रणजी ट्रॉफी 2017-18 के राउंड रॉबिन मुकाबले अब समाप्त हो चुके हैं। कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात, केरल, मुंबई, मध्यप्रदेश, विदर्भ और बंगाल की टीमें क्वार्टर फाइनल में अपना स्थान पक्का कर चुकी हैं।
विदर्भ, केरल और मध्यप्रदेश जैसी छोटी टीमों ने इस बार अपने खेल का दबदबा दिखाया है। वहीं टूर्नामेंट की मजबूत दावेदार मुम्बई और गुजरात को क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने के लिए अंतिम दिन तक जूझना पड़ा।
इस साल रणजी ट्रॉफी में कई गेंदबाजों ने अपनी छाप छोड़ी है और सबसे बड़ी बात है कि इसमें तेज गेंदबाज भी शामिल हैं। फिर भी ग्रुप मैचों में बीसीसीआई ने एक कमी छोड़ दी और वह थी एक भी मैच में तेज गेंदबाजी की मददगार पिच बनाना। इसके बावजूद तेज गेंदबाज अपनी छाप छोड़ने में पीछे नहीं रहे।
इस सूची को गेंदबाज की निरंतरता, विकेट लेने की क्षमता, स्ट्राइक रेट, गेंदबाजी औसत और मैच जिताऊ प्रदर्शन के आधार पर तैयार किया गया है।
आईये अब आपको रणजी ट्रॉफी के लीग मैचों के 5 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के बारे में बताते हैं:
#5 इशांत शर्मा (दिल्ली)
भारतीय चयनकर्ताओं ने इशांत शर्मा को रणजी ट्रॉफी में खेलने के लिए भेजकर अच्छा काम किया था। वहां उन्होंने भारतीय गेंदबाजी लाइन में स्थान हासिल करने के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया।
6'4" लंबे इस गेंदबाज़ ने दिल्ली के लिए सिर्फ़ 4 मैच खेले, लेकिन उन्होंने इसी में अपनी छाप छोड़ दी। उन्होंने 12.80 के गेंदबाजी औसत से 20 विकेट हासिल किए हैं। 12.80 की गेंदबाजी औसत वह भी स्पिन की मददगार पिचों पर बहुत कम तेज गेंदबाजों की होती है।
इशांत ने टूर्नामेंट का आगाज काफी शानदार तरीके से करते हुए पहले ही मैच में असम के खिलाफ 5 विकेट हासिल किया था। जब भी उन्हें खेलने का मौका मिला, उन्होंने विकेट लेकर अपनी काबिलियत का प्रदर्शन किया।
अगले 3 मैचों में उन्होंने 14 और विकेट हासिल कर दिल्ली को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाने में मदद की।
उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ हाल ही में हुए दूसरे टेस्ट मैच में भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। जहां उन्होंने बल्लेबाजी की मददगार नागपुर की विकेट पर मैच में 80 रन देकर 5 विकेट हासिल किए।
#4 अक्षय वाखारे (विदर्भ)
इस 32 वर्षीय ऑफ-स्पिन गेंदबाज ने विदर्भ को क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में काफी अहम भूमिका निभाई है।
9 साल पहले पदार्पण करने वाले अक्षय ने 2015-16 रणजी ट्रॉफी सत्र में पहली बार अच्छा प्रदर्शन किया था। पिछले 2 सत्रों में घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन की बदौलत उन्हें दिलीप ट्रॉफी की टीम में भी जगह मिली। उनका सबसे बड़ा हथियार उनकी गेंदों की उछाल है जिससे वो बल्लेबाजों को खास परेशान करते हैं।
उन्होंने इस सीज़न में अपने 5 मैचों में से 17.03 की औसत और 2.51 की इकोनॉमी से 27 विकेट हासिल किए हैं। वाखारे उस गेंदबाज के रूप में जाने जाते हैं जो कि बल्लेबाजों को गलती करने के लिए मजबूर कर देता है।
उन्होंने पंजाब के खिलाफ पहले मैच में 4विकेट के साथ टूर्नामेंट की शुरूआत की थी। उसके बाद, अगले मैच में उन्होंने 10 विकेट हासिल किये। गोवा के खिलाफ भी उन्होंने फिर से 9 विकेट लिए।
वाखारे के इस प्रदर्शन की वजह से विदर्भ की टीम आसानी से नॉकआउट तक पहुंच गई। उन्होंने टूर्नामेंट में अभी तक 3 मौकों पर पारी में 5 विकेट जबकि एक बार मैच में 10 विकेट हासिल किया है।
पठानिया, परवेज रसूल, डी जडेजा, एसए देसाई जैसे गेंदबाज़ों ने वाखरे से ज्यादा विकेट लिए हैं लेकिन अपनी शानदार औसत और मैच जिताऊ स्पेल की वजह वाखारे इस सूची में जगह बनाने में सफल रहे।
#3 अशोक डिंडा (बंगाल)
