आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 में भारतीय टीम के खिलाफ फाइनल मैच में शतक बनाकर टीम की जीत की नींव रखने वाले पाकिस्तानी ओपनर फखर जमान ने घरेलू क्रिकेट में संघर्ष कर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के किस्से को बयां किया है। उन्होंने कहा कि अपने गांव में उन्हें क्रिकेट खेलने से प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि वे बहुत अच्छे और हार्ड बॉल खिलाड़ी थे। उनके भाई ने कहा कि वे उन्हें क्रिकेट खेलने पर उन्हें पीटते थे। अब उन्हें भी इस बात का पछतावा है। चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीतकर वापस स्वदेश लौटने पर हीरो जैसा स्वागत पाने वाले 27 वर्षीय प्रतिभा के बारे में टूर्नामेंट शुरू होने से पहले किसी को कुछ भी मालूम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस फीलिंग को अभी कुछ समय लगेगा। उनके शब्दों में "मैं यहां आया, तो लोग आने लगे और मुझे प्यार दे रहे हैं। मुझे लगता है कि मैंने हीरो जैसा कुछ बड़ा किया है को मैंने पहले महसूस नहीं किया। गौरतलब है कि पाकिस्तान क्रिकेट इतिहास में यह यादगार जीत थी और 1992 विश्वकप के बाद उन्होंने 50 ओवर क्रिकेट में पहला आईसीसी टूर्नामेंट जीता है। उस समय का विश्वकप उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में जीता था। इससे पहले इस टीम ने 2009 में हुए आईसीसी टी20 विश्वकप में भी विजय प्राप्त की थी। लोकल क्रिकेट में नकारे जाने के बाद जमान ने राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के बारे में आगे कहा "मैंने स्कूल के समय एक या दो हार्ड बॉल मैचों में खेलकर कुछ रन बनाए। इसके बाद मैं जहां भी जाता, लोग मुझे हार्ड बॉल प्लेयर कहते और मेरे साथ नहीं खेलने की सलाह देते। मैं सबके बीच लोकप्रिय हो गया।" उल्लेखनीय है कि जमान ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में टीम इंडिया के सामने 106 गेंदों में 114 रन बनाकर टीम के विशाल लक्ष्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। पाक ने इस मैच को 180 रनों के बड़े अंतर से जीतकर ट्रॉफी पर कब्जा किया।