48.13 की औसत से 30 शतकों के साथ 11,167 रन बनाकर भी सलेक्टर्स की नज़रों में नहीं आ पाए। जब सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रन की साझेदारी करी थी तब यह खिलाडी अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। जब द्रविड़ और गांगुली को तारीफ़ मिली तो उप कप्तान के रूप में यह खिलाडी भी था। रणजी में पहली बार में 260 रन बनाकर भी गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण के साथ होने के कारण अपने हक़ की तारीफ़ नहीं मिली। लेखक- the wrong one, अनुवादक-सेहल जैन
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