एम एस धोनी, विराट कोहली, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या और कुलदीप यादव, इन 6 मैच विनरों को श्रीलंका में हुई टी20 ट्राई सीरीज़ से आराम दिया गया था। मक़सद था, भारतीय बेंच स्ट्रेंथ को परखना और भविष्य के सितारों को तलाशना ताकि इन खिलाड़ियों पर से बोझ कुछ हल्का हो सके। रोहित शर्मा की कप्तानी में युवा टीम इंडिया 5 मैचों में 4 जीत दर्ज करते हुए चैंपियन बनकर लौटी, जिसके बाद एक सुनहरे भविष्य की कल्पना भी की जा रही है। इस सीरीज़ में कई सकारात्मक चीज़ें भी देखने को मिलीं, जिसमें रोहित शर्मा की कप्तानी से लेकर शिखर धवन और युज़वेंद्र चहल का निरंतर अच्छा प्रदर्शन शामिल है। तो कुछ खिलाड़ी मिले इन मौक़ों को पूरी तरह से भुनाने से चूक गए। चलिए एक नज़र डालते हैं इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने क्या खोया और क्या पाया ?
#1 दिनेश कार्तिक का नया अवतार
टीम इंडिया के लिए एम एस धोनी से भी पहले यानी 2004 में डेब्यू करने वाले विकेट कीपर बल्लेबाज़ दिनेश कार्तिक की क़िस्मत ने उनका साथ बेहद कम दिया है। ऐसा नहीं है कि कार्तिक ने मिले मौक़ों को ज़ाया किया या फिर अच्छा प्रदर्शन करने से चूक गए, लेकिन जब प्रतिस्पर्धा एम एस धोनी के साथ हो तो ज़ाहिर है आप ख़ुद को बदक़िस्मत ही समझेंगे। अब जब धोनी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और सीमित ओवर में भी उनका करियर ढलान पर है, ऐसे में कार्तिक के पास एक बड़ा मौक़ा है। इसे उन्होंने टी20 ट्राई सीरीज़ में भुनाया भी, लीग मैचों में भी कार्तिक ने अच्छी पारियां खेली और फिर फ़ाइनल में जो उन्होंने किया उसने तो कार्तिक का एक नया अवतार सामने ला दिया। 8 गेंदों पर 29* रन की पारी और जब टीम को 1 गेंद पर 5 रनों की दरकार थी, वहां से छक्का मारते हुए करिश्माई जीत दिलाने वाले 32 वर्षीय कार्तिक के करियर का भी ये एक नया अवतार हो सकता है।
#2 भुवी, बुमराह और पांड्या पर दबाव रहेगा बरक़रार
टीम इंडिया के लिए क्रिकेट के तीनों फ़ॉर्मेट में कुछ ही खिलाड़ी हैं जो निरंतर अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, इनमें विराट कोहली के अलावा जो तीन बड़े नाम हैं वह हैं तेज़ गेंदबाज़ भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या। टीम मैनेजमेंट ने इन खिलाड़ियों पर से वर्क लोड कम करने की कोशिश की थी। यही वजह थी कि ट्राई सीरीज़ में शार्दुल ठाकुर, मोहम्मद सिराज और जयदेव उनादकट पर जहां तेज़ गेंदबाज़ी का दायित्व था तो ऑलराउंडर की भूमिका में विजय शंकर थे। शार्दुल ठाकुर और जयदेव उनादकट ने कुछ हद तक तो इस ज़िम्मेदारी को निभाने की कोशिश की लेकिन निरंतरता में निराश किया। भुवी और बुमराह डेथ ओवर में जिस तरह कमाल की गेंदबाज़ी करते हैं, उनके तो आस पास भी ये गेंदबाज़ नहीं पहुंच पाए। मोहम्मद सिराज ने तो रन लुटवाने का विश्व कीर्तिमान ही बना डाला, तो पांड्या की जगह खेल रहे ऑलराउंडर विजय शंकर गेंदबाज़ी में तो कमी पूरी करने का प्रयास करते दिखाई दिए। लेकिन जब बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिला तो उन्होंने क़रीब क़रीब भारत को मैच से दूर ही कर दिया था, यानी इस टूर्नामेंट ने ये साफ़ कर दिया कि भुवी, बुमराह और पांड्या का बोझ अभी कम होता नहीं दिख रहा।
