इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 4-0 की जीत के साथ भारत ने पिछली हार का शानदार ढंग से बदला लिया। विराट कोहली की टीम ने न केवल जीत हासिल की बल्कि विरोधी टीम को हर समय दबाव में भी रखा। वो बात अलग है कि टीम इंडिया चोटिल खिलाड़ियों की परेशानी से जूझ रही है। पहले कुछ बल्लेबाज और उसके बाद तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी चोटिल हुए। विराट के पास भुवनेश्वर कुमार और ईशांत शर्मा के पास वापस जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। जो खराब फॉर्म से जूझ रहे थे। विराट के पास ऐसे गेंदबाज की कमी थी जो वक्त आने पर टीम के लिए विकेट ले सके। उन्हें विकेट के लिए अपने स्पिनर्स की तरफ ही रुख करना पड़ा। इंग्लैंड के खिलाफ ये रणनीति काम आई, लेकिन भविष्य में यह रणनीति काम नहीं आई तो क्या होगा। इस रिपोर्ट में हम आपको उन भारतीय तेज गेंदबाजों के बारे में बताते है जो लगातार अच्छा खेल रहे हैं :
नाथू सिंह
ये बहुत कम ही होता है जब कोई खिलाड़ी अपने पहले ही प्रथम श्रेणी मैच में सबका ध्यान खींचे। लेकिन नाथू सिंह 2015-16 के रणजी सीजन में दिल्ली के खिलाफ 87 रन देकर 7 विकेट लेकर रातों रात सुर्खियो में आ गए। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो दिवसीय अभ्यास मैच के लिए बोर्ड प्रेसिडेंट की टीम में चुन लिया गया। यहां भी उन्होंने अपनी रफ्तार से सबका ध्यान अपनी और खींचा। नाथू सिंह के पिता जयपुर में एक तार फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं। नाथू सिंह ने अपनी पहली प्रोफेशनल ट्रेनिंग ग्लेन मैक्ग्रा के मार्गदर्शन में एमआरएफ पेस एकेडमी चेन्नई में की। इसके बावजूद वह जयपुर की टीम में शामिल नहीं हो पाए, जिसके कारण उन्होंने सीकर का रुख किया। उनके लिए सबसे बड़ा पल आया जब उन्हें आईपीएल की मुंबई इंडियंस ने 3.2 करोड़ रुपये में खरीदा। दिलीप ट्रॉफी में भी उन्होंने 6 विकेट लेकर अच्छा प्रदर्शन किया। अब तक नाथू 13 मैचों में 30 विकेट ले चुके हैं। नाथू की उम्र अभी केवल 21 साल है और भारतीय चयनकर्ता उनकी रफ्तार देकर उन्हें एक मौका दे सकते हैं। जयदेव उनाडकट
जयदेव उनाडकट 2010 में हुए अंडर 19 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के तेज गेंदबाजी के स्तंभ थे। इस टूर्नामेंट के बाद उन्हें आईपीएल की कोलकाता टीम में शामिल किया गया, जहां उन्होंने गेंदबाजी कोच वसीम अकरम को अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया। जयदेव ने वेस्टइंडीज ए के खिलाफ अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में भी सभी को प्रभावित किया। इस मैच में उन्होंने 103 रन देकर 13 विकेट झटके थे। इसकें बाद उन्होंने अपने टेस्ट करियर का आगाज दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन में किया। अपने पहले मैच में जयदेव कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए। अपने पहले मैच में उन्होंने एक भी विकेट नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार वापसी की। इसके साथ ही उन्होंने 2013 के आईपीएल में बेंगलुरू की तरफ से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उनकें इस प्रदर्शन के बाद उन्हें जिम्बाव्वे के खिलाफ वनडे सीरीज में मौका मिला। 5 मैचों की सीरीज में जयदेव ने 8 विकेट लिए। लेकिन उसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फेल रहे। पिछले साल सौराष्ट्र को फाइनल में पहुंचाने में जयदेव ने अहम भूमिका निभाई। गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की काबिलियत उन्हें खास बनाती है। जयदेव की लंबाई अच्छी है, जिसके कारण उन्हें पिच से अच्छा उछाल मिलता है। भारतीय टीम में उनका चयन टीम के लिए फायदेमंद हो सकता है। शार्दुल ठाकुर
दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज के लिए पिछले साल का रणजी सत्र शानदार रहा था। उनकें इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत मुंबई 41वीं बार रणजी ट्रॉफी जीतने में कामयाब रहा। ठाकुर ने फाइनल में सौराष्ट्र के खिलाफ 8 विकेट लिए, जिसमें उनके सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का विकेट भी शामिल है। इस तेज गेंदबाज ने इस सत्र में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। नवंबर में उन्होंने बंगाल के खिलाफ 6 विकेट लिए। मुंबई को सेफीफाइनल तक पहुंचाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। ठाकुर की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह रफ्तार के साथ गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा सकते हैं। भारतीय टीम के विदेशी दौरों के लिए ठाकुर अच्छे विकल्प हो सकते हैं। भारतीय पिचों पर भी वह असरदार साबित हो सकते हैं। धीमी गति की गेंदबाजी और कटर डालने में भी उन्हें महारथ हासिल है। अब तक 47 प्रथम श्रेणी मैच में उन्होंने 28.57 की औसत से 159 विकेट लिए हैं। अनुरीत सिंह
अनुरीत सिंह को घरेलू क्रिकेट खेलते हुए काफी समय हो गया हैं। 28 साल के इस तेज गेंदबाज ने पिछले कुछ समय में अपने प्रदर्शन में बहुत अच्छा सुधार किया है। अनुरीत गेंद को अंदर और बाहर स्विंग करा सकते हैं। अनुरीत की सबसे बड़ी ताकत है, उनकी सटीक लाइन लैंथ है। सटीक लाइन लैंथ से वह बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं देते। अनुरीत ने अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच 2008 में रेलवे के खिलाफ खेला था। अनुरीत अपने शुरुआती सीजन में अपने प्रदर्शन से ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाए थे। इसके बाद उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और सपाट पिचों पर विकेट लेने की तरकीबे सीखी। आईपीएल में वह शुरुआती सीजन कोलकाता से खेले, उसके बाद अब वह किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से खेल रहे हैं। अगर आईपीएल में उन्होंने कोई जबरदस्त प्रदर्शन नहीं किया तो ज्यादा बुरा प्रदर्शन भी नहीं किया। अपने 55 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 27.05 की औसत से 203 विकेट लिए हैं। संदीप शर्मा
23 साल का ये गेंदबाज पहली बार तब सुर्खियों में आया जब उन्होंने 2012 के अंडर 19 वर्ल्डकप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 विकेट लिए थे। इस प्रदर्शन के कारण उन्हें आईपीएल की पंजाब टीम ने अपनी टीम में शामिल किया। अपने 3 सीजन में संदीप ने न केवल 39 विकेट लिए बल्कि उन्होंने अपने कप्तान के लिए आखिरी ओवरों में भी कसी हुई गेंदबाजी की। उनकी इस काबिलियत को देखते हुए उन्हें साल 2015 में जिम्बाव्वे के खिलाफ 2 मैचों की टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुना गया। हालांकि इस मौके को वह भुनाने में नाकामयाब रहे। उम्मीद है कि संदीप इस बार अपने फैंस को निराश नहीं करेंगे। उस दौरे के बाद से वह टीम से बाहर है। लेकिन रणजी सत्र और दिलीप ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के बाद चयनकर्ता उनकें बारे में फिर से सोच सकते हैं।