क्रिकेट फैंस आजकल रणजी ट्रॉफी में रोज नए रिकॉर्ड टूटने का आनंद उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटी की सिफ़ारिशों ने टूर्नामेंट और बीसीसीआई के लिए आर्थिक दिक्कतें पैदा की है। सबसे अमीर भारतीय खेल को भी हाल ही में भारत सरकार द्वारा 500 और 1000 रूपये के नोट बंद करने के फैसले ने प्रभावित किया है। कई टीमें घरेलू सीजन में खेलने जाते समय यात्रा के दौरान होने वाले खर्चों के लिए संघर्ष कर रही है। मौजूदा रणजी सत्र में विदर्भ की टीम अभी ईडेन गार्डेन्स में मैच खेल रही है जिनके पास नकद रूपये की कमी होने के बाद उन्हें बंगाल क्रिकेट संघ से संपर्क करना पड़ा। बैंकों में नोट नहीं मिलने के कारण बंगाल क्रिकेट संघ ने भी विदर्भ की मदद करने की मांग पर हाथ खड़े कर दिये। विदर्भ के टीम मैनेजर किशोर वकोडे ने स्पोर्ट्सकीडा से कहा “यह हमारे लिए एक तगड़ा झटका है, जैसे ही हमें नोट बंद होने का पता चला, उस वक्त हमारे पास सिर्फ 500 और 1000 रूपये के नोट ही थे। हमने मदद के लिए बंगाल क्रिकेट संघ से संपर्क किया लेकिन वे भी इसी स्थिति में थे, हमें यहाँ दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मैंने अपनी विरोधी टीम महाराष्ट्र से बात की, लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से वे अपनी होटल भी नहीं छोड़ सकते और उनकी स्थिति भी हमारे जैसी ही है। हम में से अधिकतर लोग कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन नकद भुगतान नहीं हो पा रहा है। हम अपने खेल संघ से मदद का इंतजार कर रहे हैं।“ मुंबई क्रिकेट संघ ने अपने खिलाड़ियों को कार्ड से भुगतान करने को कहा है जिसकी प्रतिपूर्ति उन्हें बाद में कर दी जाएगी। मुंबई के कोच चन्द्रकान्त पंडित ने कहा “हमें हमारे क्रिकेट संघ ने होटल के अंदर का भुगतान कार्ड से करने को कहा है, जो हमें वापस मिल जाएगा। टीम मैनेजर को नगद रूपये दिये गए थे लेकिन मैसूर में भी कोई बड़े नोट लेने को हाँ नहीं बोल रहा, मैं खुद कई एटीएम गया लेकिन वे काम नहीं कर रहे। कई जगह 1 किलोमीटर तक लंबी लाइनें लगी हुई है। हमारे क्रिकेट संघ ने हमें लाइन में नहीं जाने को कहा है क्योंकि वहाँ लोग कुछ नामी खिलाड़ियों को घेर लेंगे।“