#3 टीम इंडिया की ‘सुंदर’ खोज
दिनेश कार्तिक के अलावा इस टूर्नामेंट में अगर किसी ने सभी का दिल जीत लिया तो वह हैं ऑफ़ स्पिनर वॉशिंगटन सुंदर। 18 वर्षीय सुंदर ने इस टूर्नामेंट में 5 मैचों में 14.25 की बेहतरीन औसत और 5.70 की अद्भुत इकोनॉमी रेट से टूर्नामेंट में संयुक्त तौर पर 8 विकेट हासिल किए। इतना ही नहीं सुंदर ने नई गेंद से भी गेंदबाज़ी की और पॉवर प्ले में बल्लेबाज़ों पर अंकुश लगाने के साथ साथ डेथ ओवर में भी अपनी स्पिन से बल्लेबाज़ों को खुलकर रन नहीं बनाने दिए। सुंदर को इस प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ़ द सीरीज़ से भी नवाज़ा गया, उम्मीद है कि आने वाले वक़्त में वॉशिंगटन सुंदर अपने नाम की ही तरह टीम इंडिया के भविष्य को बनाएंगे सुंदर।
#4 मनीष पांडे की नंबर-5 पर बड़ी दावेदारी
फ़ाइनल मैच से पहले तक अगर किसी खिलाड़ी ने सभी को प्रभावित किया था तो वह थे मनीष पांडे। जिनकी प्रतिभा पर किसी को कभी शक़ नहीं हुआ है, फिर चाहे डेब्यू वनडे में 71 रनों की शानदार पारी हो या सिडनी में मेज़बान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ 104 नाबाद रनों की दिलकश पारी। हालांकि इसके बाद भी मनीष ख़ुद को बदक़िस्मत ही कहेंगे कि आज तक वह टीम इंडिया का नियमित हिस्सा नहीं बन पाए हैं, और दल में रहते हुए भी उन्हें प्लेइंग-XI में अपनी बारी के लिए काफ़ी इंतज़ार करना पड़ता है। ट्राई सीरीज़ और उससे पहले दक्षिण अफ़्रीका दौरे पर भी पांडे ने नंबर-5 पर कमाल की बल्लेबाज़ी करते हुए मैच फ़िनिशर के तौर पर ख़ुद को साबित किया था। ट्राई सीरीज़ में मनीष पांडे ने 5 मैचों की 4 पारियों में 67 की शानदार औसत से 134 रन बनाए, हालांकि फ़ाइनल मैच में उन्होंने अपेक्षाकृत धीमी बल्लेबाज़ी ज़रूर की थी लेकिन भविष्य में वह टीम इंडिया की सीमित ओवर में नंबर-5 की तलाश को पूरी करने के बड़े दावेदार हो सकते हैं।
#5 रंगीन रैना के लिए श्वेत और श्याम रही सीरीज़
टीम इंडिया के बाएं हाथ के दिग्गज बल्लेबाज़ सुरेश रैना वापसी की राह पर हैं, दक्षिण अफ़्रीकी दौरे पर टी20 सीरीज़ में भी उन्होंने कुछ अच्छी पारियां खेली थीं। दौरे पर रैना को 'मैन ऑफ़ द मैच' से भी नवाज़ा गया था, उम्मीद थी कि टी20 ट्राई सीरीज़ में जब कई बड़े खिलाड़ी नहीं मौजूद हैं तो रैना ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर लेंगे। लेकिन एक पारी को छोड़ दिया जाए जिसमें उन्होंने 47 रन बनाते हुए टीम इंडिया की जीत में भूमिका निभाई थी, तो उसके अलावा रैना का बल्ला ख़ामोश ही रहा। रैना जब भी क्रीज़ पर आए तो फ़ॉर्म ज़रूर दिखा जिसकी गवाही देते हैं उनके बल्ले से निकले कुछ आकर्षक और मनमोहक शॉट। लेकिन उन्होंने इस मिले मौक़े का पूरी तरह से फ़ायदा नहीं उठाया और जो सीरीज़ उनके करियर में रंग भर सकती थी, उसे उन्होंने श्वेत-श्याम पर ख़त्म किया।