वे को तीन रनों से हराया, जिसका मतलब था कि अफगानिस्तान और आयरलैंड के बीच खेले जाने वाले मैच का विजेता 2019 विश्वकप के लिए दसवीं टीम के रूप में चुना जाएगा। आयरलैंड के खिलाफ रशीद (3-40), मोहम्मद शहजाद (54) और गुलबदीन नाइब (45) के शानदार खेल के कारण आयरलैंड के खिलाफ पांच विकेट से जीत दर्ज कर अफगानिस्तान ने विश्व कप 2019 के लिए क्वालिफाई किया।

#3 कपिल देव की शानदार नाबाद 175 रन की पारी

साल 1983 का विश्व कप हर किसी को याद होगा। इस विश्व कप में भारत फाइनल में जीत हासिल कर पहली बार क्रिकेट में चैंपियन बना था। हालांकि फाइनल तक का सफर तय करने से पहले कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ शानदार 175 रनों की पारी को अंजाम दिया था। ये पारी आज भी यादगार बनी हुई है। जिम्बाब्वे के खिलाफ इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 9 रन के स्कोर पर ही भारत के चार विकेट पैवेलियन लौट चुके थे और 17 रन के स्कोर तक आते-आते भारत को पांचवा झटका भी लग चुका था। गावस्कर (0), श्रीकांत (0), अमरनाथ (5) के स्कोर पर ही पैवेलियन लौट चुके थे। भारत इस मैच में बिल्कुल बैकफुट पर आ चुका था, लेकिन कपिल देव ने इस हालात में टीम का साथ नहीं छोड़ा और नाबाद 175 रनों की पारी खेल 8 विकेट के नुकसान पर टीम का स्कोर 266 रन पहुंचा दिया और आखिर में भारत ने इस मैच को 31 रनों से जीतने में सफलता हासिल की। भारत की ये जीत विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने के लिहाज से काफी अहम रही।

#2 पाकिस्तान का 1992 विश्व कप का विजयी अभियान

पाकिस्तान ने 1992 के विश्वकप में वेस्टइंडीज के हाथों 10 विकेट से हार के साथ विश्व कप की शुरुआत की। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया मुकाबला बारिश के कारण रद्द हो गया और भारत के हाथों पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा। यहां से आगे की राह पाकिस्तान के लिए काफी मुश्किल थी। शुरुआती पांच मैचों में पाकिस्तान को सिर्फ एक जीत (जिम्बाब्वे के खिलाफ) ही नसीब हुई थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मुकाबले में पाकिस्तान ने जीत हासिल की और आगे की उम्मीदों को बरकरार रखा। ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद श्रीलंका और फिर न्यूजीलैंड को हराकर जीत का स्वाद चखने वाली पाकिस्तान की टीम मुश्किल से ही सही लेकिन सेमीफाइनल में जगह बना चुकी थी। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ पाकिस्तान का एक बार फिर से सामना हुआ। 263 रनों का लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान का एक वक्त पर स्कोर 140 पर 4 विकेट था। लेकिन इंजमाम-उल-हक की 48 गेंदों पर खेली गई 60 रनों की पारी की बदौलत पाकिस्तान ने फाइनल में एंट्री मार ली। इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए फाइनल मुकाबले में 6 विकेट पर 249 रन बनाए। पाकिस्तान के गेंदबाजों की ओर से इस मुकाबले में शानदार गेंदबाजी के बदौलत पाकिस्तान ने आखिरी बाधा को भी पार कर दिया और इंग्लैंड पर 22 रनों की जीत दर्ज कर विश्व कप को अपने नाम किया।

#1 वीवीएस लक्ष्मण (281) और राहुल द्रविड़ (180) की साझेदारी

नंबर 1 पर एक साझेदारी आती है, जिसे भारतीय क्रिकेट में वाटरशेड मोमेंट के रूप में जाना जाता है। दरअसल भारत के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच के रूप में मुंबई में ऑस्ट्रेलिया 16 मैचों में जीत दर्ज करने के बाद खेलने उतरी थी। पहले टेस्ट मैच में भारत शुरुआती तीन दिन में ही ऑस्ट्रेलिया के आगे घुटने टेक चुका था। मुंबई में पहले टेस्ट को तीन दिनों में हारने के बाद इडन गार्डन्स में दूसरा टेस्ट मुकाबला खेला गया। दूसरे मैच में भी भारत का हाल शुरुआती दिनों में काफी खराब रहा और ऑस्ट्रेलिया के 445 रनों के जवाब में 171 रन ही बना पाया। इसके बाद टीम को फॉलो ऑन का सामना करना पड़ा। पहली पारी में वीवीएस लक्ष्मण ने नंबर 6 पर बल्लेबाजी की थी और वॉर्न के आगे सिर्फ लक्ष्मण की रन स्कोर कर रहे थे। पहली पारी में वीवीएस लक्ष्मण ने 50 रनों की पारी खेली थी। इसके कारण ही दूसरी पारी में लक्ष्मण को नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने के लिए उतारा गया। दूसरी पारी में भारत ने सलामी बल्लेबाज दास और रमेश की बदौलत 50 रन स्कोर किए। ऑस्ट्रेलिया मैच में पकड़ बनाने के लिए लगातार अपनी गेंदबाजी में बदलाव कर रहा था और तीसरे दिन के आखिर में सौरव गांगुली भी अपना विकेट गंवा बैठे थे। हालांकि जब सौरव गांगुली आउट हुए तो भारत का स्कोर 232 रन था। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान वॉ को अंदाजा था कि वो जीत से महज कुछ विकेट ही दूर हैं लेकिन वो गलत थे। विकेट पर लक्ष्मण और द्रविड़ ने शानदार साझेदारी को अंजाम दिया और ऑस्ट्रेलिया गेंदबाजों को परेशान करके रख दिया। इस पारी में दोनों बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। लक्ष्मण (281) और राहुल द्रविड़ (180) की जोड़ी ने चौथे दिन सधी हुई बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम को मुश्किल में डाल दिया। ये साझेदारी शानदार साझेदारियों में से एक है, जो यह दिखाती है कि मुश्किल वक्त में भी सही फैसले से हार को टाला जा सकता है। दोनों ही बल्लेबाजों ने गुणवत्ता से भरपूर बल्लेबाजी दिखाई और विपक्षी टीम को भी प्रशंसा करने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही लक्ष्मण ने भारतीय बल्लेबाज के सबसे ज्यादा व्यक्तिगत स्कोर के सुनील गावस्कर (236) के रिकॉर्ड को भी पार कर लिया और आखिर में उन्होंने 281 रन बनाए और खेल के पांचवे दिन आउट हो गए। इसके साथ ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए 373 रनों का एक असंभव लक्ष्य निर्धारित किया। इसके बाद मैदान पर भारतीय गेंदबाजों ने कमाल कर दिखाया और आखिरी दिन ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम को ही 212 रनों पर समेट कर रख दिया। भारतीय टीम ने न केवल फॉलो ऑन का जवाब दिया बल्कि मैच को 171 रनों से जीतने में कामयाबी हासिल की। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलियाई के खिलाफ चेन्नई में खेले गए तीसरे और आखिरी टेस्ट मैच में भी जीत हासिल की और टेस्ट सीरीज को 2-1 से अपने नाम कर लिया। लेखक: यश मित्तल अनुवादक: हिमांशु कोठारी