महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट जगत में अपने अनपेक्षित निर्णयों के लिए प्रचलित हैं। चाहे वह 2007 टी20 विश्व कप के फाइनल में जोगिंदर शर्मा को आखरी ओवर देने का फैसला हो या 2011 विश्व कप के फाइनल में बल्लेबाज़ी क्रम में खुद को ऊपर लाने का निर्णय। धोनी ने दोनों ही मौको पर बाज़ी मारी और भारत को अपनी कप्तानी में दो विश्व कप दिलाए। 2014 में मेलबर्न टेस्ट के बाद सन्यास लेने के उनके फैसले ने भी प्रशंसको को चौका दिया था और हाल ही में उनके वन-डे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ने के निर्णय ने यह साबित कर दिया कि वह कड़े फैसले लेने में कभी संकोच नहीं करते। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने नई बुलंदियों को छुआ, भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। कप्तान के रूप में उनकी उपलब्धियों का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह विश्व क्रिकेट में पहले ऐसे कप्तान है जिन्होंने सारी आईसीसी ट्रॉफीयों को जीता हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जीता और फाइनल में वानखेड़े स्टेडियम में उनके द्वारा लगाये गए आखिरी छक्के की याद अभी भी भारतीय प्रशंसको के जहन में ताज़ा है। धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बल्लेबाज़ी के साथ- साथ विकेटकीपिंग में भी खूब जौहर दिखाये हैं। व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिहाज से देखा जाए, तो धोनी बाकी भारतीय विकेटकीपरों से कहीं आगे नज़र आते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक स्टंपिंग का रिकॉर्ड भी उन्ही के नाम है। वनडे क्रिकेट में स्टंपिंग के 150 शिकार के मुकाम तक पहुंचने वाले धोनी इकलौते विकेटकीपर हैं, जो उनकी योग्यता को दर्शाने के लिए काफी है। धोनी की कप्तानी में भारत ने एक के बाद एक कई मुकाम हासिल किए। उनकी कप्तानी में भारत ने 2007-08 में कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज पर कब्ज़ा किया और 2013 में इंग्लैंड में हुई आईसीसी चैंपियंस ट्राफी भी जीती। भारत ने उनके नेतृत्व में दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बनने का भी गर्व महसूस किया। हालांकि 2011 विश्व कप के बाद टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जिसके कारण उनकी काफी आलोचना भी हुई। 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जितने के बाद 2011 में भारत पूरे विश्वास के साथ इंग्लैंड पहुंची लेकिन उम्मीद के विपरीत धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम इंग्लैंड के सामने चारों खाने चित्त हो गई। टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर एक भी मैच जीतने में कामयाब नहीं हुई और टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक का स्थान भी गंवा बैठी। इंग्लैंड के बाद भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी निराशाजनक प्रदर्शन किया और सीरीज हार गई। भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम ऑस्ट्रेलिया की तेज़ गेंदबाज़ी के आगे परेशानी में नज़र आई और महेंद्र सिंह धोनी भी पूरी सीरीज में नाकाम रहे। लगातार मिल रही हार ने धोनी की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए और सबसे बड़ा सवाल उनकी बल्लेबाज़ी को लेकर था क्यूंकि भले ही उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में शानदार प्रदर्शन किया हो लेकिन एशिया के बाहर उनका रिकॉर्ड कुछ ख़ास नही रहा है। ` धोनी के नाम 283 वन-डे मैचों में 50.89 की बेहतरीन औसत से 9110 रन हैं, जिसमें 9 शतक और 61 अर्धशतक शामिल हैं वही 73 टी-20 मैचों में धोनी के नाम 1112 रन हैं। वे एक आक्रामक बल्लेबाज़ है और वह भारत की ओर से वन-डे में सबसे ज़्यादा छक्के जमाने वाले बल्लेबाज़ भी हैं। इसमें कोई शंका नहीं कि वह एक बेहतरीन फिनिशर है लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर उनके नाम एक भी शतक नही है और टी-20 में भी उनका सर्वाधिक स्कोर 48* है, जो यह दर्शाता है कि वह एक बल्लेबाज़ के मुकाबले एक कप्तान और विकेटकीपर के रूप में वह अधिक सक्षम हैं। भारतीय टीम ने पिछले कुछ समय में विराट कोहली की कप्तानी में गज़ब का प्रदर्शन किया है और इसका असर टीम के मनोबल पर साफ़ दिख रहा है। पिछले एक साल में विराट की कप्तानी में भी निखार आया है और एक बल्लेबाज़ के रूप में उनकी क्षमता के बारे में कौन नहीं जानता। धोनी अब भारतीय टीम के कप्तान नहीं रहे और ज़ाहिर सी बात है कि अब विराट कोहली ही वन-डे और टी-20 में भारत की अगुआई करेंगे। विराट की कप्तानी में भारतीय टीम मे एक नए युग की शुरुआत होगी क्यूंकि वह कप्तानी के मामले में धोनी से बिल्कुल अलग है। वन-डे और टी-20 क्रिकेट में भारत के कप्तान के रूप में विराट की पहली परीक्षा इंग्लैंड के खिलाफ होगी। इंग्लैंड के विरुद्ध होने वाली सीरीज में धोनी पर भी प्रश्नचिन्ह होगा क्यूंकि अब वह एक कप्तान के रूप में नहीं सिर्फ एक बल्लेबाज़ और विकेटकीपर के रूप में खेलेंगे। कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी पर दबाव कम होगा लेकिन उन्हें टीम में बने रहने के लिए अब एक बल्लेबाज़ के तौर पर रन बनाने की आवश्यकता होगी। इस वर्ष जून में आईसीसी चैंपियंस ट्राफी भी होनी है और भारतीय टीम अपना ख़िताब बचाने के इरादे से टूर्नामेंट में उतरेगी। 2013 में धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए ट्राफी अपने नाम की थी। कयास लगाये जा रहे है कि धोनी अब वन-डे और टी-20 क्रिकेट से भी जल्द ही सन्यास की घोसना करेंगे लेकिन अगर वह टीम में बने रहते है तो यह जानने के लिए सभी उत्सुक होंगे कि आने वाले समय में एक बल्लेबाज़ के रूप में वह कैसा प्रदर्शन करते हैं।