भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इंडियन प्रीमियर लीग के 11वें सीजन में डीआरएस के प्रयोग को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब ये हुआ कि इस सीजन में पहली बार डीआरएस यानी डिसीजन रिव्यू सिस्टम का प्रयोग होगा। इससे पहले बीसीसीआई डीआरएस के प्रयोग को लेकर कतराती थी। बोर्ड का मानना था कि ये फुलप्रूफ नहीं है लेकिन साल 2016 के अंत में जब इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया तो उसमें डीआरएस का प्रयोग किया गिया था। अब आईपीएल में भी इसका प्रयोग किया जा सकेगा। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि बीसीसीआई डीआरएस को लेकर काफी उत्सुक थी और इस साल हमने फैसला किया कि इसे आईपीएल में भी लागू किया जाए। टूर्नामेंट में सभी अच्छे नियम लागू होते हैं तो फिर डीआरएस क्यों नहीं। पिछले डेढ़ साल से हम भारत के अंतर्राष्ट्रीय मैचो में इसका प्रयोग कर ही रहे हैं। गौरतलब है बोर्ड ने दिसंबर में देश के शीर्ष 10 अंपायरों की एक वर्कशॉप का आयोजन विशाखापट्टनम में किया था। आईपीएल को ध्यान में रखते हुए इसका आयोजन किया गया था। आईसीसी के अंपायरों के कोच डेनिस बर्न्स और ऑस्ट्रेलिया के अंपायर पॉल रीफेल ने भारतीय अंपायरों को नई तकनीक से अवगत कराया था। तब इस वर्कशॉप में हिस्सा लेने वाले एक अंपायर ने कहा था कि भारतीय घरेलू क्रिकेट में अभी तक डीआरएस का प्रयोग नहीं हुआ है। चुंकि आईपीएल के लिए स्थानीय अंपायर ही अंपायरिंग करेंगे इसलिए उनको इस बारे में पता होना बेहद जरुरी है। हमें कहा गया कि इस आईपीएल सीजन से डीआरएस का प्रयोग होगा और हमें उसकी जानकारी होनी चाहिए। गौरतलब है आईपीएल का 11वां सीजन 7 अप्रैल से 31 मई तक खेला जाएगा जिसमें दुनिया भर के दिग्गज खिलाड़ी शिरकत करेंगे। आईपीएल पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित टूर्नामेंट बन चुका है और इसमें उच्च स्तर के कोच और खिलाड़ी शिरकत करते हैं ऐसे में बीसीसीआई का ये कदम सराहनीय होगा। हालांकि देखने वाली बात ये होगी कि भारतीय अंपायर इसको लेकर कितने सहज रहते हैं।