आईपीएल का यह सीजन शुरू होने से पहले किसने सोचा होगा कि चेन्नई सुपरकिंग्स का अभियान कुछ इस तरह खत्म होगा। पिछले आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स फाइनल में एक रन से हारी थी और उस तरह के प्रदर्शन का आधा हिस्सा भी इस बार देखने को नहीं मिला। चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाड़ियों के अलावा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी का जादू भी नहीं चल पाया। उन्होंने अपनी तरफ से हर प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली।
चेन्नई सुपरकिंग्स सबसे पहले आईपीएल प्लेऑफ़ से बाहर हुई जिसके पीछे कारण टीम की एकजुटता का नहीं होना है। हर मैच में एक या दो खिलाड़ी ही जीतने के लिए प्रयास करते हुए दिखाई दिए जिस दिन सामूहिक प्रयास किया गया, उस मैच में चेन्नई सुपरकिंग्स को जीत भी मिली लेकिन यह निरन्तरता में तब्दील नहीं हुआ। बल्लेबाजी क्रम में भी चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाड़ी फिट बैठते नजर नहीं आए। महेंद्र सिंह धोनी ने कुछ प्रयोग किये थे लेकिन सब फेल हो गए। ऐसे समय में कम से कम फैन्स को तो दो नाम याद आ रहे थे, वे हैं सुरेश रैना और हरभजन सिंह। दोनों पिछले दो आईपीएल में खेले थे तब टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था। धोनी के साथ दोनों की ट्यूनिंग और बातचीत भी अच्छी है। इसके अलावा दोनों के रहने से धोनी को भी ताकत का अहसास होता है, जो इस सीजन नहीं दिखा।
चेन्नई सुपरकिंग्स नई टीम की तरह थी
दो मुख्य खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी में चेन्नई सुपरकिंग्स का खेल किसी नई टीम की तरह था। हालांकि बाकी खिलाड़ी पुराने ही थे लेकिन भज्जी और रैना के जाने से टीम में वह बात नजर नहीं आई। इसके अलावा ड्वेन ब्रावो चोटिल हो गए और अन्य खिलाड़ियों की फॉर्म ने साथ नहीं दिया। इन सब चीजों ने चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए प्रतिकूल काम किया।
हर बार आईपीएल प्लेऑफ़ में जाने वाली टीम इस बार ऐसे बाहर हुई तो निराशा तो सभी को हुई होगी लेकिन दूसरे ही पल उन्हें अपने पुराने दिग्गज सुरेश रैना और भज्जी याद आए। भज्जी ने पहले ही मना कर दिया था लेकिन सुरेश रैना यूएई जाने के बाद वापस लौटे, इसके पीछे जो भी कारण रहा हो, उसके हल करना चाहिए था।