पृथ्वी शॉ की कप्तानी में भारतीय टीम अंडर-19 विश्वकप जीत चुकी है। मोहम्मद कैफ, विराट कोहली और उन्मुक्त चन्द के बाद शॉ विश्वकप जीतने वाले चौथे भारतीय कप्तान हैं। शॉ ने अपनी बल्लेबाजी और कप्तानी से सभी को प्रभावित किया है लेकिन जीत के बाद उनके लिए इस जीत को व्यक्त करने के लिए शब्द कम पड़ गये। शॉ ने कहा “हमारे साथ काफी यादें जुड़ चुकी है। मैं अभी बहुत खुश हूँ लेकिन अभी मेरे पास इस ख़ुशी को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है।” जब उनसे पूछा गया कि विश्वकप जीतने के लिए उन्हें क्या करना पड़ा ? इसपर भारतीय कप्तान ने कहा “यहाँ ज्यादा भावनाएं नहीं थी और हमलोग मजाक और मस्ती में थे। हमलोग 2 साल से लगातार साथ खेल रहे हैं और इसी वजह से हम टूर्नामेंट का इंतजार कर रहे थे। कप्तान के रूप में जब मैं दबाव में था तो मुझे टीम से काफी सहयोग मिला।” न्यूज़ीलैंड में मिले समर्थन को देखकर भारतीय कप्तान आश्चर्यचकित थे और उन्होंने कहा कि, ''काफी लोग मैच देखने आये थे और लोगों ने लगातार हमारा समर्थन किया। हमें जो प्यार मिला उसकी उम्मीद हम नहीं कर रहे थे।'' जब उनसे पूछा गया कि ऑस्ट्रलियाई पारी के बाद टीम एकत्रित करके उन्होंने टीम से क्या कहा, इसका जवाब देते हुए 18 वर्षीय बल्लेबाज ने कहा “यह बड़ा लक्ष्य नहीं था इसलिए मैं नहीं चाहता था कि सभी इसे आसानी से लें। जीत के लिए हमें आराम से खेलते हुए साझेदारी बनाने की जरूरत थी और यही छोटी-छोटी चीजें हमें जीत दिलाती हैं।” प्रथम श्रेणी मैचों में 5 शतक लगा चुके शॉ ने कहा कि न्यूज़ीलैंड में खेलने से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला और अंत में भारतीय कप्तान ने मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने हमें बताया कि न्यूज़ीलैंड में कैसे खेलना है।