जहाँ क्रिकेट को आमतौर पर सज्जन लोगों का खेल कहा जाता है, उसमें किसी भी बड़ी सीरीज़ से पहले बड़ी-बड़ी बयानबाजी कभी अनुचित नहीं है और यह आग में घी का काम करती है। हमें पता है की इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया एक दूसरे से नफरत करते है, पर उनकी ऐतिहासिक लड़ाई की टक्कर से पहले ऐसी बातों को याद करना अच्छा होता है। विपक्षी को दबाव में लाने की यह एक काफी पुरानी चाल है, पर यह अधिकतर विजेता टीम द्वारा काम में ली जाती है, हार का परिणाम आने से ऐसी भविष्यवाणी करने वालों को मुहँ की खानी पड़ती है। यह रहे इसके वो पांच उदाहरण जो शानदार तरीके से उल्टे पड़े – जिसने टीमों को शर्मिंदा और अपमानित किया है।
1. ग्लेन मैक्ग्रा की 5-0 एशेज़ जीत की भविष्यवाणी
[caption id="attachment_9072" align="alignnone" width="594"] ग्लेन मैक्ग्रा[/caption] इसमें ग्लेन मैक्ग्राथ की बदनाम 5-0 से एशेज जीत की भविष्यवाणी को चुनना एक मुश्किल काम था – पिज नाम से मश्हूर मैक्ग्राथ ने बीते समय में ऐसी अनेक भविष्यवाणियां की है। पर, सिर्फ एक तर्क के लिए उन्होंने गलत अनुमान लगाया जिसमें उन्होंने 2009 में इंग्लैंड में ऑस्ट्रेलिया की 5-0 से जीत का दावा किया था। इंग्लैंड ने लगभग दो दशकों में पहली बार 2005 में एशेज पर कब्जा किया था – पर पिछली बार वो ऑस्ट्रेलिया से अपने घर में खेले – पर 18 महीनों के बाद एक बार फिर इंग्लैंड बैक-फूट पर आ गई। और मैक्ग्राथ के मुताबिक उसी तरह की दर्द नाक हार इस बार उनका इंतेजार कर रही है। हालांकि, इंग्लैंड ने कुछ और ही सोचा था, कार्डिफ में जेम्स एंडरसन और मोंटी पानेसर की गंदबाजी से हारा हुआ मैच ड्रॉ कराने से इंग्लैंड का मनोबल बढ़ा। उन्होंने दूसरा टेस्ट जीतकर बढ़त ली, पर एक ड्रॉ के बाद ट्रेंट ब्रिज में ऑस्ट्रेलिया की जीत से सीरीज ओवल में फ़ाइनल मैच की और चली गई। मैक्ग्राथ का सीरीज का स्कोर तो गलत रहा, पर वो विजेता का भी सही अनुमान नहीं लगा पाये। इंग्लैंड ने पांचवां टेस्ट 197 रनों से जीत लिया और इसी के साथ एशेज भी।
2. डेविड गोवर: “वेस्टइंडीज टीम बुरी तरह हारेगी"
[caption id="attachment_9073" align="alignnone" width="594"] डेविड गोवर[/caption] इंग्लैंड के कप्तान और मुंह-फट्ट, डेविड गोवर ने कहा,“अब वेस्टइंडीज टीम बुरी तरह हारेगी।", हालांकि उन्होंने माना की वो मज़ाक कर रहे थे। उनकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर 1985 की एशेज जीती और उनकी आँखों में विश्व की नंबर एक टीम वेस्टइंडीज को अपने घर में हराने का सपना था। गोवर ने जिस सीरीज के बारे में बात की तभी सर विवियन रिचर्ड्स ने सबसे तेज टेस्ट शतक ठोका जिससे पता चल गया की इंग्लैंड ने जैसा सोचा वैसा नहीं हुआ। हालांकि, उन्हें 5-0 की सबसे बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। हार का अंतर रहा: 10 विकेट, 7 विकेट, पारी और 30 रन, 10 विकेट और 240 रन। इसी के साथ उन्हें एकदिवसीय सीरीज भी 3-1 की हार झेलनी पड़ी। इसी के साथ 1986 में गोवर का बुरा समय शुरू हो गया। कैरेबियन टीम की वापसी के बाद इंग्लैंड ने भारत के सामने संघर्ष किया और दो टेस्ट हारने के बाद उनसे कप्तानी वापस ले ली गई। इस साल काफी बदलाव हुये।
3. स्टीवन स्मिथ ने सोचा इंग्लैंड पास भी नहीं आ पाएगी