अशोक डिंडा के नाम काफी अलोकप्रिय रिकॉर्ड दर्ज है। वह ज्यादातर मौकों पर भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए मजाक का विषय बन जाते हैं। फिर भी वो इस सब पर ज्यादा ध्यान दिए बिना लगातार अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए मेहनत करते रहते हैं। वो इन आलोचनाओं को सकारात्मक रूप में लेते हुए अपनी गेंदबाजी में सुधार पर ध्यान देते हैं।
अभी तक रणजी के इस सीज़न में उन्होंने 6 मैचों में 30 विकेट हासिल किए हैं, जिसमें उनका औसत और स्ट्राइक रेट काफी जबरदस्त है। जहां उनका गेंदबाजी औसत 17.8 है वहीं स्ट्राइक रेट 37.5 है।
वर्तमान रणजी सत्र में डिंडा सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाज हैं और छत्तीसगढ़ के खिलाफ मैच में 10 विकेट हासिल कर बंगाल को पारी से जीत दिलाई थी। उनके इस प्रदर्शन के लिए उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार भी दिया गया। हिमाचल प्रदेश के खिलाफ भी उनका प्रदर्शन उम्दा रहा और उन्होंने मैच में 8 विकेट हासिल किए।
डिंडा का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है और इसी वजह से वह अब चयनकर्ताओं के ध्यान में भी आ गए होंगे।
#2 पीयूष चावला (गुजरात)
उत्तर प्रदेश को छोड़कर गुजरात के लिए खेलने का पीयूष चावला का फैसला काफी सफल साबित हो रहा है। गुजरात के लिए खेलते हुए 9 पारियों में उन्होंने 31 विकेट हासिल किए हैं। उन्होंने ये विकेट 17.51 की औसत और 31.5 की स्ट्राइक रेट से लिये हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जिसपर कोई भी गेंदबाज नाज़ कर सकता है।
उनके निरन्तर प्रदर्शन की वजह से गुजरात 5 मैचों में 4 जीत के साथ अगले दौर में पहुंची है। सम्पूर्ण विश्लेषण किया जाए तो यह बात साफ हो जाती है कि जीत हासिल करने के लिए गुजरात की टीम इस लेग स्पिन गेंदबाज पर काफी निर्भर है।
चावला ग्रुप मैचों में दूसरे सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे हैं और वह इसी फॉर्म को नॉकआउट मैचों में भी जारी रखना चाहेंगे। उनकी उम्र अभी 28 साल ही है, इस वजह से उनके पास भारतीय टीम में वापसी करने का भी पूरा मौका है।
#1 जलज सक्सेना (केरल)
जलज सक्सेना पिछले 2 सत्रों से रणजी ट्रॉफी के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर रहे हैं और इस साल जबरदस्त ऑलराउंड प्रदर्शन की वजह से उनके भारतीय टीम में शामिल होने की उम्मीद काफी बढ़ गई है।
जलज पिछले सत्र में मध्यप्रदेश को छोड़कर केरल की टीम में शामिल हो गए थे लेकिन चीज़ें उनके उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई और केरल की टीम नॉकआउट में भी अपना स्थान नहीं बना पाई। हालांकि, इस साल केरल की टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है और क्वार्टर फाइनल में अपना स्थान पक्का कर चुकी है।
सक्सेना केरल की गेंदबाजी आक्रमण की धुरी हैं और उन्होंने टीम को क्वार्टर फाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वह अभी तक इस टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। सक्सेना ने भी तक 5 मैचों में 15.15 की औसत से 38 विकेट चटकाये हैं, जिसमें 3 बार पारी में 5 विकेट और 2 बार मैच में 10 विकेट शामिल है। उनके बाद केरल की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट एस जोसेफ ने हासिल किए हैं जिनके खाते में 19 विकेट दर्ज है। जोसेफ के विकेटों की संख्या सक्सेना के विकटों से आधी ही है, इससे ही केरल की टीम का उनके ऊपर निर्भरता का पता चलता है।
सक्सेना का योगदान सिर्फ गेंदबाजी के साथ ही नहीं है। वह इस सत्र में केरल के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं, और 60.25 की शानदार औसत से 482 रन बनाए हैं। टीम के लिए उनसे ज्यादा रन सिर्फ संजू सैमसन ने ही बनाए हैं।
लेखक- दीबक मोहन अनुवादक- ऋषिकेश सिंह