मिचेल जॉनसन ने डे-नाईट टेस्ट मैच को लेकर जताई नाराज़गी

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के पूर्व तूफानी गेंदबाज़ मिचेल जॉनसन ने डे-नाईट टेस्ट मैच को लेकर एक सनसनीखेज बयान दिया है। उन्होंने डे-नाईट टेस्ट मैच को क्रिकेट इतिहास का सबसे ख़राब प्रारूप बताया है। आपको बताते चलें कि अगले साल होने वाली एशेज़ सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड एडिलेड के मैदान पर एक डे-नाईट टेस्ट मैच कराने का मन बना रहा है। जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलियाई पूर्व तेज़ गेंदबाज़ मिचेल जॉनसन खासे खफा नज़र आ रहे हैं। मिचेल जॉनसन ने एक इन्टरव्यू में कहा "मैं इसको लेकर बिलकुल भी खुश नहीं हूँ, मुझे नहीं लगता कि यह वाकई में टेस्ट क्रिकेट है, यह बिलकुल अलग खेल का प्रारूप है, इसके कारण पिच बिलकुल बदल जाती है, एडिलेड में जब डे-नाईट टेस्ट मैच खेला गया था तो वहां काफी बड़ी-बड़ी घांस थीं, जबकि इस टेस्ट से पहले कभी उस विकेट पर इतनी बड़ी घांस को नहीं देखा गया" "अगर मैं एक गेंदबाज़ के लिए बात करूं तो यह प्रारूप गेंदबाजों के हिसाब से ठीक है, लेकिन मेरे लिए, 'यह क्रिकेट को बदल देने वाला प्रारूप है, और यह खिलाड़ियों के ढंग को भी बदल सकता है, इसलिए यह प्रारूप मुझे पसंद नहीं है": मिचेल जॉनसन इसके बाद मिचेल जॉनसन ने कहा "मुझे नहीं लगता कि अब हमें एडिलेड की पिच की घांस को काटना चाहिए, लेकिन मेरे हिसाब से टेस्ट क्रिकेट प्रारूप को एक पारंपरिक खेल रहने देना चाहिए, मैं टेस्ट क्रिकेट को पारंपरिक खेल बनाने में पूर्ण रूप से विश्वास करता हूँ, मुझे अगले साल होने वाली एशेज़ टेस्ट सीरीज में गुलाबी गेंद से मैच होते देखने से नफरत है" आपको बता दें कि अब से कुछ दिनों पहले गुलाबी गेंद को लेकर भारतीय टीम के ऑलराउंडर युवराज सिंह ने भी नाराज़गी जताई थी। उन्होंने कहा था, ''मैंने महसूस किया है कि गुलाबी गेंद से और ख़ास तौर से रात में कलाई से स्पिन कराने वाले गेंदबाज़ों की गेंद को देख पाना मुश्किल होता है। जब मैं स्लिप में खड़ा था और कुलदीप गेंदबाज़ी कर रहे थे तो वहां से भी मुझे उनकी गेंदो को देखने में दिक्कत हो रही थी। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि लेग स्पिनर के ख़िलाफ़ खेलना कितना मुश्किल है।'' : युवराज सिंह साथ ही साथ युवराज सिंह ने यह भी कहा था कि गुलाबी गेंद पुरानी होने के बाद लाल गेंद की तरह रिवर्स स्विंग नहीं कर पाती।

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