दिलीप ट्रॉफी में नॉर्थ जोन और साउथ जोन के बीच सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान जमकर ड्रामा देखने को मिला और इसके बाद खेल भावना को लेकर भी काफी सवाल उठाए जा रहे हैं। दरअसल जयंत यादव की कप्तानी वाली नॉर्थ जोन की टीम ने हार से बचने के लिए 53 मिनट में सिर्फ 5.5 ओवर ही गेंदबाजी की। जानबूझकर गेंदबाजों ने ज्यादा समय लिए ताकि मुकाबला ड्रॉ हो जाए और पहली पारी में लीड के आधार पर नॉर्थ जोन को विजेता घोषित कर दिया जाए। हालांकि आखिर में साउथ जोन ने ये मुकाबला अपने नाम कर फाइनल में जगह बनाई लेकिन नॉर्थ जोन टीम के ऊपर काफी सवाल उठ रहे हैं।
बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले जा रहे इस मुकाबले में नॉर्थ जोन ने साउथ जोन के सामने जीत के लिए 215 रनों का टार्गेट रखा। हनुमा विहारी की अगुवाई वाली साउथ जोन ने सधी और बेहतरीन शुरुआत की लेकिन 31वें ओवर में बारिश होने के बाद खेल को रोकना पड़ा और साउथ जोन लक्ष्य से 32 रन दूर थी। कुछ समय बाद मुकाबला फिर से शुरू हुआ लेकिन नॉर्थ जोन के खिलाड़ियों ने समय काटने की हर तरकीब अपनाई। आखिरी सेशन में नॉर्थ जोन के गेंदबाजों ने 5.5 ओवर गेंदबाजी के लिए 53 मिनट ले लिए।
नॉर्थ जोन की तरकीब नहीं आई काम, टीम को मिली हार
बारिश की वजह से डेढ़ घंटे से भी ज्यादा का वक्त बर्बाद हो गया। जब खेल दोबारा शुरू हुआ तो फिर साउथ जोन को टार्गेट तक पहुंचने के लिए तेजी से रन बनाने थे। हालांकि नॉर्थ जोन ने अपने सभी फील्डर्स को बाउंड्री लाइन पर खड़ा कर दिया और हर एक गेंद के बाद फील्डिंग में बदलाव करने लगे ताकि समय ज्यादा लगे। साउथ जोन को 32 रन बनाने के लिए सिर्फ 5.5 ओवर लगे लेकिन इतने ओवर के लिए 53 मिनट लग गए। नॉर्थ जोन के एक गेंदबाज ने अपनी आखिरी तीन गेंद डालने के लिए चार मिनट 43 सेकेंड का समय ले लिया।
नॉर्थ जोन की रणनीति थी कि समय को किसी तरह से काटा जाए ताकि बारिश या फिर खराब लाइट की वजह से मैच को रोकना पड़े और आखिर में ये ड्रॉ हो जाए। अगर ऐसा होता तो पहली पारी के बढ़त के आधार पर टीम जीत जाती लेकिन साउथ जोन ने आखिर में दो विकेटों से ये मुकाबला अपने नाम कर लिया।