5 बल्लेबाज़ जिन्होंने आख़िरी गेंद पर छक्के से दिलाई करिश्माई जीत

भारत ने श्रीलंका में खेली गई ट्राई सीरीज़ के फ़ाइनल मुक़ाबले में बांग्लादेश पर करिश्माई जीत दर्ज करते हुए चैंपियनशिप का ताज हासिल कर लिया। एक वक़्त जीत टीम इंडिया से दूर दिखाई दे रही थी जब 12 गेंदों में 34 रनों की दरकार थी, हालांकि दिनेश कार्तिक ने आतिशी बल्लेबाज़ी करते हुए इस फ़ासले को आख़िरी ओवर में 12 और फिर अंतिम गेंद पर 5 रन तक ले आए थे। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा बेहद कम ही देखा गया कि कोई टीम अंतिम गेंद पर छक्का मारते हुए जीते और वह भी तब जब जीत के लिए 1 गेंद पर 4, 5 या 6 रन चाहिए। टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में रविवार से पहले कभी भी आख़िरी गेंद पर 3 रन से ज़्यादा के लक्ष्य पर छक्का मारते हुए जीत दर्ज नहीं देखी गई थी। लेकिन क्रिकेट को इसलिए तो अनिश्चित्ताओं का खेल कहा जाता है, जब भारत को आख़िरी गेंद पर 5 रन चाहिए थे तो दिनेश कार्तिक ने छक्का लगाते हुए जीत भारत की झोली में डाल दी और वह ऐसा करने वाले टी20 अंतर्राष्ट्रीय में पहले बल्लेबाज़ बन गए। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ये पहला मौक़ा नहीं था, भारत की तरफ़ से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा करने वाले कार्तिक भले ही पहले बल्लेबाज़ हैं। पर वनडे में उनसे पहले 2 और खिलाड़ियों ने इस कारनामे को अंजाम दिया है। एक नज़र डाल लेते हैं 5 खिलाड़ियों पर जिन्होंने आख़िरी गेंद पर छक्का लगाते हुए अपनी टीम को करिश्माई जीत दिलाई हो।

#5 जावेद मियांदाद vs चेतन शर्मा, 1986

इस फ़ेहरिस्त में जावेद मियांदाद का नाम पहला है, और वह दुनिया के ऐसे पहले बल्लेबाज़ भी थे जिन्होंने आख़िरी गेंद पर छक्का लगाते हुए जीत दिलाई थी। बदक़िस्मती से ये जीत भारत के ख़िलाफ़ आई थी, 1986 में शारजाह में खेले गए इस मैच में टीम इंडिया क़रीब क़रीब मैच जीत चुकी थी। पाकिस्तान को आख़िरी गेंद पर 4 रनों की दरकार थी और भारत की ओर से चेतन शर्मा गेंदबाज़ी कर रहे थे, लेकिन अनहोनी और मियांदाद को कुछ और मंज़ूर था। मियांदाद ने चेतन शर्मा की लो फ़ुलटॉस को डीप मिडविकेट के ऊपर से सीमा रेखा के बाहर पहुंचा दिया और पाकिस्तान को एक करिश्माई जीत दिला दी। इस जीत की टीस चेतन शर्मा और भारतीय फ़ैंस को आजतक है।

#4 लांस क्लूज़नर vs डियोन नैश, 1999

1986 में चेतन शर्मा के बल्ले से निकला वह छक्का दशकों तक उदाहरण की ही तरह देखा जाता था। 1999 में एक बार फिर कुछ ऐसी ही घटना दोबारा देखने को मिली, इस बार सामने थे विस्फोटक बल्लेबाज़ लांस क्लूज़नर। दक्षिण अफ़्रीका और न्यूज़ीलैंड के बीच ये मुक़ाबला नेपियर में खेला जा रहा था, जहां अंतिम गेंद पर प्रोटियाज़ को जीत के लिए 4 रनों की दरकार थी और स्ट्राइक पर थे लांस क्लूज़नर। गेंदबाज़ी आक्रमण पर तेज़ गेंदबाज़ डियोन नैश थे, लेकिन नैश अपनी टीम को जीत नहीं दिला पाए, क्योंकि क्लूज़नर का झन्नाटेदार शॉट दर्शक दीर्घा में जा पहुंचा और एक अद्भुत जीत दक्षिण अफ़्रीका की झोली में गई।

