#3 ऋषिकेश कानितकर
90 के दशक में ऋषिकेश कानितकर ने अपने छोटे से करियर में भारत के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार थे। लेकिन 2 टेस्ट और 34 वनडे मैचों के बाद उन्हें भुला दिया गया। टेस्ट में उन्होंने 74 रन बनाये थे और वनडे में 17.84 के औसत से उन्होंने 339 रन बनाये थे। जो ज्यादा प्रभावी नहीं था। उसके बाद उनकी वापसी 1998 में पाकिस्तान के खिलाफ सिल्वर जुबिली मैच में हुई थी। इस मैच में पाकिस्तान ने सईद अनवर के 140 रन के बदौलत 314 रन का स्कोर खड़ा किया था। लेकिन भारत ने भी इस मुकाबले में गांगुली 124 और रोबिन सिंह के 82 रन के बदौलत अच्छी वापसी की थी। अंत में भारत को आखिरी ओवर में 6 गेंदों पर 9 रन चाहिए थे। अंत में सक़लैन मुश्ताक गेंदबाज़ी करने आये थे, लेकिन स्ट्राइकर श्रीनाथ के पास थी। जब अंतिम 2 गेंदों जीतने के लिए 3 रन की जरूरत थी तब स्ट्राइक कानितकर के पास थी। तब सक़लैन की गेंद पर कानितकर ने चौका जड़ दिया और भारत को जीत दिला दी थी। ये जीत यादगार जीत बन गयी। जो उस वक्त की सबसे बड़ी चेज थी।