अंडर 19 विश्व कप में भारत का प्रदर्शन अब तक शानदार रहा है। भारतीय टीम ने सारे मैच अपने नाम किये हैं। अब तक खेले गए मैचों में भारतीय टीम ने बड़े अंतर से ही जीत दर्ज की है। मंगलवार को भारत का मुक़ाबला सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ होगा, वहीं सोमवार को पहले सेमीफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया और अफ़ग़ानिस्तान आमने सामने होंगे। भारतीय टीम की बल्लेबाजी तो हमेशा से बेहतर रही है लेकिन इस टूर्नामेंट में भारतीय तेज़ गेंदबाज उभर कर सामने आये हैं। इसलिए गौर करने वाली बात है कि दो मैचों में तो विरोधी टीम को एक मामूली स्कोर पर रोक दिया गया है जिसमें टीम ने 10 विकेट से जीत दर्ज की है। वहीं आज खेले गए बांग्लादेश के खिलाफ मैच में भी 131 रन से जीत का श्रेय भी तेज गेंदबाजों को जाना चाहिए , शिवम मावी और कमलेश नागरकोटी दोनों ही तेज़ गेंदबाज़ों ने क्रमशः 2 और 3 विकेट चटकाए। पूर्व तेज़ गेंदबाज इयान बिशॉप भारतीय तेज़ गेंदबाजी के बारे में कहते हैं कि "भारतीय तेज़ गेंदबाजी उत्साह पैदा करती है ना केवल मेरे भीतर बल्कि दर्शक भी देखकर गदगद हो उठते हैं। 18 वर्ष के युवा जब 145 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से भी तेज़ गेंद फ़ेंकते हैं तो ये बहुत ही प्रशंसनीय है ,साथ ही मेरे होश भी उड़ा देता है।" साथ ही उन्होंने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा " भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कम ही तेज़ गेंदबाज देखने को मिले हैं। ऐसे में जब उनके युवा ऑस्ट्रेलियाई टीम को तेज़ रफ़्तार से गेंदों से प्रहार करें तो ये चीज़ बेहद रोमांचक होती है। ये युवा तेज़ गेंदबाज आने वाले पांच वर्षों में तेज गेंदबाजी में एक नया मुकाम हासिल करेंगे।"
भारतीय युवाओं की तेज गेंदबाजी के बारे में देखिए ये बातचीत
वहीं भारत के गेंदबाजी कोच पारस महाम्ब्रे ने बताया कि इन खिलाड़ियों को 16 वर्ष की आयु से पहले से ही प्रशिक्षित किया जाता है ,उस दौरान इनकी क्षमता विकसित की जाती है और साथ इनका परिणाम भी जांचा परखा जाता है। इस समय जो सबके सामने है वो फिटनेस और तकनीक का मिश्रण हैं। ये तकनीक ही आपको बताती है कि किस समय किस तरह की गेंद फेंकनी है कि बल्लेबाज पर दबाव बनाया जा सके। इसके साथ ही इन खिलाड़ियों का चोटों से दूर रहना और खुद को महफूज़ रखना भी मायने रखता है। हमारे खिलाड़ी पहले से काफी फिट हैं , युवा मेहनत कर रहे हैं , ज्यादा ताकतवर और साथ ही जागरूक भी हैं कि इन्हें किस तरह फिट रहना है और फिटनेस की कितनी जरूरत इनके खेल को है। भारतीय केवल शारिरिक फिटनेस ही नहीं मानसिक रूप से भी तैयार हैं कि इन्हें अपनी गेंदबाजी में रफ़्तार लानी है। साथ ही हमारे ट्रेनर , स्टाफ भी मेहनती लोग हैं जो पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही पारस महाम्ब्रे ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए तेज़ गेंदबाजी की जरूरतों पर भी जोर डाला। बकौल पारस ' आप विपक्षी टीम पर दबाव को बनाये नहीं रख सकते अगर आपकी गेंदबाज सही लाइन ऑफ लेंथ को बरकरार नहीं रख पा रहे हैं। तेज़ गेंदबाजी निश्चित ही बल्लेबाज पर दबाव का काम करती है। इसीलिए हम अपने लड़कों को प्रैक्टिस से ही 144 किलोमीटर प्रति घण्टे के लिए अभ्यास पर जोर देते हैं। पारस से जब पूछा गया कि क्या वो टीम के साथ भविष्य में जुड़े रहना चाहेंगे तो उन्होंने कहा बिल्कुल , इनके साथ मैं काफी आनंद लेता हूँ। भविष्य में इन होनहारों को बढ़ते देख मज़ा आएगा।