[caption id="attachment_9074" align="alignnone" width="594"] स्टीवन स्मिथ[/caption] स्टीवन स्मिथ को शायद 2015 के ऑस्ट्रेलिया के इंग्लैंड में एशेज को लेकर अति-आत्मविश्वास के लिए माफ किया जा सकता है। भारतीय और वेस्टइंडीज गेंदबाजों के खिलाफ शानदार फॉर्म दिखाने के बाद, स्मिथ को लगा की उनको और उनकी टीम को इंग्लिश टीम के खिलाफ कम पसीना बहाना पडेका और उन्होंने कह दिया की वो हमारे पास भी नहीं आ पाएंगे। वो कितने गलत निकले। स्मिथ के दोहरे शतक और लॉर्ड्स में ऑस्ट्रेलिया के दूसरा टेस्ट जीतने के बाद, इंग्लैंड ने अपने विरोधियों को करारा जवाब दिया और उन्होंने एक मैच शेष रहते सब खत्म कर दिया। लॉर्ड्स में बड़ी जीत हांसिल करने के बाद ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी पूरी तरह खामोश नजर आई और ट्रेंट ब्रिज पर उनका काफी अपमान हुआ, जहां वो पहली सुबह लंच से पहले 60 रन के स्कोर पर सिमट गए। हालांकि स्मिथ कुछ श्रेय देना होगा। उन्होंने कहा था की एक टीम आसपास भी नहीं आएगी; बस वो टीम गलत निकली थी।
4. टोनी ग्रेग: “मैं उन्हें रेंगता हुआ देखना चाहूँगा”
[caption id="attachment_9075" align="alignnone" width="594"] टोनी ग्रेग[/caption] 1976 में वेस्टइंडीज के इंग्लैंड दौरे के पहले टोनी ग्रेग के इस बयान काफी विवाद हुआ था। उन्होंने कहा, “मुझे काफी अच्छा लगा जैसे लोग वेस्टइंडियंस को ऊपर चढ़ा रहे है, पर मुझे नहीं लगता की वो उतने अच्छे है जीतना सब सोचते है। अगर वो कमजोर है, रेंग रहे है और मैं क्लोसे थॉमप्सन और कुछ और की मदद से उन्हें रेंगता हुआ बना दूंगा।” इस बयान ने सीरीज को काफी ज्यादा उत्सुकता से देखी जानी वाली बनाया – खास तौर पर इंग्लैंड में उस समय के बढ़ते वेस्टइंडियन लोगों में। ग्रेग की एक भविष्यवाणी गलत साबित हुई। कैरेबियन टीम ने मेजबान टीम के ऊपर 3-0 की जीत दर्ज की। अपने शब्दों पर कायम ग्रेग ने अंतिम टेस्ट में ओवल में सब का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। वो एक स्टेंड के सामने अपने हाथों और घुटनों पर गिरे और खुद को रेंगता हुआ दिखाया। ना सिर्फ ग्रेग की भविष्यवाणी गलत हुई, बल्कि उन्हें रेंगना भी पड़ा।
5. गौतम गंभीर ने “रैंक बदलने” का सवाल पूछा
[caption id="attachment_9076" align="alignnone" width="594"] गौतम गंभीर[/caption] जहां हार के साथ कड़वाहट आती है और गौतम गंभीर ने कड़वाहट के साथ कहा की भारत को ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के प्रभाव का सामना करने के लिए रैंक बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए, वहीं उनकी टीम ऑस्ट्रेलिया से 3-0 से 2011/12 के दौरे पर हार रही थी। ऐसे समय में यह एक सही टिप्पणी की और भारत की धरती पर इसका समर्थन भी हुआ। इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक की इंग्लैंड टीम ने भी अपने भारत दौरे पर इस चुनौती को स्वीकार किया, वहीं वो 1984/85 के बाद भारत में पहली सीरीज जीतने के लिए तैयार थे। चार मैचों की सीरीज की शुरूआत भारत की 9 विकेट के साथ जीत से हुई, पर इंग्लैंड ने मुंबई और कोलकाता में वापसी करते हुये 2-1 की बढ़त ले ली। फिर उन्होंने नागपुर में मजबूती दीवार बन कर सीरीज जीती। इंग्लैंड के ग्रीम स्वान और मोंटी पानेसर जी जोड़ी ने क्रमश: 20 और 17 विकेट चटके। स्वान के प्रयासों ने उन्हें प्रज्ञान ओझा के साथ सीरीज़ में सबसे ज्यादा विकेट लेने में पहले स्थान पर पहुंचा दिया। लेखक-एलियट कॉर्निश, अनुवादक-अदित्या शर्मा