#3 ब्रेंडन टेलर vs मशरफ़े मुर्तज़ा, 2006

क्रिकेट इतिहास ने अबतक दो बार आख़िरी गेंद पर जब 4 रनों की दरकार थी तो छक्के के साथ जीत देखी थी। लेकिन 2006 में कुछ ऐसा हुआ जो आज तक कभी न देखा गया और न ही सुना गया था। ज़िम्बाब्वे और बांग्लादेश के बीच हरारे में वनडे मैच खेला जा रहा था, जहां मेज़बान टीम 237 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए आख़िरी गेंद पर पिछड़ गई थी। अब 1 गेंद पर जीत के लिए 5 रन चाहिए थे और गेंदबाज़ थे मशरफ़े मुर्तज़ा, जबकि स्ट्राइक पर थे ब्रेंडन टेलर। मैच को अगर जीतना था तो छक्के की दरकार थी और चौका मैच टाई करा सकता था। लेकिन टेलर को जीत से नीचे गंवारा नहीं था, और उन्होंने मुर्तज़ा की गेंद पर ज़ोरदार शॉट लगाया और गेंद स्टैंड्स में जा गिरी, नाटकीय अंदाज़ में ज़िम्बाब्वे ने जीत दर्ज की।

#2 दिनेश कार्तिक vs सौम्य सरकार, 2018

भारत और बांग्लादेश के बीच कोलंबो के प्रेमदासा में हुए इस टी20 ट्राई सीरीज़ के फ़ाइनल में भारत 167 रनों का पीछा कर रहा था। आख़िरी ओवर में भारत को जीत के लिए 12 रन और फिर आख़िरी गेंद पर 5 रनों की दरकार थी। स्ट्राइक पर थे टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज़ दिनेश कार्तिक जिनके पास चौका लगाते हुए मैच को सुपर ओवर में पहुंचाने का भी मौक़ा था। लेकिन कार्तिक ने सुपर ओवर का इंतज़ार नहीं कराया क्योंकि ऑफ़ स्टंप पर सौम्य सरकार की धीमी गुड लेंथ गेंद को उन्होंने स्वीपर कवर के ऊपर से दर्शक दीर्घा में पहुंचाया और भारतीय फ़ैंस को एक यादगार जीत दिला दी। कार्तिक ने कुछ हदतक 1986 में मियांदाद के उस छक्के की टीस भी कम कर दी, जो चेतन शर्मा की गेंद पर पड़ा था।

#1 शिव नारायण चंद्रपॉल vs चमिंडा वास, 2008

कहते हैं क्रिकेट में छक्का मारना किसी भी बल्लेबाज़ के लिए सबसे मुश्किल काम होता है, और जब किसी टीम को एक गेंद पर जीत के लिए 6 रन चाहिए होता है तो फिर ये नमुमकिन से कम नहीं। क्योंकि गेंदबाज़ के दिमाग़ में छक्के से कैसे बचा जाए इसके लिए कई विकल्प होते हैं पर बल्लेबाज़ के पास सिवाए छक्के के कोई चारा नहीं। लेकिन क्रिकेट इतिहास में इस नमुमकिन को भी मुमकिन होते देखा गया है। साल 2008 में विंडीज़ अपने घर में श्रीलंका के ख़िलाफॉ पोर्ट ऑफ़ स्पेन में मुक़ाबला खेल रही थी। जहां जीत उनसे दूर जा चुकी थी और समीकरण था 1 गेंद पर जीत के लिए 6 रन, क्रीज़ पर मौजूद थे शिव नारायण चंद्रपॉल जिन्हें सीमित ओवर क्रिकेट में वह पहचान नहीं मिल पाई जो दर्जा उन्हें टेस्ट में हासिल है। उनके सामने थे श्रीलंकाई क्रिकेट के दिग्गज और वनडे में एक पारी में 8 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ चमिंडा वास, उम्मीद थी कि वास छक्का नहीं देंगे और श्रीलंका मुक़ाबला जीत जाएगा। पर हुआ इसका ठीक उल्टा जब चंद्रपॉल ने वास की गेंद को दर्शकों के पास पहुंचा दिया और विंडीज़ को दिला दी एक असंभव जीत।

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