ये बात सच है कि आधुनिक युग में टी-20 क्रिकेट का जो ग्लैमर है वह वनडे और टेस्ट का नहीं है। लेकिन टेस्ट मैच में खिलाड़ियों की असली परीक्षा होती है और पता चलता है कि वह अपनी कला में कितना निपुण है। भारतीय बल्लेबाज़ मुरली विजय तकनीक, क्षमता और स्ट्रोक खेलने में माहिर हैं। वह शतक बनाने के बाद उछलते नहीं हैं, आलोचकों के कमेन्ट का जवाब भी नहीं देते हैं। वह मैदान पर बेहद शांत रहते हैं। इस 32 वर्षीय सलामी बल्लेबाज़ ने भारतीय क्रिकेट में अपना एक अलग ही मुकाम स्थापित किया है। उनकी प्रवृति एक महात्मा की तरह है। विजय ने भले ही भारतीय पिचों पर बहुत बड़े स्कोर न बनाये हों, लेकिन उन्होंने विषम परिस्थितियों में विजय ने खूब रन बनाये हैं। विजय का भारत से बाहर 37 के करीब का औसत है। साल 2014 में जब भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर थी। जहाँ अन्य बल्लेबाज़ स्विंग गेंदबाज़ी के आगे संघर्ष करते नजर आये तो विजय ने स्विंग का बेहतरीन तरीके से जवाब दिया। लॉर्ड्स के मैदान पर मिली भारत को ऐतिहासिक जीत में विजय की 95 रन की अहम पारी थी। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर विजय ने 60 के औसत से 482 रन बनाये थे। जिसमें गाबा में 144 रन की पारी उनकी सबसे बड़ी पारी थी। ये पारी कठिन थी, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाजों के सामने बल्लेबाज़ी करना आसान काम नहीं था। विजय का वनडे करियर बढ़िया नहीं रहा है। जिसके बाद वह टेस्ट टीम में नियमित खेलते रहे हैं। मुरली विजय के बल्लेबाज़ी की ताकत:
उन्हें पता है कि उनका ऑफ स्टंप कहां है:
टेस्ट क्रिकेट में खराब गेंदों पर प्रहार करना जितना अहम होता है, वहीं सही गेंदों को विकेटकीपर के लिए छोड़ना बहुत ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो जाता है। लॉर्ड्स की उनकी पारी में ये खासियत देखने को मिली थी। उन्होंने गेंदबाजों को विकेटों में गेंद करने पर विवश कर दिया था। उन्होंने 95 रन में से 54 रन लेग साइड में खेलकर बनाये थे।
मजबूत डिफेन्स और गेंद को लेट खेलने की कला:
उस विकेट पर आपको ज्यादा हैंडी होना होता है, जो तेज और स्विंग गेंदबाज़ को मददगार हो। विजय का डिफेन्स काफी मजबूत है। यही नहीं वह गेंद को बहुत ही देर से खेलते हैं। ट्रेंटब्रिज में जब उन्होंने 146 रन की बेहतरीन पारी खेली थी। तो उनकी ये खासियत दर्शकों को देखने को मिली थी। उन्होंने 57 रन स्क्वायर लेग क्षेत्र में शॉट खेलकर बनाये थे। स्पिन के बढ़िया खिलाड़ी: मुरली विजय अपने समकक्ष भारतीय बल्लेबाजों की तरह ही स्पिन के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। ये कला उन्हें आईपीएल में भी कई बार मददगार साबित हुई है। जहाँ उनकी कलाइयों का जादू खूब चला है।
वह चालाक हैं:
मुरली विजय अपने कोच के पसंदीदा खिलाड़ी हैं, क्योंकि वह बहुत ही सयंमित होकर बल्लेबाज़ी करते हैं। उनके 9 शतक में से 7 शतक 130 से ज्यादा रन रहे हैं। विजय देर तक बल्लेबाज़ी करते हैं। जिससे वह बड़ा स्कोर भी बनाते हैं, साथ ही वह मिडिल आर्डर के बल्लेबाजों को जल्द ही नई गेंद का सामना करने से बचाते हैं। विजय की कमजोरी हालिया खराब फॉर्म: विदेश में जिस तरह से विजय खूब सफल हुए हैं, उस तरह वह भारतीय धरती पर सफल नहीं रहे हैं। 2015 में घर में उनकी बल्लेबाज़ी की तुलना
नाम | औसत |
मुरली विजय | 35.20 |
विराट कोहली | 65 |
चेतेश्वर पुजारा | 66.38 |
अजिंक्य रहाणे | 43.04 |
यद्यपि ये सलामी बल्लेबाज़ दो लगातार शतक के बाद खराब फॉर्म से संघर्ष करने लगता है। जो इस सीजन में भारतीय बल्लेबाजों के लिए सही नहीं है। 2015 से घर में मुरली विजय का प्रदर्शन
साल | मैच | पारी | 100s | 50s | उच्च | रन | औसत |
2015-2016 भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका | 4 | 7 | 0 | 1 | 75 | 210 | 35.00 |
2016-2017 भारत बनाम न्यूज़ीलैंड | 3 | 6 | 0 | 2 | 76 | 186 | 31.00 |
2016-2017 भारत बनाम इंग्लैंड | 5 | 8 | 2 | 0 | 136 | 357 | 44.63 |
2016-2017 भारत बनाम बांग्लादेश | 1 | 2 | 1 | 0 | 108 | 115 | 57.50 |
2016-2017 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया | 1 | 2 | 0 | 0 | 10 | 12 | 6.00 |
सभी (5) | 14 | 25 | 3 | 3 | 136 | 880 | 35.2 |
वह जब भी आउट होते हैं बहुत आसानी से आउट हो जाते हैं। हाल में वह चौथे स्टंप की पोजीशन की गेंदों को खेलने के चक्कर में आउट हुए हैं। जो इतने बड़े बल्लेबाज़ से अपेक्षित नहीं है। तीसरी और चौथी पारी में उनका रिकॉर्ड तीसरी या चौथी पारी में जो बल्लेबाज़ रन बनाता है वह टीम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। ऐसा भारत के लिए राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण किया करते थे। तीसरी और चौथी पारी का तुलनात्मक औसत
नाम | 3rd पारी | 4th पारी |
मुरली विजय | 27.28 | 27.13 |
विराट कोहली | 27.12 | 61.41 |
चेतेश्वर पुजारा | 46.88 | 39.72 |
अजिंक्य रहाणे | 40.25 | 30.2 |
विजय ने हमेशा जो शतक लगाये हैं वह पहली पारी में आया फिर चौथी पारी में लगाये हैं। हम बिना किसी शक के ये कह सकते हैं कि उन्होंने कई अहम मौकों पर भारत के लिए रन बनाये हैं। जो एक स्वाभाविक मैच विजेता की निशानी है। ऊपर जितने भी बिंदु मुरली विजय के बारे में जिक्र हुए हैं, वह साबित करते हैं कि मुरली विजय टीम इंडिया के लिए अहम खिलाड़ी हैं। जिनका औसत 40 के करीब है। हालाँकि उन्होंने अपनी प्रतिभा के साथ सौ फीसदी न्याय नहीं किया है। मुरली विजय का साथ केएल राहुल अच्छे से दे रहे हैं। जिससे भारत को टेस्ट में बेहतरीन सलामी बल्लेबाज़ की कमी अब महसूस नहीं होगी। (नोट: सभी आंकड़े 15 मार्च 2017 के हैं।)