हार्दिक पांड्या और के.एल राहुल का विवाद केवल उनके करियर के लिए नहीं बल्कि टीम इंडिया के लिए भी बेहद खास मायने रखता है। एकदिवसीय मैचों की बात करें तो हार्दिक टीम के लिए न केवल एक किफायती गेंदबाज हैं, बल्कि बल्लेबाजी की लिहाज से भी वो टीम इंडिया के लिए मैच विनर खिलाड़ी रहे हैं।
हालिया ऑस्ट्रेलिया दौरे की बात करें तो भारत को मीडिल ऑर्डर में यह कमी खली भी है। के.एल राहुल की बात करें तो पिछले दो मैचों में जितनी कमी हार्दिक की खली है, उतनी कमी राहुल की नहीं खली है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम में शामिल हार्दिक फिलहाल दौरे से वापस बुला लिए गए हैं, और संभावना है कि वो न्यूजीलैंड के खिलाफ भी नहीं खेल पाएंगे। पांड्या की जगह टीम में शामिल विजय शंकर की बात करें तो उन्हें बड़े मंचों पर अच्छा करने के दबाव से बाहर निकलने में वक्त लगेगा, और यही एक चीज टीम इंडिया के पास नहीं है। वर्ल्ड कप करीब है, ऐसे में हार्दिक का न खेल पाना टीम इंडिया के लिए भी बड़ी चुनौती है।
वर्ल्ड कप से ठीक पहले जब तमाम टीमें अपने हर स्लॉट को मजबूत करने में लगी है, वहीं भारत अब भी अपने चौथे स्थान को भर नहीं पाया है। फिलहाल रायडू चौथे स्थान पर टीम के लिए खेल रहे हैं, लेकिन रायडू के हालिया प्रदर्शन को देखा जाए तो टीम इंडिया की यह तलाश फिलहाल खत्म होती नजर नहीं आ रही है।
पहले एकदिवसीय मैच में रोहित शर्मा और धोनी की साझेदारी के बाद जरुर टीम के उपकप्तान रोहित ने चौथे स्थान पर धोनी को खेलने की सलाह दी थी, लेकिन टीम मैनेजमेंट का ख्याल कर बाद में उन्होंने भी इस बात को कोच और कप्तान पर छोड़ देने की बात कही और मुद्दे को दूसरे पाले में डाल दिया।
हालांकि जिस तरह से एडिलेड एकदिवसीय मैच में धोनी ने नाबाद 55 रन बना कर टीम को जीत दिलाई। उसको देखते हुए रोहित शर्मा की बात में दम तो नजर आता है, क्योंकि बहुत समय बाद धोनी एडिलेड में ऐसे फिनीशर की भूमिका में न केवल दिखे बल्कि अपने खेल के साथ न्याया भी किया।
अगर धोनी आने वाले एकदिवसीय मैचों में भी एडिलेड के प्रदर्शन को दोहरा पाते हैं, तो निश्चित रुप से वर्ल्ड कप से पहले जो कमी टीम इंडिया में नजर आ रही है, वो पूरी होती हुई नजर आएगी। जिस लिहाज से एडिलेड एकदिवसीय मैच में धोनी ने बल्लेबाजी की है इसको देखते हुए भारत की उम्मीद बढ़ गई है।