भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक की 14 जून से बैंगलोर में अफगानिस्तान के खिलाफ एक मात्र टेस्ट में वापसी हुई है। 8 साल बाद टेस्ट में वापसी किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं है लेकिन कार्तिक ने वह कर दिखाया जो कई वर्तामान खिलाड़ियों लिए नजीर है। आइपीएल में शानदार बल्लेबाजी और श्रीलंका के खिलाफ ट्राई सीरीज के फाइनल में अंतिम गेंद पर छक्के से टीम को जीत दिलाकर उन्होंने खुद को साबित किया है। अब टेस्ट में वापसी के बाद कार्तिक के पास दमदार खेल की बदौलत आगामी इंगलैंड दौरे पर टीम में जगह बनाने का अच्छा मौका होगा। गौरतलब है कि कार्तिक ने 2010 में बांग्लादेश के खिलाफ अंतिम टेस्ट खेला था। उन्होंने अपने करिअर में लगभग 27 की औसत से 1000 टेस्ट रन बनाए हैं वहीं एक दिवसीय मैचों में उन्होंने 30 की औसत से 1496 रन बनाए हैं। उनकी धीमी बल्लेबाजी के कारण ही महेंद्र सिंह धोनी से पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले कार्तिक की जगह रांची के इस धुरंधर ने ले ली। हालांकि इसके बाद उन्हें मौका भी नहीं मिला और उनकी जगह टीम में ऋद्धिमान साहा और पार्थिव पटेल को तरजीह मिलने लगी।
2017-18 में बल्ले से किया धमाल
2017 का सत्र दिनेश कार्तिक के लिए उम्दा रहा है। उनकी बल्लेबाजी ने आलोचकों के साथ ही टीम चयनकर्ताओं को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। खराब औसत के कारण जिस बल्लेबाज को टीम से बाहर किया गया उसी ने इस सत्र के एक दिवसीय मैचों में 61 की औसत से रन बना दिए। इसमें दो अर्धशतक भी शामिल है। आईपीएल 2018 में कोलकाता नाइट राइडर्स का कप्तान बनने के बाद से दिनेश कार्तिक ने तो जैसे पूरी तरह से खुद को बदल लिया हो। 16 मैचों में 498 रन के साथ सर्वाधिक रन बनाने के मामले में वो शीर्ष दस में शामिल रहे।
2017-18 के घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन
दस रणजी मैचों में 54.15 की औसत से 704 रन, 52.75 की औसत से दिलीप ट्रॉफी मैचों में 211 रन बनाकर दिनेश कार्तिक ने चयनकर्ताओं को बताया कि 33 साल की उम्र में भी वे 22 गज की पिच पर राज कर सकते हैं। विजय हजारे ट्रॉफी में भी कार्तिक ने 86.71 की औसत से 607 रन बनाए। भारतीय घरेलू क्रिकेट में कमाल के प्रदर्शन के बाद उन्हें इसी साल दक्षिण अफ़्रीका दौरे पर भी ऋद्धिमान साहा को चोट लगने के बाद टीम में शामिल किया गया था। हालांकि कार्तिक को अंतिम एकादश में खेलने का मौक़ा नहीं मिला क्योंकि कोहली एंड कंपनी ने पार्थिव पटेल को तरजीह दी थी। लेकिन जोहांसबर्ग टेस्ट में आख़िरी लम्होंं में दिनेश कार्तिक आईसीसी के नए नियम के बाद पटेल की जगह 12वें खिलाड़ी के तौर पर विकेटकीपिंग करते हुए नज़र आए थे।
धोनी के संन्यास ने खत्म किया कार्तिक का वनवास
चीते की तरह तेज विकेटकीपर को भला कौन सी टीम अंतिम एकादश से बाहर करना चाहेगी लेकिन धोनी के संन्यास की घोषणा ने कार्तिक के लिए एक दिवसीय और टी-20 टीम में जगह बनाई। हालांकि इसके पीछे कार्तिक की मेहनत और जुनून भी है। जिस तरह से करिअर की दूसरी पाली में उन्होंने आक्रामक खेल के साथ वापसी की है, किसी के लिए उनके नजरअंदाज करना मुश्किल होगा।