5 ऐसे मौके जब एक फील्डर ने अपने दम पर अपनी टीम को मैच जिताए
क्रिकेट एक टीम गेम है, जिसमें हर खिलाड़ी को अपनी भूमिका निभानी होती है। विभिन्न स्किल वाले खिलाड़ी एक साथ मिलकर एक टीम बनाते हैं। गेंदबाज़ी, बल्लेबाज़ी और फील्डिंग ये तीन मिलकर क्रिकेट का निर्माण करते हैं।
हालाँकि गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ की पूरी तारीफ बटोर ले जाते हैं, जबकि फील्डर एक अनसंग हीरोज़ के तौर पर रह जाते हैं। मैच में कई ऐसे मौके आते हैं, जब गेंदबाज़ मैच को पलट देते हैं। लेकिन ये बगैर फील्डर के संभव नहीं है।
विभिन्न प्रकार के फील्डर को मिलाकर गेंदबाज़ के लिए फील्डर तैनात किया जाता है। जिसमें कई ऐसे फील्डर होते हैं, जो हारी हुई बाज़ी को जीत में बदल देते हैं। कई बार विकेट लेने के आधे मौके को वह विकेट में बदल देते हैं।
इस तरह के एथलीट टाइप के क्रिकेटर अपनी टीम के लिए मैच विनर भी बनते हैं। खासकर ऐसे खिलाड़ियों की विशेषता क्रिकेट के वनडे और छोटे फॉर्मेट में ज्यादा उपयोगी साबित होती है।
यहाँ वह हम आपको वह 5 मौके बता रहे हैं, जब फील्डरों ने मैच विनिंग प्रदर्शन किया:
#1 गुस लोगी बनाम पाकिस्तान, 1986
1986 में चैंपियंस ट्राफी का दूसरा मैच वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के खेला जा रहा था। वेस्टइंडीज ने इस मैच को 9 विकेट से जीता था। लेकिन इसमें उनके डरावने तेज गेंदबाजों की भूमिका नहीं थी। इस मैच को जिताने में "फ्लाइंग कैरीबियन" गुस लोगी की फील्डिंग का योगदान था। विश्व क्रिकेट के इतिहास में ये पहला ऐसा मौका था, जब किसी फील्डर को मैन ऑफ़ द मैच के ख़िताब से नवाज़ा गया था।
शारजाह में पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया था। लोगी ने इस मैच में 3 कैच और 3 रनआउट किए थे। पाकिस्तानी सलामी बल्लेबाजों को लोगी ने कैच किया और एजाज अहमद को उन्होंने शानदार तरीके से रनआउट किया।
लेकिन उस दिन का सबसे बेहतरीन विकेट जब लोगी ने स्क्वायर लेग से डायरेक्ट हिट करते हुए जावेद मियांदाद को रनआउट किया। लोगी ने आसिफ मुजतबा को भी रनआउट किया। उनके इस शानदार फील्डिंग प्रदर्शन की वजह से उन्हें बिना गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी के मैन ऑफ़ द मैच का ख़िताब दिया गया।