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पाकिस्तान क्रिकेट टीम को वैसे तो कभी भी अच्छी फ़ील्डिंग यूनिट के तौर पर नहीं जाना जाता, लेकिन क्रिकेट में अगर आपकी फ़ील्डिंग ख़राब रही तो फिर इसका हरजाना भरना लाज़िमी है। पाकिस्तान के साथ भी इस सीरीज़ में यही हुआ। पाकिस्तान की ग्राउंड फ़ील्डिंग तो बेहद दयनीय रही, हर मैच में पाकिस्तानी फ़ील्डर्स ने 20-25 रन ज़्यादा दिए। कई मौक़ों को भी ज़ाया किया, मौजूदा दौर में एक सफल टीम वही मानी जाती है जो हाफ़ चांस को भी आउट में तब्दील कर दे, जहां ये टीम काफ़ी पीछे थी। ख़राब फ़ील्डिंग की वजह से गेंदबाज़ों का भी मनोबल गिरता गया और बिना सकारात्मक नतीजो के वह बस थकते नज़र आए। अगर पिच पर गेंदबाज़ों के लिए कोई मदद न हो और वहां फ़ील्डर आसान सा कैच टपका दें, तो मौजूदा क्रिकेट में ये अपराध से कम नहीं।
Edited by Staff Editor