ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान बल्लेबाज डेविड बून ने ब्रायन लारा को 'मास्टर ब्लास्टर' सचिन तेंदुलकर से ज्यादा प्रतिभाशाली करार दिया है। बून का मानना है कि भारतीय बल्लेबाज से कई ज्यादा गिफ्टेड बल्लेबाज लारा हैं। अपनी विचित्र मूंछों के लिए लोकप्रिय तस्मानिया के बल्लेबाज का ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट और वन-डे करियर काफी सफल रहा। उनका मानना है कि टी20 क्रिकेट विश्व में खेल को रोमांचक बना रहा है, लेकिन साथ ही कहा कि टेस्ट खेलने वाले देशों को इसकी महत्ता को बरकरार रखने की जिम्मेदारी उठाना होगी। बून ने हाल ही दूत की भूमिका अदा करने के लिए भारत का दौरा किया था, तब उन्होंने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से छोटी सी बातचीत की थी। जब उनसे यह पूछा गया कि अब तक के सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर पर अपने विचार प्रकट करे तो उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनिंदा ही नैसर्गिक प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे जो सफल हुए। इनमें से अधिकांश खिलाड़ियों में प्रतिभा तो थी, लेकिन खेल के प्रति उनकी इच्छा और खेलने के अंदाज से ही उनके क्रिकेटर के रूप में सफल होने का पता चला। वह अपना कितना सर्वश्रेष्ठ दे सके यह भी एक अलग मामला है। अगर मुझे किसी एक खिलाड़ी को चुनने के लिए कहा जाए जो नैसर्गिक गुणी बल्लेबाज हो तो वो लारा हैं।' बून ने आगे कहा, 'मुझे पता है कि सचिन तेंदुलकर के लिए यह बहुत कड़ा संदेश है। मैं एक खिलाड़ी के रूप में उनके सभी परिस्थितियों और सभी प्रारूपों में सफल होने की बहुत इज्जत करता हूं। वह ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने खेल के लिए काफी मेहनत की और मानसिक रूप से काफी मजबूत बने। मैं उन्हें 'नैसर्गिक गुणी' की श्रेणी में नहीं रखना चाहता, लेकिन वह युग के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक हैं।' डे/नाईट टेस्ट के समर्थन में बून टू-टियर टेस्ट के परिचय ने पिछले कुछ सप्ताहों में काफी आकर्षण खींचा है और ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने स्वीकार किया कि पांच दिवसीय प्रारूप को वन-डे और टी20 जैसे समान महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके साथ गुलाबी गेंद से होने वाले डे/नाईट टेस्ट मैचों का भी समर्थन किया। बून ने कहा, 'हमें बदलाव पर ध्यान देना होगा कि टेस्ट मैच कैसे खेले जा रहे हैं। मैं डे/नाईट टेस्ट का बड़ा समर्थक हूं। मेरे ख्याल से इससे लोगों की रूचि क्रिकेट में लौटेगी और काम करने के बाद वह मैच का पूरा लुत्फ उठा सकेंगे।' ऑस्ट्रेलिया के लिए 107 टेस्ट खेलने वाले बून ने टीम के शीर्ष क्रम में उपयोगी भूमिका निभाते हुए 43।65 की औसत से 21 शतक जमाए। वह वन-डे में भी काफी सफल रहे और इंग्लैंड के खिलाफ ईडन गार्डन्स पर 1987 क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैच भी बने। इस जीत के बारे में अपनी यादे ताजा करते हुए बून ने कहा, 'कोलकाता में हुआ फाइनल अविश्वसनीय था। वह पहला मौका था जब मैं ईडन गार्डन पर एक लाख से अधिक दर्शकों के बीच खेल रहा था। मेरे ख्याल से यह एकमात्र मौका था जब भारतीय प्रशंसक ऑस्ट्रेलिया का समर्थन करने मैदान में आए होंगे क्योंकि इतिहास को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश टीम का कोई समर्थन नहीं कर रहा होगा।'